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Dairy: क्या है पशुओं की बैलेंस्ड डाइट, जानिए यहां

स्वस्थ भेड़-बकरी की पहचान ये है कि उनकी आंखें एकदम से चमकीली लाल-गुलाबी होती हैं. दूसरी ओर जब उनके पेट में हिमोकस है तो आंख हल्की गुलाबी हो जाती है.
प्रतीकात्मक फोटो: livestockanimalnews

नई दिल्ली. क्या आपको पता है कि इंसानों की तरह ही सुबह से शाम तक कर्बोहाइड्रेड, प्रोटीन और दूसरे मिनरल्स की जरूरत पशुओं को भी होती है. पशुओं को भी इसी तरह की बैलेंस्ड डाइट की आवश्यकता होती है. पशु ऐसी डाइट पाएंगे तो फिर दूध भी ज्यादा और क्वालिटी से भरपूर देंगे. इसके साथ ही उनका मीट भी अच्छा होगा और उत्पादन भी बढ़ेगा. एक्सपर्ट कहते हैं कि लगातार पशुओं को एक ही तरह का हरा चारा ​देना कोई बहुत समझदारी का काम नहीं है. इसलिए विशेषज्ञ कहते हैं कि सुबह से शाम तक पशुओं को दिए जाने वाले हरे चारे में कर्बोहाइड्रेड, प्रोटीन और दूसरे मिनरल्स को शामिल किया जाना चाहिए. अब ये सवाल है कि पशुओं को कौन सा हरा चारा दिया जाए कि उनकी जरूरत को पूरा किया जा सके. इस बारे में केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा के साइटिस्ट डॉ. मोहम्मद आरिफ खान ने अहम जानकारी साझा की है. जिसे इस आर्टिकल में शामिल किया गया है.

नेपियर घास और दलहनी चारा

डॉ. मोहम्मद आरिफ ने बताया कि नेपियर घास बहुवर्षिय चारे में से एक है. दरअसल, बहुवर्षिय चारा उसे कहते हैं जो एक बार लग जाए और लम्बे वक्त तक चले. नेपियर घास लगाने के बाद करीब पांच साल तक लगातार पशु पालक इससे चारा प्राप्त कर सकते हैं. यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि लगातार पशुओं को सिर्फ एक ही तरह के हरे चारे नहीं देने चाहिए. मसलन नेपियर घास देने के साथ-साथ पशुओं को दलहनी चारा भी देना चाहिए. वहीं सितम्बर में नेपियर घास के साथ लोबिया लगाया जा सकता है. ध्यान दें कि जब भी पशु पालक अपने पशु को नेपियर घास दे तो उसके साथ पशुओं को दलहनी चारा भी दे. दरअसल, नेपियर घास में अगर कर्बोहाइड्रेड है तो लोबिया के जरिए प्रोटीन और दूसरे मिनरल्स पशुओं को मिल जाएंगे. एक्सपर्ट कहते हैं कि इसी तरह की खुराक भेड़-बकरी हो या फिर गाय-भैंस उन्हें देने की जरूरत होती है. ऐसे करने के बाद पशु दूध ज्यादा देते हैं और उनका वजन बढ़ता है, जिससे उनके मीट का उत्पादन भी बढ़ता है और मीट स्वादिष्ट भी होता है.

सर्दियों में क्या दिया जाना चाहिए

साइंटिस्ट डॉ. मोहम्मद आरिफ ने कहते हैं कि ठंड के मौसम में बरसात के मुकाबले हरे चारे की कमी हो जाती है. जबकि नेपियर घास भी जितनी चाहिए होती है वो नहीं मिल पाती है. जबकि पशुओं में जमीन पर गिरे चारे के मुकाबले बकरी डाल से तोड़कर खाना ज्यादा पसंद करती है. ऐसा करना बकरी को अच्छा लगता है. ऐसे में पशु पालकों को करना ये चाहिए कि यदि मैदान में हरा चारा नहीं है तो ट्री फोडर यानि नीम, गूलर, अरडू आदि पेड़ की पत्तियां बकरियों को खिला सकते हैं. यदि स्वाद की बात की जाए तो बकरियां नीम की पत्ती को खूब खाना पसंद करती हैं. सर्दियों में तो खासतौर पर ये उनके लिए बहुत ही पसंदीदा चारा है. यहां पशु पालकों को एक और खास बात पर ध्यान देना चाहिए कि पेड़ों की ये पत्तियां बकरियों के लिए चारा के साथ—साथ दवा का भी काम भी करती हैं. मसलन नीम की पत्ती खाने से बकरी के पेट में कीड़े नहीं होते हैं. वहीं बरसात में होने वाले हरे चारे में पानी की मात्रा ज्यादा होती है तो इन पत्तियों को खाने से बकरियों को डायरिया से बचा पाती है. डायरिया की संभावना न के बराबर हो जाती है.

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