नई दिल्ली. गोवंशीय पशुओं में सेक्सड सॉर्टेड सीमन के जरिए पशुपालक अपनी पसंद का पशु पैदा करा सकते हैं. मतलब ये है कि 90 फीसदी मामले में उन्हें बछिया मिलती है. जिससे डेयरी फार्म के उनके काम उन्हें सहूलियत मिलती है. इससे उनके फार्म में ज्यादा दुधारू पशु हो जाते हैं और इससे दूध उत्पादन बढ़ जाता है. सरकार भी सेक्सड सॉर्टेड सीमन के इस्तेमाल को बढ़ावा देने का काम कर रही है ताकि दूध उत्पादन बढ़े. इसके अलावा भी इस तरीके को अपनाने के कई और फायदे भी हैं. जिससे तमाम लोगों को फायदा पहुंचता है.
गोवंशीय पशुओं में सेक्सड सॉटेड सीमेन के उपयोग की योजना उत्तर प्रदेश में चलाई जा रही है. बता दें कि कृषि के काम में मशीनीकरण ने अपना स्थान मजबूती से बना लिया है. इससे स्वदेशी गोवंश का इस्तेमाल कृषि में न के बराबर हो गया है. इसके चलते नर गोवशों की संख्या बढ़ रही है. बेसहारा नर गोवंश की संख्या लगतार बढ़ने के कारण किसानों की फसलों का नुकसान हो रहा है.
साल 2019 में शुरू हुई थी योजना
बेसहारा नर गोवंश और कम गुणवत्ता की मादा गायों को कम करने के उद्देश्य से सेक्सड सॉर्टेड सीमन का उत्पादन हापुड में किया जा रहा है. गोवंशीय पशुओं में सेक्सड सीमेन के उपयोग की योजना के तहत इस सेंटर को स्थापित किया गया है. योजना के तहत बाबूगढ़ स्थित प्रयोगशाला पर वर्गीकृत वीर्य उत्पादन किया जा रहा है. इस तरीके से हासिल सीमेन स्ट्राज से कृत्रिम गर्भाधान के बाद लगभग 90 फीसदी मामलों में उच्च गुणवत्ता की बछिया हासिल की जा सकती है. योजना के तहत बछिया हासिल करने वाले वीर्य द्वारा कृत्रिम गर्भाधान का कार्य नवम्बर 2019 से यूपी में चल रहा है.
क्या है योजनना उद्देश्य
इस योजना के मकसद की बात की जाए तो उच्च गुणवत्ता वाली स्वदेशी प्रजातियों के वर्गीकृत वीर्य का उत्पादन व वितरण और प्रदेश में बेसहारा गोवंशों की संख्या को नियंत्रित करना है. योजना पूरी तरह से नई तकनीकी पर आधारित है, जिसमें माइक्रोफ्लूडिक व लेजर तकनीक के माध्यम से वीर्य में उपस्थित एक्स और वाई क्रोमोसोमधारक शुक्राणुओं को चिन्हित किया जाता है. इसके बाद लेजर विधि द्वारा वाई क्रोमोसोमधारक शुक्राणुओं को मृत कर दिया जाता है, जिससे वीर्य में खासतौर पर एक्स क्रोमोसोमधारक शुक्राणु ही जीवित रहते हैं. योजना प्रदेश के सभी (75) जनपदों में भारतीय गोवंश प्रजातियों के गोवंशीय पशुओं में ही सेक्स्ड सीमेन के प्रयोग द्वारा संचालित की जा रही है.
कम पैसों में हो रही है एआई
पशुपालकों को प्रोत्साहित करने के लिए बुन्देलखण्ड क्षेत्र को छोड़कर अन्य जनपदों के पशुपालकों से सेक्सड सीमेन द्वारा कृत्रिम गर्भाधान के लिए प्रति कृत्रिम गर्भाधान 300 रुपए और बुन्देलखण्ड क्षेत्र के जिलों में प्रति कृत्रिम गर्भाधान के लिए 100 रुपए पशुपालकों से लिया जा रहा है. उत्तर प्रदेश पशुधन विकास परिषद के माध्यम से कोषागार में जमा की जाती है. वहीं 01 अप्रैल 2023 से समस्त जनपदो में लेवी 100/- प्रति गर्भाधान के लिए लिया जा रहा है.
Leave a comment