नई दिल्ली. पशुपालन एवं डेयरी राज्यमंत्री लखन पटेल ने गत दिनों आंध्रप्रदेश के पुंगनूर संरक्षण एवं अनुसंधान केन्द्र, पालमनेर, जिला चित्तूर का भ्रमण किया. इस दौरान उन्होंने वहां निरीक्षण के दौरान प्रमुख रूप से पुंगनूर नस्ल की गायों के पालन पोषण के बारे में जानकारी हासिल की तथा मध्यप्रदेश में इसके पालन की संभावनाओं को तलाशा गया. गौरतलब है कि गायों की ये नस्ल अपने छोटे आकार, कम रखरखाव और तुलनात्मक रूप से अच्छी दूध देने वाली नस्ल के लिए जानी जाती है. मध्य प्रदेश में भी अगर ये गाय पलेगी तो पशुपालकों को इसका फायदा मिलेगा.
निरीक्षण के दौरान पटेल द्वारा अनुसंधान केन्द्र के संचालक एवं उपस्थित अन्य अधिकारियों से पुंगनूर नस्ल के बारे में डिटेल से जानकारी ली. उन्होंने पालमनेर भेड़ प्रजनन केन्द्र का निरीक्षण भी किया.
दुनिया की सबसे छोटी नस्ल की है गाय
बता दें कि पालमनेर भेड़ प्रजनन एवं संरक्षण केन्द्र में नेल्लोर प्रजाति की नस्ल का संवर्धन एवं संरक्षण किया जा रहा है. भ्रमण के दौरान उनके साथ पशुपालन और मध्य प्रदेश कुक्कुट विकास निगम के अधिकारी भी उपस्थित थे. पशुधन अनुसंधान केंद्र, पालमनेर, आंध्र प्रदेश मुख्य रूप से गायों की पुंगनूर नस्ल को सुधारने और पुनर्जीवित करने का कार्य करता है. यह गाय दुनिया की सबसे छोटी नस्लों में से एक है और मूलत चित्तूर जिले की प्रजाति है. इस अनुसंधान केंद्र को वर्ष 1967 में पशुपालन विभाग से आंध्रप्रदेश कृषि विश्वविद्यालय को स्थानांतरित कर दिया गया है.
बहुत कम चारा खाती है ये गाय
बता दें कि पुंगनूर गाय की हाइट लगभग ढाई फीट तक होती है. पशुपालक के लिए इस गाय को पालना बहुत ही सरल है, क्योंकि यह अधिक मात्रा में चारे नहीं खाती है. 1 दिन में 5 किलो तक चारा खाती है और 3 लीटर तक दूध देने की क्षमता रखती है. इसकी नस्ल 112 साल पुरानी बताई जाती है, या देश भर के लगभग सभी राज्यों में आसानी से पाली जा सकती है. एक्सपर्ट कहते हैं कि इसका दूध औषधि गुणों से भरपूर होता है. दरअसल, इसके दूध में करीब 8% तक फैट यानी की वसा की मात्रा पाई जाती है. जो कि मानव शरीर के लिए काफी फायदेमंद है. वहीं अन्य गायों के दूध में तीन से 3.35 प्रतिशत वास की मात्रा होती है. इस गाय का कद बेहद छोटा होता है, ऐसी गायों का पीछे का हिस्सा नीचे और थोड़ा सा झुका हुआ होता है.
जानें कितनी होती है इसकी कीमत
इसके अलावा इस गाय के सींग टेढ़े-मेढ़े और पीठ एकदम सफाट होती है. ज्यादातर ही सफेद रंग की होती हैं. वही इस नस्ल की कीमत की बात की जाए तो लगभग एक लाख रुपये लेकर 5 लाख रुपए तक बताई जा रही है. जितनी छोटी होती है, उसे खरीदने के लिए उतना ही ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ता है.
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