नई दिल्ली. भारत के अंडा एक्सपोर्ट सेक्टर को बड़ा झटका लगा है. दरअसल कतर के आयतकों ने अंडों के एक्सपोर्ट को लेकर एक शर्त लगा दी है. जिसके चलते भारतीय अंडो के एक्सपोर्ट पर इसका असर पड़ेगा. कतर की शर्त से पोल्ट्री सेक्टर की परेशानी भी बढ़ सकती है. कतर इंपोर्टर की ओर से कहा गया है कि उन्हें सिर्फ और सिर्फ डबल ए ग्रेड और ए ग्रेड वाले अंडे चाहिए. बताते चलें कि डबल ए ग्रेड के अंडों का वजन 70 ग्राम से ज्यादा होता है. जबकि ए ग्रेड का अंडे का वजन 60 से 69 ग्राम का होता है. जबकि इससे कम वजन वाले अंडे बी ग्रेड में आते हैं. अब अगर भारतीय कारोबारियों को कतर में भारतीय अंडे भेजना है तो उन्हें ग्रेडिंग करनी होगी और डबल ए ग्रेड या ए ग्रेड वाले अंडे भेजने होंगे.
गौतलब है कि तमिलनाडु के नमक्कल से कतर को भेजे जाने वाले अंडों की कैटेगरी बी में आती है. क्योंकि अधिकतर एंड 50 से 60 ग्राम के बीच के होते हैं. इसका मतलब साफ है कि कतर इन अंडों को अब इंपोर्ट नहीं करेगा. ऐसे में कहा जा रहा है कि हाल ही में कतर को भेजे गये करीब 5 करोड़ रुपये की कीमत कुल एक करोड़ अंडों के शिपमेंट को कतर की ओर से लेने से इनकार किया जा सकता है. दिक्कत यह भी है कि शिपमेंट पहले ही रास्ते में है और करीब 18 नवंबर तक कतर पहुंचने की संभावना है. इसके बाद अगर कतर की ओर से अंडे वापस किये जाते हैं तो नमक्कल के अंडा निर्यातकों को बड़ा नुकसान होगा.
क्या खराब क्वालिटी के हैं अंडे
कतर की शर्त से भारतीय पोल्ट्री में परेशानी बढ़ गई है. क्योंकि अभी तक कतर को भेजे जाने वाले अंडों की कोई ग्रेडिंग नहीं हो रही थी. पेटी में पैक करके ऐसे ही अंडे भेजे जा रहे थे. इस मसले को लेकर इंटरनेशनल एग कमीशन के प्रेसिडेंट और श्रीनिवास ग्रुप के एमडी सुरेश चित्तुरी कहते हैं कि मैं काफी समय से सरकार का इस ओर ध्यान आकर्षित करने की कोशिश कर रहा हूं कि भारत से एक्सपोर्ट होने वाले अंडों की क्वालिटी बेहद ही खराब है. यहां तक की एक्सपोर्टर गंदे एंड एक्सपोर्ट कर देते हैं. अंडों की साइज पर भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि कतर की ओर से इस तरह का फैसला होना ही था और इसकी आशंका भी जाहिर की जा चुकी थी. उन्होंने कहा कि कतर भले ही भारतीय बाजार से कम अंडे खरीदता है लेकिन उसके इनकार से भारतीय एक्सपोर्ट की साख को नुकसान पहुंचेगा.
कई देश करते हैं अंडों को इंपोर्ट
अंडा निर्यातक और पशुधन कृषि कृषक व्यापार संघ (LIFT) के महासचिव डॉ. पीवी. सेंथिल का कहना है कि 40 वर्षों से ज्यादातर भारतीय टेबल अंडों का आयतक रहा है. नमक्कल से बड़ी तादाद में अंडा निर्यात किया जाता है. नमक्कल जिले ने भारत के अंडा निर्यात में लगभग 95 फीसदी का योगदान दिया है. कतर के अलावा नमक्कल के अंडे श्रीलंका, ओमान, दुबई, मस्कट और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) जैसे देशों को भी निर्यात किए जाते हैं. कतर जैसे देश भारतीय अंडों को उनके गहरे पीले रंग की जर्दी और कम डिलीवरी समय के कारण पसंद करते हैं.
कतर के नियम पर उठाए सवाल
आपको बताते चलें कि भारतीय अंडों के एक्सपोर्ट में तुर्की भी एक प्रतिस्पर्धी के रूप में सामने आ चुका है. उसने अपने अंडों की कीमत भारतीय अंडों की तुलना में ज्यादा भी रखी है. सेंथिल का कहना है कि नमक्कल से 360 अंडों वाले कार्टन की कीमत 28 डॉलर है. जबकि इसके विपरीत तुर्की एक कार्टन के लिए 5 डॉलर अधिक लेता है. फिर भी तुर्की कतर के बाजार में अपनी पैठ बना रहा है. वहीं पोल्ट्री फार्मर्स फेडरेशन के सचिव एन के सरवनन ने कहा कि देश भर में उत्पादित टेबल अंडे का वजन आमतौर पर 50 से 60 ग्राम के बीच होता है, जो कतर के नियमों के पीछे के तर्क पर सवाल उठाता है. हालांकि अंडे का वजन केवल 50 से 60 ग्राम होता है, पोल्ट्री किसानों का कहना है कि नमक्कल के अंडों का पोषण मूल्य विश्व स्तर पर स्वीकृत मानकों के अनुसार बनाए रखा जाता है.
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