नई दिल्ली. अक्सर आपने सुना होगा कि पशुपालक पशुओं के दूध उत्पादन को लेकर परेशान रहते हैं. दूध का उत्पादन बढ़ाने के लिए कोशिश करते हैं. वहीं देश के राज्य मध्य प्रदेश में मामला उलटा है. यहां के सांची ज्यादा दूध उत्पादन से परेशान हैं. तभी तो डेयरी फेडेरेशन ने इस मामले में सरकार से मदद मांगी है और अपील की है कि राज्य में सरकार की ओर से संचालित एमडीएम में और आंगनवाड़ी योजनाओं में दूध को शामिल किया जाए. ताकि जो प्रतिदिन 30 प्रतिशत से अधिक अतिरिक्त दूध मिल रहा है उसका इस्तेमाल किया जा सके.
बताते चलें कि महासंघ के सहायक महाप्रबंधक असीम निगम ने कहा कि ‘दूध की आपूर्ति प्रदेश में ज्यादा है. हम हर दिन लगभग 30 प्रतिशत अधिक दूध एकत्रित कर रहे हैं. दरअसल, राज्य में लगभग 7 लाख लीटर की रोजमर्रा की जरूरत है. इसके मुकाबले 10 हमें लाख लीटर मिल रहा है.
2.5 लाख किसान महासंघ से जुड़े हैं
उन्होंने कहा कि इस अंतर की वजह से स्टॉक बढ़ गया है. इसलिए, हमने सरकार से एमडीएम और अन्य सरकारी योजनाओं में दूध को शामिल करने का आग्रह किया है. ताकि दूध को स्टोर करने की जरूरत न पड़े और लोगों को दूध के जरिए प्रोटीन भी दिया जा सके. खासकर के एमडीएम में दूध शामिल होने से बच्चों को इसका फायदा होगा. बता दें कि मध्य प्रदेश के 10,000 गांवों के 2.5 लाख से अधिक किसान महासंघ से जुड़े हुए हैं. उन्होंने आगे कहा कि हमने कुछ दूध की आपूर्ति के लिए दिल्ली दुग्ध योजना के साथ समझौता किया है. इससे पहले हमने कोल्हापुर डेयरी को भी सप्लाई की थी लेकिन उन्होंने अब खरीदना बंद कर दिया है.’
4 हजार टन मक्खन हुआ स्टोर
आगे कहा कि हम बहुत कम मार्जिन पर काम करते हैं और ऐसी स्थिति में फेडरेशन पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है.’महासंघ के पास अतिरिक्त दूध के परिणामस्वरूप राज्य में लगभग 4,000 टन मक्खन और पाउडर का भंडार हो गया है. इंदौर सहकारी दुग्ध संघ में दूध का संग्रह बढ़कर लगभग 4 लाख लीटर हो गया है और मक्खन और पाउडर का स्टॉक 1,000 टन से अधिक हो गया है. फेडरेशन गर्मियों में पैकेज्ड दूध की मांग में उछाल की उम्मीद कर रहा है और गर्मी के महीनों में मक्खन और पाउडर के स्टॉक का उपयोग करने की योजना बना रहा है.
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