Home पशुपालन Pashu Mela: कैसे पशुओं से लें बेहतर उत्पादन, एक्सपर्ट ने दिए टिप्स, नस्ल सुधार पर भी पशु मेले में हुई चर्चा
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Pashu Mela: कैसे पशुओं से लें बेहतर उत्पादन, एक्सपर्ट ने दिए टिप्स, नस्ल सुधार पर भी पशु मेले में हुई चर्चा

मतलब पशु की अच्छी ग्रोथ के लिए जरूरी राशन-पानी दिया जाना चाहिए. वहीं प्रेग्नेंसी के वक्त किस तरह की डाइट दी जाए जो उसकी जरूरत पूरी हो सके. वहीं यदि अच्छा प्रोडक्शन चाहते हैं तो उस तरह से डाइट दी जानी चाहिए.
गडवासु के पशु मेले में भैंस को निहारते लोग.

नई दिल्ली. गुरु अंगद देव पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान यूनिवर्सिटी लुधियाना का दो दिवसीय पशुपालन मेला बेहतर पैदावार के लिए नस्ल सुधार के संदेश के साथ संपन्न हुआ. मेले में वैज्ञानिक आधार पर पशुपालन व्यवसाय विकसित करने के विचार के साथ बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए. इस दौरान राज्यसभा सांसद संजीव अरोड़ा ने विश्वविद्यालय प्रदर्शनी की बहुत सराहना की. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा बनाए जा रहे गुणवत्तापूर्ण उत्पाद बहुत अच्छी पहल है. उन्होंने किसानों को पशुओं के स्वास्थ्य की देखभाल के लिए जांच के महत्व को समझने के लिए प्रेरित किया.

उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि हमें डेयरी क्षेत्र को और विकसित करने की जरूरत है. किसानों को यूनिवर्सिटी से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित भी किया. हरचंद सिंह बरसट ने कहा कि यह विश्वविद्यालय पशुपालन पेशे के लिए बहुत महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है. उन्होंने कहा कि पंजाब मंडी बोर्ड के माध्यम से वे किसानों को यह संदेश दे रहे हैं कि फसल की पैदावार बढ़ाने के प्रयास करते हुए पशुपालन पेशे में भी नई जगह बनाएं.

जानें कैसे इन किसानों को मिल रहा ज्यादा फायदा
डॉ. सुखपाल सिंह ने कहा कि हमें पशुपालन पेशे को वैज्ञानिक तरीके से करना चाहिए. यह कृषि विविधीकरण में सबसे अच्छा विकल्प है. उन्होंने कहा कि मेरे पास आंकड़े हैं कि विश्वविद्यालय से जुड़े किसानों को अन्य किसानों की तुलना में अधिक फायदा मिलता है. हरप्रीत सिंह संधू ने विश्वविद्यालय की प्रशंसा करते हुए कहा कि मुझे यहां कई बार आने का मौका मिला है और हर बार मुझे कुछ नया विचार या अनुभव प्राप्त हुआ है. डॉ. राजबीर सिंह बराड़ ने कहा कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद पशुपालन व्यवसाय में विस्तार सेवाओं के माध्यम से अनेक नई पहल कर रही है. पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय लुधियाना भी अपनी विस्तार सेवाओं के माध्यम से किसानों तक पहुंचने के लिए निरंतर प्रयास कर रहा है, जो समय की मांग है.

महिलाएं भी इन व्यवसाय को कर सकती हैं
कुलपति डॉ. जतिंदर पाल सिंह गिल ने कहा कि नस्ल सुधार के माध्यम से हम कम पशुओं से अधिक उत्पादन हासिल कर सकते हैं. इससे न केवल हमारे पर्यावरण पर दबाव कम होता है, बल्कि हम कई अन्य परेशानियों और खर्चों से भी बचते हैं. उन्होंने यह भी संदेश दिया कि पशुपालकों को जब भी समय मिले विश्वविद्यालय में आकर विश्वविद्यालय की सेवाओं का लाभ उठाना चाहिए और विशेषज्ञों से मिलना चाहिए. विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. रविंदर सिंह ग्रेवाल ने कहा कि हमारे कुछ विभाग पशुपालन के लिए सेवाएं प्रदान कर रहे हैं जबकि अन्य पशुधन उत्पादों के मूल्य संवर्धन के क्षेत्र में हैं. ये पेशे उन्हें अच्छी आय अर्जित करने में मदद करते हैं. महिलाएं अपने घरेलू जिम्मेदारियों के साथ-साथ इन व्यवसायों को आसानी से कर सकती हैं.

बकरी पालन से भी हो सकती है कमाई
उन्होंने बताया कि सजावटी मछली पालन, एक्वेरियम निर्माण, फ्लेवर्ड मिल्क, लस्सी, पनीर, मीट अचार, मीट पैटी, मीटबॉल और मछली से बनने वाले कई व्यंजन इन व्यवसायों में आते हैं. उन्होंने बताया कि युवा उद्यमी बकरी और सुअर पालन में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. इस मेले में डेयरी एवं खाद्य विज्ञान प्रौद्योगिकी महाविद्यालय, पशुधन उत्पाद एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने दूध, मांस और अंडे के विभिन्न मूल्यवर्धित उत्पादों को प्रदर्शित किया. मत्स्य पालन महाविद्यालय ने भी मछली के मांस के मूल्यवर्धित उत्पादों की एक बड़ी संख्या प्रदर्शित की. इन स्टालों को लेकर लोगों में काफी उत्साह देखा गया. दूध और मांस उत्पादों के विकास के लिए प्रशिक्षण लेने के लिए किसान काफी उत्साहित थे. उन्होंने बताया कि बड़ी संख्या में किसानों ने स्टालों का दौरा किया और पशुधन के परजीवी रोगों के नियंत्रण के लिए अपनाए जाने वाले उपायों में गहरी रुचि दिखाई. पशु पोषण विभाग ने राज्य के डेयरी पशुओं के लिए कई पोषण संबंधी तकनीक विकसित की हैं, जिन्हें मेले में प्रदर्शित किया गया.

कम कीमत पर वाला मिनरल मिक्सचर बेचा
विश्वविद्यालय में तैयार उच्च गुणवत्ता वाले खनिज मिश्रण और यूरोमिन लिक को किफायती दाम पर बेचा गया. विशेषज्ञों ने पंजाब के डेयरी पशुओं में होने वाली आम बीमारियों जैसे स्तनदाह, खनिज विकार, पैर में लंगड़ापन और पेट के आगे के हिस्से में होने वाली बीमारियों के बारे में बताया. मत्स्य पालन महाविद्यालय ने कार्प मछली, कैटफिश और सजावटी मछलियों जैसी विभिन्न किस्मों की मछलियों को प्रदर्शित किया. किसानों ने अपने ज्ञान को बढ़ाने के लिए डेयरी फार्मिंग, पैकेज ऑफ प्रैक्टिसेज, यूनिवर्सिटी डायरी, विभिन्न पशुधन विषयों की पुस्तकें विश्वविद्यालय से खरीदीं. किसानों ने मासिक पत्रिका के लिए अपने नाम पंजीकृत कराए. इस दौरान डॉ. जी.एस. बेदी, निदेशक, पशुपालन, पंजाब, श्री हरप्रीत सिंह संधू, राज्य सूचना आयुक्त, डॉ. राजबीर सिंह बराड़, डीडीजी, (कृषि विस्तार) आईसीएआर, डॉ. परविंदर श्योराण, निदेशक अटारी, श्री इंद्रजीत सिंह, पूर्व निदेशक, डेयरी विकास पंजाब, प्रो. राजिंदर सिंह रानू, प्रोफेसर एमेरिटस, कोलोराडो और डॉ. सुलभा, पशु कार्यकर्ता ने दूसरे दिन इस अवसर पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई.

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