नई दिल्ली. मुर्गियों में पुलोरम रोग भी होता है. इस बीमारी को बेसिलरी यानि व्हाइट डायरिया भी कहते हैं. ये संक्रामक बीमारी है और ये बीमारी सिर्फ मुर्गियों में ही नहीं, बल्कि अन्य पक्षियों में भी होती है. इस बीमारी की खतरनाक बात ये है कि ये आमतौर पर चूजों में होती है. जिससे पोल्ट्री फार्मिंग का काम शुरू होने के कुछ दिनों के बाद ही खत्म हो जाता है. जिससे पोल्ट्री फार्मर्स को बहुत बड़ा नुकसान हो जाता है. इतना ही नहीं इस बीमारी में चूजों में मृत्युदर भी बहुत ज्यादा दिखाई देती है.
अगर आप लेयर मुर्गियां को पाले हुए हैं तो भी इस बीमारी से सतर्क रहने की जरूरत है. क्योंकि ये बीमारी अंडे के उत्पादन में कमी का कारण बनती है. जिससे भी नुकसान होता है.
बेसिलरी व्हाइट डायरिया क्या है
यह तेजी से फैलने वाला भयंकर संक्रामक रोग है, जिससे चूजों में 50-100 फीसद तक मृत्यु हो सकती है.
इस बीमारी में भूख-प्यास की कमी और लसीले चिपकाऊ दस्त हो जाते हैं. जिससे बाद में चूजों की मौत हो जाती है.
क्या है बीमारी का कारण
यह रोग सालमोनेला नामक जीवाणु के कारण होता है.
कैसे होता है प्रसार प्रसार
यह रोग इस जीवाणु से ग्रसित अंडो द्वारा प्रसारित होता है.
संक्रमित बीट द्वारा, प्रदूषित अंडे के छिलकों से यह रोग फैलता है.
रोग ग्रसित मुर्गियों के सम्पर्क से भी बीमारी फैलती है.
प्रदूषित दाना-पानी या लिटर द्वारा इस रोग का प्रसार होता है.
क्या है इस बीमारी का लक्षण
चूजों को प्यास अधिक लगती है.
आहार कम खाने लग जाते हैं.
सांस लेते समय हांफते हैं और अधिकतर चूजे ऊंघते हुए नजर आते हैं.
रोगी पक्षियों के पंख बिखरे—बिखरे व लटके रहते हैं और कॉम्ब पर पीलापन नजर आता है.
सफेद भूरे दस्त लग जाते हैं तथा गुदा के पास मल लगा हुआ दिखाई देता है.
बीट करने के दौरान पक्षी का दर्द से चिल्लाना भी शुरू हो जाता है.
पक्षी ब्रूडर में एकत्रित रहते हैं.
उपचार क्या है
कीटाणुनाशन प्रक्रिया को अपनाना चाहिए. रोग के निदान के बाद पशु चिकित्सक की सलाह से उपचार कराएं.
निष्कर्ष
इस बीमारी में नुकसान होने का खतरा ज्यादा रहता है. इसलिए चूजे ऐसी हैचरी से लेना चाहिए जो पुलोरम जीवाणु से मुक्त रहे. ताकि बीमारी का खतरा न हो.
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