नई दिल्ली. पशुपालन करने वाले किसानों के लिए यह खबर खास और बहुत ही अहम है. दरअसल, मई महीने में भेड़ बकरियों में पीपीआर रोग फैलने का खतरा है. देश के 82 शहरों के लिए यह अलर्ट जारी किया गया है कि वहां भेड़ बकरियों में पीपीआर रोग फैल सकता है. इन 82 शहरों में सबसे ज्यादा खतरा है. ऐसे में पशुपालकों के लिए सतर्क हो जाने की स्थिति है. अगर वक्त रहते हुए पशुपालक रोग से बचाव के तमाम उपाय नहीं करते हैं तो फिर दिक्कतें होना लाजमी हैं.
पशुओं की बीमारियों पर काम करने वाली निवेदी संस्थान के मुताबिक आंध्र प्रदेश के दो, अरुणाचल प्रदेश में एक, असम में 8, बिहार में दो, हरियाणा में दो, हिमाचल प्रदेश में दो, झारखंड में 20, कर्नाटक में 9, केरल में 3, महाराष्ट्र में एक, मेघालय में एक, राजस्थान में दो, तेलंगाना में 5, सिक्किम में एक, त्रिपुरा में एक, उत्तर प्रदेश में 6, उत्तराखंड में एक, वेस्ट बंगाल में 13 शहरों के लिए अलर्ट घोषित किया गया है. यानि इन शहरों में बीमारी का सबसे ज्यादा खतरा है.
झारखंड और बेस्ट बंगाल में ज्यादा खतरा
वेस्ट बंगाल में ब्लैक बंगाल बकरी बड़े पैमाने पर पाली जाती है. इस बकरी की खासियत ये है कि इसके मीट की डिमांड खुद देश में और विदेश में ज्यादा है. खासतौर पर अरब कंट्रीज में ब्लैक बंगाल बकरियों का मीट और बकरियां खूब एक्सपोर्ट होती हैं. जबकि एक्सपोर्ट करने की गाइडलाइन इतनी सख्त है कि बीमारी पशुओं को एक्सेप्ट ही नहीं किया जाता है. ऐसे में पशुपालकों को पीपीआर रोग फैलने से नुकसान हो सकता है. बंगाल के अलावा झारखंड राज्य में सबसे ज्यादा पीपीआर का खतरा है. यहां 20 शहरों में अलर्ट घोषित किया गया है. वहीं राजस्थान में भेड़ों का पालन खूब होता है. वहां बड़् पैमाने पर भेड़ पाली जाती है.
टीका लगवाकर सुरक्षित करें जानवर
बता दें कि पीपीआर रोग से भेड़-बकरियों को बचाने के लिए उसका टीकाकरण महत्वपूर्ण उपाय में से एक है. इसके लिए कई पीपीआर टीके उपलब्ध है और इन्हें संवेदनशील जानवरों को लगाया जाता है. वैक्सीनेशन कराकर भेड़ व बकरियों को सुरक्षित किया जा सकता है. इसके अलावा रोग के फैलने से रोकने के लिए संक्रमित बकरियों को स्वस्थ जानवरों से अलग कर देना चाहिए. इनकी रिकवरी के लिए और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी दिया जाना चाहिए. पीपीआर रोग जिसे बकरी का प्लेग भी कहते हैं, 3 महीने की उम्र पर इसके लिए वैक्सीन लगाई जाती है. बूस्टर की जरूरत नहीं होती है. 3 साल की उम्र पर दोबारा लगवा सकते हैं. इन्टेरोटोक्समिया- 3 से 4 महीने की उम्र पर लगवा सकते हैं. अगर चाहें तो बूस्टर डोज पहले टीके के 3 से 4 हफ्ते बाद लगवा सकते हैं हर साल एक महीने के अंतर पर दो बार लगवाएं.
एक दूसरे से फैल जाता है ये रोग
पेस्टे डेस पेटिट्स रूमिनेंट्स संक्रामक वायरल बीमारी है, जो बकरियां सहित जुगाली करने वाले पशुओं को प्रभावित करती है. ये आमतौर पर फुट एंड माउथ डिजीज के नाम से भी जाना जाता है. यह एक तेजी के साथ फैलने वाली बीमारी मानी जाती है. जो पशुओं खासकर बकरियां में भेड़ गायों और आदि जानवरों को प्रभावित करती है. अक्सर लोग इस रोग को बकरी का प्लेग भी कहते हैं. मुख्यता संक्रमित जानवरों के प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष संपर्क में रहने से फैलती है. यह वायरस खासकर बकरियों के श्वसन स्राव, नाक स्राव और दूषित उपकरणों के माध्यम से फैल सकता है. वायरस एक दूसरे से पशुओं में आसानी से फैल जाता है
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