नई दिल्ली. हर साल 13 अक्टूबर को ऐग डे मनाया जाता है. देशभर में भी ऐग डे मनाया गया. वहीं बहुत वक्त से नेशनल ऐग कोआर्डिनेशन कमेटी (एनईसीसी) विज्ञापन के जरिए ‘संडे हो या मंडे, रोज खाएं अंडे’ का नारा दे रहा है. कहा जा रह है कि एग डे की तर्ज पर चिकन डे मनाया जाएगा. इसकी तैयारी चल रही है. इस संबंध में पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया (पीएफआई) का एक प्रतिनिधि मंडल केन्द्रीय मत्स्य, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री परषोतम रूपाला से मुलाकात की है. जबकि इससे पहले गोवा में भी चिकन डे मनाने की मांग उठी थी. वहीं पीएफआई के चेयरमेन ने चिकन डे मनाने की डिमांड की थी. उनका कहना है कि ऐसा अवेयरनेस बढ़ाने के लिए किया जाना चाहिए था.
मंत्री से मुलाकात कर उठाई मांग
संगठन का कहना है कि जिस तरह से नेशनल और इंटरनेशनल लेवल पर ऐग डे मनाना जाता है ठीक उसी तरह से चिकन डे मनाना जाना चाहिए. ताकि प्रोटीन के बारे में जागरुक किया जा सके. कोरोना के बाद और क्लाइमेट चेंज के कारण ऐसा करने को जरूरी बताया जा रहा है. दिसम्बर में ये खास दिन मनाने की संभावना है. वहीं पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया (पीएफआई) के उपाध्यक्ष संजीव गुप्ता समेत दूसरे पदाधिकारियों ने पिछले दिनों केन्द्रीय मत्स्य, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री परषोतम रूपाला से मिले और मंत्री को बताया कि क्यों वो इस बात की मांग कर रहे हैं.
क्या दिया जाएगा इस डे को नाम
आगे जानकारी साझा करते हुए पीएफआई के कोषाध्यक्ष रिकी थापर कहते हैं कि ऐग डे की तरह चिकन डे मनाने के लिए हम सभी जोर दे रहे हैं. ताकि लोगों को प्रोटीन के लिए अवेयर किया जा सके. ऐसा करने से चिकन की खपत भी ज्यादा हो जाएगी. हालांकि मुलाकात के दौरान केन्द्रीय मंत्री से बातचीत में ये तय हुआ कि प्रोटीन के लिए चिकन के अलावा दूसरी चीजों को भी शामिल करना होगा. इसलिए इस खास दिन को चिकन नहीं प्रोटीन डे नाम देने पर विचार किया जाएगा. कहा जा रहा है कि जल्द ही इसको लेकर तारीख तय होगी और दिसम्बर की किसी तारीख पर प्रोटीन डे मनाया जाएगा.
कितना होता है चिकन का उत्पादन
पीएफआई के सेक्रेटरी रविन्द्र सिंह संधू कहते हैं कि देश के कुल मीट उत्पादन में 51.44 फीसदी हिस्सा चिकन का ही है. जबकि भारत चिकन उत्पादन करने के मामले में दुनिया में पांचवे स्थान पर है. देश्भर में 4.78 मिलियन टन चिकन का प्रोडक्शन किया जाता है. क्योंकि देश में पोल्ट्री सेक्टर बड़ा और विश्व की बेस्ट पोल्ट्री है तो जब जैसी जरूरत होती है उस हिसाब से चिकन और अंडे का उत्पादन यहां बढ़ाया जा सकता है. इसके चलते देश में चिकन की कोई कमी नहीं होती है और न होगी. बता दें कि देश के पांच राज्यों में ही कुल मीट उत्पादन का 58 फीसदी प्रोडक्शन किया जाता है.
लोगों में प्रोटीन की है कमी
पीएफआई के प्रेसिडेंट रह चुके रमेश खत्री जो वर्तमान में पीएफआई के चेयरमेन हैं, उनका कहना है कि इससे पहले भी अमेरिका की पोल्ट्री फेडरेशन के साथ मिलकर भारत में 50 जगहों पर जागरुकता कार्यक्रम किया गया था. उनका कहना है कि मेडिकल रिपोर्ट से ये साबित हो चुका है कि देश के लोगों में प्रोटीन की कमी है. ऐसे में ये जरूरी है कि लोगों को बताया जाए कि किस आइटम का इस्तेमाल करने से प्रोटीन शरीर को मिलेगा. ये बात भी साबित है कि कम दाम में ज्यादा प्रोटीन देने के मामले में चिकन सबसे बेहतर विकल्प है. जो लोग नॉनवेज नहीं खाते हैं वो सोयाबीन, दूध-दही और पनीर से प्रोटीन हासिल कर सकते हैं. एक्सपर्ट कहते हैं कि जितना शरीर का वजन होता है, उतना ही ग्राम प्रोटीन होना चाहिए. मसलन किसी का वजन 80 किलो है तो उसे हर रोज 80 ग्राम प्रोटीन चाहिए. इसलिए जो चिकन खा सकते हैं तो वो कम पैसों में ज्यादा प्रोटीन पा सकते हैं.
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