Home पशुपालन Sheep Farming: इन भेड़ों को तुरंत रेवड़ से निकालकर कर दें बाहर, नहीं तो होगा नुकसान, पढ़ें डिटेल
पशुपालन

Sheep Farming: इन भेड़ों को तुरंत रेवड़ से निकालकर कर दें बाहर, नहीं तो होगा नुकसान, पढ़ें डिटेल

muzaffarnagari sheep weight
मुजफ्फरनगरी भेड़ की प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. भेड़ों के रेवड़ को अच्छा बनाये रखने के लिए जरूरी और सही प्रबंध एवं स्वास्थ्य की व्यवस्था के साथ-साथ अनुपयोगी भेड़ों को छाटंना भी बहुत जरूरी होता है. एक्सपर्ट का कहना है कि यहां सबसे ज्यादा ध्यान देने वाली बात ये है कि आपके रेवड़ में अधिक व उत्तम ऊन देने वाली भेड़ें कितनी है. अगर वो कम हैं तो कोई मसला नहीं है. जबकि मोटी ऊन देने वाली अधिक भेड़ों हैं तो ये काई अच्छी बात नहीं. बल्कि यही छटंनी का उत्तम समय है. हो सकता है कि आप ये पढ़कर हैरान भी हो गए हों लेकिन यही सही है.

जब भेड़ों की ऊन कतरी जानी हो, क्योंकि ऊन कतरते समय उनकी ऊन के गुणों की जांच की जा सकती है. कतरन के बाद उनके शरीर की रचना की जांच भी हो जाती है. इसके बाद आप रेवड़ों से छटनी कर सकते हैं. हालांकि कई और बातें भी हैं, जिनकी जांच के बाद आप भेड़ों की छटनी कर सकते हैं. आइए इसके बारे में यहां जानते हैं.

किन भेड़ों को रेवड़ से निकाल देना फायदेमंद है

1 जिनके शरीर पर ऊन समान रूप से न होती है.

2 जिन भेड़ों की ऊन काली या काले धब्बे वाली हो .

3 जिनके शरीर पर मोटे बाल हों.

4 जिनके शरीर पर बहुत कम ऊन पैदा होती हों.

5 जिनकी ऊन अधिक पीली हो.

6 जिनकी ऊन का वनज रेवड़ की औसत वनज से कम हों.

7 जिनके एक या दो स्तन खराब हों.

8 जो कम दूध देती हो.

9 जो अपनी नस्ल का प्रतिनिधितव न करती हो.

10 जिनके कतरन दांत टूट या घिस गये हों.

11 जिनका ऊपर या नीचे का जबड़ा बड़ा हो.

12 जिनकी टांगें खराब हो.

13 जिनके कन्धे कम चौड़े हों.

14 जिनकी कोहनियां चलते समय आपस में भिड़ती हों.

15 जिन भेड़ों में प्रजनन कार्य ठीक न हो.

इन बातों का ध्यान रखना चाहिए

1 उनके शरीर पर काले धब्बे न हो.

2 वे अपनी नस्ल का प्रतिनिधित्व करते हों.

3 उनकी टांगे टेढी न हों.

4 वे किसी संक्रामक रोग से पीड़ित न हों.

नर भेड़ को छांटते समय इन बातों का ध्यान रखना चाहिए

1 उनकी आयु पांच-छः वर्ष से अधिक हो.

2 उनकी वीर्य उच्च कोटि का न हो.

3 उनका ऊन मोटी व वनज में कम उतरती हो.

प्रजनन काल के समय ध्यान रखने योग्य बाते :

1 भेड़ की जननेन्द्रिय और पार्श्ववर्ती अंगों के चारों और से ऊन के गुच्छे काट देने चाहिए.

2 भेडों को मेढे द्वारा गर्भित करने की तिथि नोट कर लेनी चाहिए .

3 मेढों के खुरों को छांट देना चाहिए ताकि मादा भेड़ों को नुकसान न पहुंचे 1 अगर शरीर पर ज्यादा ऊन हो तो उसे भी काट देना चाहिए.

4 भेड़ों के समूह में खस्सी मेढ़ों को रखना चाहिए 1 ऐसे मेढ़ों को दो समूहों में बांट कर उन मे से प्रत्येक को अदल बदल कर रात्रि के समय भेड़ों के साथ रखना चाहिए.

Written by
Livestock Animal News

लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज (livestockanimalnews.com) एक डिजिटल न्यूज प्लेटफार्म है. नवंबर 2023 से ये लगातार काम कर रहा है. इस प्लेटफार्म पर एनिमल हसबेंडरी () यानि मुर्गी पालन, डेयरी (), गाय-भैंस, भेड़-बकरी, घोड़ा, गधा, मछली और पशुपालन, चारा, पशु चिकित्सा शि‍क्षा से जुड़ी खबरें पढ़ने को मिलती हैं. ऐग और चिकन के रोजाना बाजार भाव भी इस प्लेटफार्म पर प्रकाशि‍त किए जाते हैं. नेशनल मीडिया जैसे न्यूज18 हिंदी, हिन्दुस्तान, अमर उजाला, दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर में काम कर चुके पत्रकार (रिर्पोटर) की टीम लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज के लिए खबरें और स्टोरी लिखती है. केन्द्र सरकार के Poultry, Cow, Buffalo, Goat, Sheep, Camel, Horse (Equine), Fisheries, Donkey, Feed-Fodder and Dairy रिसर्च इंस्टीट्यूट के साइंटिस्ट से बात कर उनकी रिसर्च पर आधारित न्यूज-स्टोरी लिखी जाती हैं. इसके साथ ही लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज प्लेटफार्म पर एनिमल साइंस और वेटरनरी कॉलेज-यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और एक्सपर्ट से बात करके खबरें लिखी जाती हैं और उनके लिखे आर्टिकल भी पब्लिूश किए जाते हैं. ये सभी स्टोरी और स्टोरी से जुड़े वीडियो सोशल मीडिया फेसबुक, यूट्यूब (YouTube), इंस्टाग्राम, एक्स (ट्विटर) और लिंक्डइन पर शेयर किए जाते हैं. पशुपालकों की सक्सेट स्टोरी लिखी जाती हैं. उसी सक्सेस स्टोरी के वीडियो बनाकर उन्हें लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज के यूट्यूब चैनल पर पब्लिैश किया जाता है. अंग्रेजी में भी न्यूज और आर्टिकल पब्लिाश किए जाते हैं. लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज पशुपालन, मछली पालन, मुर्गी पालन और डेयरी से जुड़े विषयों पर होने वाली सेमिनार, वर्कशॉप और एक्सपो को भी कवर करता है. साथ ही एनिमल हसबेंडरी मंत्रालय से जुड़ी खबरें भी कवर करता है. बाजार में आने वाले नए प्रोडक्ट की जानकारी भी इस प्लेटफार्म पर दी जाती है.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

तोतापरी की बकरी के पालन में बहुत ही कम लागत आती है. तोतापुरी या तोतापरी बकरी कम लागत में पालकर मोटी कमाई की जा सकती है.
पशुपालन

Goat Farming: कितने वक्त के लिए हीट में रहती है बकरी, क्या है इसकी पहचान, जानें यहां

हीट में आई बकरियों की मदकाल (गर्मी) में आने के 10-12 घण्टे...

camel farming
पशुपालन

Animal Husbandry: ऊंट पालन को फायदेमंद बनाएगी सरकार, दूसरे राज्यों में ले जाना होगा आसान

पशुपालन मंत्री जोराराम कुमावत ने बताया कि अन्य राज्यों में ऊंट ले...

गोवंश के लिए योगी सरकार ने समाज को भी इस अभियान का हिस्सा बनाते हुए कई प्रोत्साहन योजनाएं चला रखी हैं.
पशुपालन

Dairy: दुधारू पशुओं की सेहत से लार का क्या जुड़ाव है, जानें यहां

आपको बता दें कि कई बार एलर्जी और जहरीला पदार्थ खाने से...

अच्छी फसल और अच्छी नस्ल दोनों पशुपालन में मायने रखती हैं. ठीक उसी प्रकार बकरी पालन में भी ये नियम मायने रखता है.
पशुपालन

Goat: मीट और दूध उत्पादन के लिए पालें किस नस्ल की बकरी, जानें यहां

भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) की मानें तो बकरी पालन में...