Home पोल्ट्री Poultry: यहां पढ़ें क्यों होती है मुर्गियों को फाउल पॉक्स बीमारी, कितनी है खतरनाक, क्या है इसका इलाज
पोल्ट्री

Poultry: यहां पढ़ें क्यों होती है मुर्गियों को फाउल पॉक्स बीमारी, कितनी है खतरनाक, क्या है इसका इलाज

poultry farming
प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. वैसे तो मुर्गियों को कई बीमारियां होती हैं लेकिन मुर्गियों में होने वाला फाउल पॉक्स खतरनाक संक्रामक वायरल रोग है. ये सिर्फ मुर्गियों को ही नहीं प्रभावित करता है बल्कि टर्की समेत कई पक्षियों को संक्रमित करता है. एक्सपर्ट का कहना है कि ये बीमारी तो तरह की होती है. सूखा चेचक और दूसरा गीला चेचक. सूखा चेचक बीमारी सबसे आम है. पोल्ट्री एक्सपर्ट बताते हैं कि यह रोग धीमी गति से फैलता है. वहीं दोनों प्रकार में गीला चेचक बीमारी ज्यादा गंभीर मानी जाती है. इसमें मृत्युदर बहुत ज्यादा होती है. वहीं इससे अंडे के उत्पादन में कमी आती है और चूजों की ग्रोथ रुक जाती हे.

पोल्ट्री एक्सपर्ट कहते हैं कि फाउल पॉक्स का कोई इलाज नहीं है इसलिए ये और ज्यादा गंभीर बीमारी मानी जाती है. हालांकि इस बीमारी से बचाव जरूर किया जा सकता है. इसके लिए जरूरी है कि चूजों का वैक्सीनेशन करा दिया जाए. वैक्सीनेशन कराने से इस बीमारी से मुर्गियों को बचाया जा सकता है. आइए जानते हैं कि ये बीमारी कैसे होती है.

कैसे होती है ये बीमारी
एक्सपर्ट के मुताबिक यह छोटी-छोटी फुंसियों की बीमारी है. बीमारी असर कलंगी, आंख की पुतलियों और सिर की स्किन दिखाई देता है. यह रोग हर उम्र की मुर्गियों में हो सकता है. ये बीमारी वाइरस (पॉक्स वायरस) के कारण होती है. इसके प्रसार की बात की जाए तो रोगी मुर्गी के सम्पर्क से रोग फैलता है. इसलिए बीमार मुर्गियों को स्वस्थ मुर्गियों से अलग कर देना चाहिए. वहीं मच्छर, बाहरी परजीवी और जंगली पक्षी भी रोग के प्रसार में मददगार होते हैं.

क्या हैं बीमाारी के लक्षण
इस बीमारी में कई लक्षण दिखाई देते हैं. जिन्हें तीन तरह से बांटा गया है. स्किन वाले को सामान्य प्रकार कहा जाता है. इसमें कलगी, चेहरा, गुदा, डैनों के भीतरी भाग में हल्के भूरे रंग के छोटे-छोटे दाने निकल आते हैं. ये बाद में पीले रंग के हो जाते हैं. 3-4 हफ्ते के बाद दाने सूखने लगते हैं. दूसरे टाइप की बात की जाए तो मुंह में लक्षण दिखाई देते हैं. मुंह के अन्दर की झिल्ली पर दाने और जुबान पर छाले हो जाते हैं. मुखगुहा, गले एवं नासिका से गाढ़ा मवाद वाला पानी निकलने लगता है. वहीं सांस लेने में दिक्कत होने लगती है.

वैक्सीनेश से हो सकता बचाव
तीसरे तरह के लक्षण की बात की जाए तो आंखों से पानी बहता है. आंखों व पलकों पर दाने निकलते हैं. टेंप्रेचर स्केल में इजाफा हो जाता है. मुर्गियां फीड लेना बंद करने लगती हैं. वहीं इससे अंडों के उत्पादन में भी कमी आ जाती है. बहुत तेजी के साथ मौत होने लगती है. एक्सपर्ट के मुताबिक लेयर पक्षियों में 6 से 8 सप्ताह की उम्र पर फाऊल पॉक्स रोग के बचाव के लिए टीकाकरण किया जाना चाहिये. इसका उपचार रोग से बचाव ही है. इसलिए लेयर पक्षियों में टीकाकरण आवश्यक है.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

Maize crop, green fodder, green fodder for animals, fodder, fodder news
पोल्ट्री

Maize: 1500 एकड़ खेत में लगाई मक्का, भुट्टा छीलते ही दंग रह गए किसान, जानें क्यों

किसानों का कहना है कि कर्ज कहां से अदा किया जाए, ये...

egg news, livestock animal news.com. Poultry Federation of India
पोल्ट्री

Egg: अंडे को डाइट में शामिल करने के क्या हैं फायदे, इन 8 बड़ी हस्तियों और संगठनों ने बताया

इंडियन पोल्ट्री इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (ईपीमा) ने अंडे से जुड़ी अफवाहें दूर...