नई दिल्ली. एक्सपर्ट का ऐसा मनना है कि पशुओं की उत्पादन क्षमता पर सबसे ज्यादा असर उन्हें होने वाली बीमारी की वजह से होता है. अगर पशुओं को बीमार होने से बचा लिया जाए तो फिर दूध उत्पादन क्षमता अपने आप सही रहेगी. हालांकि ये संभव नहीं हो पाता है. क्योंकि पशुओं के बीमार होने की कई वजहें हैं, जिसमें पशुपालकों में जानकारी का न होना भी शामिल है. इसलिए जरूरी है कि पशुपालकों को पशुओं से जुड़ी हर जानकारी को कर लेना चाहिए. याद करने मे दिक्कत हो तो इसे लिख लेना चाहिए. कई पशुपालक भाइयों को ये भी पता नहीं होता है कि पशुओं को वैक्सीन कब लगवाई जाती है.
इतना ही नहीं वैक्सीन लगवाने के दौरान क्या सावधानी बरतनी चाहिए. किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, इन सब चीजों की जानकारी होना बेहद ही अहम है. अगर ये जानकारी नहीं होगी तो फिर ज्यादा फायदा नहीं होगा. वहीं वैक्सीनेशन कराने के बाद भी कई बार ये कारगर साबित नहीं होता है. इसलिए भी ये बेहद जरूरी है कि किसान भाई उन वजहों को जानते रहें जिसकी वजह से वैक्सीनेशन कराने का फायदा नहीं होता है. इस आर्टिकल में हम आपको कुछ प्वाइंट में वैक्सीनेशन कराने के दौरान ध्यान देने वाली बातों और वैक्सीनेशन कैसे फेल हो जाता है, इसके बारे में बताने जा रहे हैं.
वैक्सीनेशन के दौरान इन बातों पर दें ध्यान
टीकाकरण के समय पशु का हेल्दी होना बेहद ही जरूरी होता है.
जहां भी निर्धारित किया है वहां पर टीके को फ्रिज में तब तक रखा जाना चाहिए जब तक कि उसे पशु में लगा नहीं दिया जाए.
दवा बनाने वाली कंपनी के द्वारा दिए सभी निर्देशों को मानन बेहद ही जरूरी होता है.
रोगों के सही तौर पर नियंत्रण के लिए टीकाकरण कवरेज कम से कम 80 फीसदी पशुओं में होना चाहिए.
वैक्सीनेशन को अंजाम देने के 2-3 सप्ताह पहले पशुओं को कृमिनाशक दवा खिलाना फायदेमंद होता है. इससे उनमें बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ जाती है.
बीमारी होने के अंदेशा हो तो कम से कम एक माह पहले वैक्सीन लगवा लेनी चाहिए.
गर्भ की पहले वाली अवस्था में पशु के वैक्सीनेशन से बचना चाहिए. ज्यादातर मामलों में कुछ भी गलत नहीं होगा.
क्यों वैक्सीनेश से नहीं मिलता है फायदा
वैक्सीन बनने से वैक्सीनेशन तक कोल्डचैन को कायम रखने में होने वाली दिक्कत.
कमजोर और गैर पोषित पशुओं में बहुत कम या कम रोग-प्रतिरोधक रिस्पांस करने की क्षमता.
समूह के कुछ ही पशुओं का टीकाकरण किए जाने पर पूरे समूह में बीमारियों से लड़ने की क्षमता का कम होना.
वैक्सीन की घटिया क्वालिटी बार-बार लिक्विड और ठंडा करने पर क्वालिटी गिर जाती है.
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