नई दिल्ली. मुर्गी पालन एक फायदेमंद व्यवसाय है. पोल्ट्री एक्सपर्ट कहते हैं कि किसी भी तरह की मुर्गी पालन में इसका फायदा काफी हद तक मुर्गी के पोषण पर निर्भर करता है. पोल्ट्री एक्सपर्ट के मुताबिक अगर पोल्ट्री फार्मर पाली गई मुर्गियों को अच्छा पोषण देते हैं तो उनका विकास तेजी के साथ और अच्छा होता है. अगर विकास तेजी के साथ होगा तो फायदा भी ज्यादा मिलेगा. आजकल बाजार में मुर्गियों के लिए आसानी से पोषित आहार मिल जाता है. जिसे खरीद कर मुर्गियों को दिया जा सकता है और अगर आप बाजार से नहीं भी खरीदना चाहते हैं तो आप इसे घर पर भी तैयार करके खिला सकते हैं.
पोल्ट्री एक्सपर्ट डॉ. इब्ने अली का कहना है कि देशी मुर्गी पालन में आहार तैयार करते समय एक बात का ख्याल जरूर रखना चाहिए कि उसमें किसी भी तरह की कोई दूषित या कोई हानिकारक चीज न मिली हो. क्योंकि ऐसा होने पर मुर्गियों की मौत भी हो सकती है. जिससे मुर्गी पालन के व्यवसाय में नुकसान होने लगता है. या ये कहें कि फायदा नुकसान में तब्दील हो सकता है. जबकि कोई भी नहीं चाहेगा कि उन्हें नुकसान उठाना पड़े.
इस नस्ल की मुर्गी पालने का है ज्यादा फायदा
अगर आप देशी मुर्गी पालन करने जा रहे हैं तो ये जान लें कि देसी मुर्गी के लिए प्रमुख नस्ल श्रीनिधि, वनराजा, हाजरा मुर्गी, देशी कोयलर मुर्गी, देशी सोनाली मुर्गी प्रमुख होती हैं. इसमें देशी सोनाली मुर्गी पालना बेहद फायदेमंद है. डॉ. इब्ने अली के मुताबिक ये मुर्गी तीन से चार महीने में 1 किलोग्राम की हो जाती है. वहीं सोनाली मुर्गी मीट और अंडा उत्पादन के लिए सबसे उपयुक्त मुर्गी मानी जाती है. सोनाली मुर्गी साल भर में 190 अंडे तक उत्पादन करती है, जिसको बेचकर मुर्गी पालक अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. वहीं इसके मीट से भी कमाई की जा सकती है.
देसी मुर्गी पालन के फायदों के बारे में पढ़ें
देसी मुर्गी पालन के फायदों की बात की जाए तो देसी मुर्गी का मीट ज्यादा स्वादिष्ट और पौष्टिक होता है. इसलिए इसे पालने में ज्यादा फायदा मिलता है. वहीं देसी मुर्गी के मीट की बाजारों में अधिक डिमांड रहती है और इस नस्ल की मुर्गियों की भी डिमांड ज्यादा होती है. बाजार में इसका अच्छा दाम मिलता है. वहीं किसान भाई बैकयार्ड में भी इसका पालन कर सकते हैं. गरीब किसान देसी मुर्गी पालन को अपनी कमाई का जरिया बना सकते हैं. देसी मुर्गी पालन कम लागत में भी किया जा सकता है. आमदनी बढ़ाने में किसानों को अतिरिक्त साधन भी देसी मुर्गी पालन बन सकता है.
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