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RAJUVAS: रजवास क्यों दे रहा बकरी-ऊंटनी के दुग्ध उत्पादन पर जोर, जानें क्या है इन पशुओं के दूध की खासियत

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प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली. वेटरनरी विश्वविद्यालय के संघटक पशुचिकित्सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय, बीकानेर एवं डेयरी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी महाविद्यालय, बीकानेर में ‘विश्व दुग्ध दिवस‘ के अवसर पर शनिवार को विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वेटरनरी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एस.के. गर्ग ने कहा कि विश्व दुग्ध दिवस “विश्व को पोषण देने के लिए गुणवत्तापूर्ण पोषण प्रदान करने में डेयरी की महत्वपूर्ण भूमिका” विषय पर मनाया जा रहा है. विश्व दुग्ध दिवस को मनाने का उद्देश्य आमजन को दुध की उपयोगिता एवं आर्थिक महत्व के प्रति जागरूक करना है ताकि दुग्ध एवं दुग्ध व्यवसाय से जुड़े पशुपालको, इंडस्ट्रीज एवं संस्थानों का आर्थिक उत्थान तथा आमजन को स्वच्छ एवं पौष्टिक दुग्ध एवं दुग्ध उत्पाद उपलब्ध हो सके. गाय एवं भैंस के दूध के साथ-साथ दूसरे संस्थानों से मिलकर बकरी एवं ऊटनी के दुग्ध के महत्व को भी आमजन तक पंहुचा

प्रो. गर्ग ने कहा कि भारत विश्व के कुल दूध उत्पादन का 25 प्रतिशत उत्पादन कर सबसे अधिक दुग्ध उत्पादन वाला देश है, लेकिन देश में दुध का प्रसंस्करण तुलनात्मक कम हो रहा है. दुध की गुणवत्ता सुधार कर एवं प्रसंस्करण को बढ़ावा देकर हम दुग्ध व्यवसाय एवं पशुपालकों को और अधिक आर्थिक सुद्दढ बना सकते है. पशु चिकित्सकों का कार्य क्षेत्र केवल बीमार पशुओं के ईलाज तक ही सीमित ना रहकर पशु उत्पादकता बढ़ाना भी है. वेटरनरी विश्वविद्यालय में डेयरी प्रौद्योगिकी महाविद्यालय शुरू हो जाने के साथ ही राज्य के पशुपालकों को इससे सीधा लाभ मिल सकेगा. सम्माननीय अतिथि डॉ. ओमप्रकाश (उरमूल डेयरी, बीकानेर) ने कहा कि गांव एवं ढाणियों से दुग्ध उत्पादन से जुड़े पशुपालकों को उनके उत्पादन को समुचित लाभ मिलना चाहिए. गाय एवं भैंस के दूध के साथ-साथ दूसरे संस्थानों से मिलकर बकरी एवं ऊटनी के दुग्ध के महत्व को भी आमजन तक पंहुचा रहा हैं हम पशुपालकों की समस्याओं का समाधान करके एवं उनकों उन्नत तकनीकों का हस्तांतरण करके दुग्ध उत्पादन को बढावा दे सकते है.

पशुओं के रख-रखरखाव की भूमिका के बारे में बताया
अधिष्ठाता वेटरनरी महाविद्यालय प्रो. ए.पी. सिंह ने कार्यक्रम के शुरू में स्वागत भाषण पशुओं के रख-रखरखाव की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में बतायादिया और दुग्ध के महत्व पर प्रकाश डाला. प्रति कुलपति एवं अधिष्ठाता डेयरी विज्ञान महाविद्यालय बीकानेर प्रो. हेमन्त दाधीच ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया एवं दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने में . कार्यक्रम के दौरान निदेशक मानव संसाधन विकास प्रो. बी.एन. श्रृंगी, निदेशक पी.एम.ई. प्रो. बसंत बेस, अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रवीन बिश्नोई, परीक्षा नियंत्रक प्रो. उर्मिला पानू सहित विश्वविद्यालय के शिक्षक, विद्यार्थी मौजूद रहे.

विभिन्न प्रतियोगिताओं में विद्यार्थी हुए सम्मानित
विश्व दुग्ध दिवस के उपलक्ष पर आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को भी इस अवसर पर सम्मानित किया गया. वाद-विवाद प्रतियोगिता में सुनील कुमार सोनी एवं दल प्रथम एवं युवराज एवं दल द्वितीय स्थान पर रहे. चित्रकला प्रतियोगिता में भुवनेश चौधरी एवं दल प्रथम तथा श्रवण कुमार एवं दल द्वितीय रहे. प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में अनिस कुमार विजेता तथा कुशाल उपविजेता रहे. निबंध लेखन प्रतियोगिता में रोशन चौधरी प्रथम एवं नव्या गहलोत द्वितीय स्थान पर रही.

ये खास बात है बकरी के दूध में
“औषधि” के रूप में बकरी के दूध के महत्व पर प्रकाश डाला. उन्होंने बकरी के दूध की इम्यूनोमॉड्यूलेटरी गतिविधि और विशेष रूप से मलेरिया और डेंगू के दौरान पैरासिटिमिया इंडेक्स को कम करने की इसकी क्षमता के बारे में कहा. उन्होंने यह भी कहा कि बकरी के दूध में मौजूद प्रोटीन उच्च रक्तचाप, हृदय रोग के खिलाफ निरोधात्मक प्रभाव डालता है और मानव शरीर में आवश्यक अमीनो एसिड का संश्लेषण करता है. गैर-गोजातीय प्रजातियों के दूध में कैल्शियम, प्रोटीन और विटामिन सहित आवश्यक पोषक तत्व होते हैं जो किण्वित दूध उत्पादों में प्रोबायोटिक्स के माध्यम से हड्डियों के स्वास्थ्य, मांसपेशियों की वृद्धि, हृदय स्वास्थ्य और आंत स्वास्थ्य का समर्थन करते हैं.

ऊंटनी के दूध भी है सेहत के लिए लाभकारी
राष्ट्रीय ऊँट अनुसंधान केन्द्र के निदेशक डॉ. अर्तबंधु साहू की मानें तो ऊंटनी के दूध के गुण आंत के स्वास्थ्य का समर्थन कर सकते हैं और ऑटिज्म से जुड़े लक्षणों में सुधार कर सकते हैं. उन्होंने आगे कहा कि ऊंटनी के दूध में विभिन्न यौगिक होते हैं जो संक्रामक रोगों के खिलाफ हमारी प्रतिरक्षा में सुधार करने में मदद करते हैं. इन प्रतिरक्षा बढ़ाने वाले यौगिकों में, लैक्टोफेरिन और इम्युनोग्लोबुलिन जैसे प्रोटीन अंश सूजन-रोधी, एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-वायरल गुण प्रदर्शित करके इस गतिविधि में प्रमुख योगदान देते हैं.

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