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Butter Sales: इस राज्य में 757 फीसद बढ़ गई सफेद मक्खन की बिक्री

व्हाइट बटर की तस्वीर.

नई दिल्ली. देश का राजस्थान राज्य डेयरी क्षेत्र में बेहतरीन काम कर रहा है. पशुपालन एवं डेयरी मंत्री जोराराम कुमावत ने हाल ही में आयोजित एक समीक्षा बैठक में इस और इशारा किया है. उन्होंने सरस ब्रांड को वर्ल्ड लेवल पर स्थापित करने की दिशा में किया जा रहे कामों की जानकारी मीडिया के सामने रखी है. उन्होंने बताया कि राज्य सरकार न केवल डेयरी उत्पादों की गुणवत्ता और उत्पादन पर जोर दे रही है, बल्कि इनोवेशन और आधुनिक तकनीक के जरिए से किसानों और पशुपालकों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने में भी काम किया जा रहा है.

मंत्री की ओर से बताया गया कि सरस व्हाइट बटर की बिक्री में 757 फ़ीसदी की अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की गई है. उन्होंने बताया मिठाई की बिक्री में 38 फीसदी, घी में 21 परसेंट, फ्लेवर्ड मिल्क में प्रशित और फ्रेश प्रोडक्ट की बिक्री में 18 परसेंट का इजाफा दर्ज किया गया है. जिसके चलते आरसीडीएफ और उससे जुड़े संघ ने मौजूदा वित्तीय वर्ष में 400 करोड़ रुपए से अधिक का फायदा कमाया है.

इनोवेशन की वजह से मिली सफलता
आरसीडीएफ और उससे जुड़े संघ होने इस बार 400 करोड़ रुपए से ज्यादा का फायदा कमाकर पिछले साल की मुकाबले 34 फीसदी ज्यादा मुनाफा कमाया है. मंत्री ने बताया कि इस कामयाबी के पीछे अमृतम अभियान जैसे इनोवेशन का अहम रोल है. इसके चलते पूरे राज्य में दूध की गुणवत्ता की जांच के लिए मोबाइल वैन और औचक निरीक्षण का सिलसिला शुरू किया गया है. अब तक 9182 नमूने लिए गए हैं. जिसमें से 5820 का निरीक्षण किया जा चुका है. साथ ही दूध का दूध पानी का पानी अभियान के जरिए उपभोक्ताओं में जागरूकता फैलाने के मकसद से 15060 सैंपलों को निशुल्क वितरित किया गया है.

125 मीट्रिक टन मिठाइयां बेची गईं
मंत्री ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई स्वरोजगार योजना के तहत 2024 तक 12265 आवेदन मिले हैं. जिसमें से 8250 को मंजूरी भी दे दी गई है. जिसमें युवा महिलाएं और स्वयं सहायता समूह के लिए स्वरोजगार के लिए नए दरवाजे खुल गए हैं. दीपावली के मौके पर एक जिला एक डेयरी उत्पादन की तरफ 125 मीट्रिक टन से ज्यादा मिठाइयां की राज्यभर में एक साथ बिक्री कर एक मिसाल बनाई गई थी. उपभोक्ता में अलवर का मिल्क केक और बीकानेर की सोनपापड़ी को खास तौर पर पसंद किया गया. वहीं राजस्थान का डेयरी उद्योग सिर्फ दूध उत्पादन तक ही सीमित नहीं है, बल्कि आत्मनिर्भर भारत में एक मजबूत दीवार का काम कर रहा है

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