नई दिल्ली. मत्स्य पालन करना भारत में हमेशा ही एक अच्छा विकल्प माना जाता है. ऐसा इसलिए भी क्योंकि भारत में 35 मिलियन मीट्रिक टन मछलियों की मांग है. लेकिन आज भी इस मांग को पूरा करने के लिए भारत को दूसरे देशो पर निर्भर रहना पड़ता है. इसलिए आज हम ऐसी तकनीकि के बारे में बात करने जा रहे हैं जिससे कोई भी अपने घर से ही मछली पालन करना शुरू कर सकता है. हम बात कर रहे है बायोफ्लॉक तकनीक के बारे में. इस तकनीक के जरिए घर में या बाहर कहीं टैक बनाकर भी मछली पालन किया जा सकता है.
एक्सपर्ट के मुताबिक इसके साथ ही टनों मछलियों का उत्पादन किया जा सकता है. अगर आप बायोफ्लॉक तकनीक से जुड़ी किसी भी प्रकार की जानकारी हासिल करना चाहते है तो आप हमारे इस लेख पर बने रहे. बताते चलें कि बायोफ्लॉक तकनीक का इजाद इंडोनेशिया में किया गया था. इस तकनीक में तारपोलिन के टैक में मछलियों को पाला जाता है.
क्या है बायोफ्लॉक तकनीक
बायोफ्लॉक तकनीक में एयरेशन सिस्टम की मदद से मछलियो को ऑक्सीजन पहुंचाई जाती है. इसके अलावा इस तकनीक में सबसे खास चीज ये है कि इसमें मछलियों के मल को साफ करके प्रोटीन में तब्दील किया जाता है. बाद में जब ये मल प्रोटीन में तब्दील हो जाता है तो मछलियां इसी मल को खा जाती है. इससे मछलियों का आकार तेजी से बढ़ता है और उनका वजन भी बढ़ता है. बायोफ्लॉक तकनीक के कई ऐसे फायदे है. जिसकी वजह से इस तकनीक को तेजी से अपनाया जा रहा है.
बायोफ्लॉक तकनीक के क्या हैं फायदे
इस तकनीक के जरिए मछली पालन में खर्च कम होता है. बायोफ्लॉक तकनीक के जरिए मछली पालन करने में पानी की खपत कम होती है. इस तरह मछली पालन करने में मछलियों के चोरी होने का खतरा कम रहता है. एक तरफ जहां एक एकड़ के तालाब में 5 टन मछलियों का ही उत्पादन हो सकता है। वहीं तारपोलिन या सीमेट एक स्कैर फुट के टैक से ही 2.5 टन मछलियो का उत्पादन किया जा सकता है.
एयरेशन सिस्टम की जरूरत होती है
इस तकनीक के जरिए मछली पालन करने से आपकी आय काफी हद तक बढ़ सकती है. इस तकनीक के जरिए आप अगर अच्छा निवेश करते है तो आप सालाना लाखो रुपए तक कमा सकते हैं. इस कारोबार की शुरुआत अपने घर से ही कर सकते हैं. इसमें मछली पालन के लिए सीमेट या तारपोलिन का टैक बनाया जाता है. मछलियों को ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए एयरेशन सिस्टम की जरूरत होती है. बायोफ्लॉक में बिजली का होना जरूरी है। इसमे आप घर की बिजली या सोलर पैनल भी लगा सकते है. मछली पालन के लिए मत्स्य बीज जरूरी होता है. शेड का निर्माण ऐसा होना चाहिए जिससे मछलियों को धूप मिले. जिस जगह मछली पालन हो वहां के तापमान को 28 से 30 तक रखना चाहिए.
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