Home मछली पालन Fisheries: इस महीने तालाब में डालें ये सब चीजें, मछली की तेजी के साथ होगी ग्रोथ, होगा खूब फायदा
मछली पालन

Fisheries: इस महीने तालाब में डालें ये सब चीजें, मछली की तेजी के साथ होगी ग्रोथ, होगा खूब फायदा

मछली पालन के लिए बड़ा तालाब अच्छा होता है, आधे एकड़ से छोटा तालाब नहीं बनवाना चाहिए.
मछली का तालाब.

नई दिल्ली. मछली पालन में जुलाई के महीने में कुछ खास देखरेख की जरूरत होती है. तालाब में सप्लीमेंट फूड डाला जाता है तकि मछलियों की ग्रोथ तेजी के साथ हो सके. इसके अलावा कई चीजें जिनका ध्यान रखना जरूरी होता है. एक्सपर्ट का कहना है कि अगर जुलाई महीने से पहले मछली का बीज तालाब में डाला गया है ते इस महीने में पूरक आहार, चूने का इस्तेमाल आदि किया जाना बहुत जरूरी होता है. अगर ऐसा नहीं किया जाएगा तो इसका सीधा असर मछलियों की ग्रोथ पड़ेगा. वहीं मछली का प्रोडक्शन भी रुक जाता है.

मत्स्य पालक को जुलाई के महीने में क्या-क्या करना चाहिए कि, जिससे मछलियों की ग्रोथ कम न हो और मछलियों का प्रोडक्शन ज्यादा से ज्यादा हो. इसके लिए बिहार के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग की ओर से एक डवाइजरी जारी की गई है. आइए इस बारे में डिटेल से जानते हैं.

जुलाई माह में मत्स्य-पालक इन बातों पर करें गौर

  • ब्रुडर तालाब में पूरक आहार का प्रयोग मछली के कुल शरीर भार का 2 से 3 प्रतिशत की दर से करें. बेहतर प्रजनक मछली तैयार करने के लिए प्रति किलोग्राम पूरक आहार में 10 ग्राम मिनरल मिक्चर एवं 5 ग्राम गट प्रोबायोटिक्स का प्रयोग करें.
  • मत्स्य बीज उत्पादक अपने हैचरी से रोहु, कतला, मृगल, ग्रास कार्प, कॉमन कार्प एवं सिल्वर कार्प को स्पॉन का उत्पादन गहन प्रबंधन से करना चालू रखें.
  • नर्सरी तालाब में स्पॉन डालने के 15 दिनों के बाद ही रासायनिक उर्वरक का इस्तेमाल करें.
  • नर्सरी तालाब की तैयारी के बाद स्पॉन का संचयन 15-20 लाख प्रति एकड़ की दर से करें.
  • रियरिंग तालाब की तैयारी के बाद फ्राई का संचयन 1.5 से 2 लाख प्रति एकड़ की दर से जरूर करें.
  • ग्रो आउट तालाब में मछली पालन के लिए 50 ग्राम के ईयररिंग का संचयन 3000/ एकड़ और 100 ग्राम ईयरलिंग का स्टोरेज 2000 प्रति एकड़ की दर से करना चाहिए. सेमी डेंस मत्स्य पालन के लिए तालाब में एयरेटर का इस्तेमाल करें.
  • तालाब में चूने का इस्तेमाल 15 दिनों के गैप रर पीएच मान के मुताबिक 10-15 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से करना चाहिए.
  • जुलाई में एक बार जैविक खाद के रूप में गोबर 400 किलोग्राम प्रति एकड़ या सरसों, राई की खल्ली 100 किलोग्राम प्रति एकड़ करें.
  • सिंगल सुपर फॉस्फेट 15-20 किलोग्राम हर एकड़ की दर से घोल का छिड़काव करें.
  • रासायनिक एवं जैविक उर्वरक के बीच का अन्तराल कम से कम 15 दिन होना चाहिए. पानी ज्यादा हरा होने पर चुना एवं रासायनिक उर्वरक का प्रयोग बन्द कर दें.
  • मौसम खराब रहने पर तालाब में पूरक आहार का प्रयोग नहीं करें.
  • तालाब में मछलियों को संक्रमण से बचाव हेतु प्रति माह 400 ग्राम प्रति एकड़ की दर से पोटॉशियम परमेंगनेट का प्रयोग घोल कर करें.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

जब पूरी जानकारी होगी तो नुकसान का चांसेज कम होगा और इससे मुनाफा ज्यादा होगा. इसलिए अगर आप मछली पालन करना चाहते हैं तो जरूरी है कि मछली को खाना खिलाया जाता है उसकी जानकारी तो कम से कम कर लें.
मछली पालन

Fish Farming: जानिए मछलियों की ग्रोथ की खुराक, सिर्फ हफ्ते में दो बार देनी होगी ये चीज

जब पूरी जानकारी होगी तो नुकसान का चांसेज कम होगा और इससे...

livestock animal news, Fish Farming,Fish Farming Benefits,Fisheries, Fish pond
मछली पालन

Fish Farming: इस तरह का चारा मछलियों को खिलाइए तो मिलेगा बेहतर रिजल्ट, बढ़ जाएगा मुनाफा

फिश एक्सपर्ट का कहना है कि मछलियों के उत्पादन पर काफी हद...