नई दिल्ली. पशुपालन में सबसे ज्यादा नुकसान पशुओं की बीमारी के चलते होता है. यदि एक बार पशु बीमार पड़ जाएं तो उत्पादन तो घटता ही है, साथ ही सेहत भी बुरी तरह से प्रभावित होती है. वहीं राजस्थान के कई जिलों में पशुपालकों के लिए बेहद ही सतर्क हो जाने वाली खबर सामने आ रही है. दरअसल, यहां पर कई जिलों में पाइक (कर्रा) बीमारी फैलने का अंदेशा है. जबकि इस बीमारी के चलते पशुओं की मौत भी हुई है. जिसके चलते शासन सचिव, पशुपालन डॉक्टर समित शर्मा की अध्यक्षता में प्रदेश के जैसलमेर जिले में पाइक (कर्रा) रोग के फैलाव को रोकने के संबंध में वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से एक समीक्षा बैठक की है.
इस दौरान निदेशक पशुपालन, डॉ आनंद सेजरा, अतिरिक्त निदेशक (दवा) व संयुक्त निदेशक, (स्वास्थ्य), तथा जोधपुर संभाग के अतिरिक्त निदेशक और विभिन्न जिला अधिकारियों ने भाग लिया. जहां शासन सचिव डॉ. शर्मा ने बताया कि बैठक में वर्तमान में इस बीमारी की स्थिति की समीक्षा की गई है. जिसमें पाया गया कि जैसलमेर जिले में कुल 36 तथा फलौदी क्षेत्र में दो पशुओं की मृत्यु दर्ज हुई है. कुछ दुधारू गोवंशीय पशुओं में भी इस रोग के लक्षण दिखाई दिए हैं. जोधपुर संभाग के अन्य जिलों जैसे पाली, जालौर, सिरोही, बाड़मेर तथा जोधपुर में इस प्रकार के रोग के लक्षण वाले केस वर्तमान में रिपोर्ट नहीं हुए हैं. गौरतलब है कि गए साल भी वर्षाे में भी जैसलमेर जिले में इस बीमारी से पशुओं की मृत्यु हुई थी.
बीमारी को लेकर सरकार हुई अलर्ट
उन्होंने बताया कि जैसलमेर जिले में पर्याप्त मात्रा में मिनरल मिक्सर एवं दवाएं उपलब्ध हैं. आने वाले महीने में रोग प्रकोप की संभावना के नियंत्रण के लिए जरूरी दवाएं और चार दलों का गठन कर आज ही जैसलमेर रवाना करने के लिए अतिरिक्त निदेशक जोधपुर को पाबंद कर दिया गया है. साथ ही जैसलमेर जिले में मृत पशुओं के त्वरित और वैज्ञानिक रूप से निस्तारण के लिए स्थानीय निकाय एवं जिला प्रशासन को कार्रवाई करने के निर्देश भी दे दिए गए हैं. संयुक्त निदेशक जैसलमेर को निर्देश दिया गया है.
इस वजह से होती है ये बीमारी
वहीं इसकी रोकथाम के लिए अधिक से अधिक प्रचार प्रसार करें ताकि पशुपालक अपने बीमार पशुओं के इलाज के लिए त्वरित सूचना विभाग और पशु चिकित्सा संस्थानों तक पहुंचाएं जिससे समय पर उचित इलाज की सुविधा मिल सके. जिला मुख्यालय पर इस हेतु कंट्रोल रूम की स्थापना करने के लिए भी निर्देश दे दिया गया है. बता दें कि ये बीमारी मुख्य रूप से पशुओं में हरे चारे तथा कैलिश्यम और फास्फोरस की कमी के कारण होती है. इसके कारण पशु मृत पशुओं की हड्डियों को खाने लगते हैं और इससे मृत पशुओं की हड्डियों से बोचुलिजम रोग के कीटाणु इन पशुओं में आ जाते हैं और रोग के फैलाव की स्थिति उत्पन्न होती है.
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