नई दिल्ली. झींगा पालन से ग्रामीण और छोटे क्षेत्र में अच्छी कमाई हो सकती है. इसे कम पूंजी वाले लोग भी कर सकते हैं और धीरे—धीरे अपना कारोबार बढ़ा सकते हैं. आपको बता दें कि एक हेक्टेयर में झींगा की फसल से करीब 10 लाख रुपए तक का मुनाफा हो सकता है. झींगा पालन आपको ये बता दें कि झींगा पालन के लिए तालाब या टैंक का इस्तेमाल किया जाता है. इसके लिए 25 से 30 डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान सही माना जाता है. झींगा पालन के लिए चिकनी, दोमट या बलुई मिट्टी बेहतरीन मानी जाती है. जान लें कि झींगा सर्वाहारी होता है और जिंदा शिकार, जैसे मछली घोंघे कीड़े या और कुछ जीवित पौधे भी खाना पसंद करता है. जबकि झींगा की फसल लगभग 6 महीने में बाजार के लिए तैयार हो जाती है.
ताजा पानी में जलजीव पालन यानि झींगा और मछली पालन पर गौर किया जाए तो साल दर साल इसमें बढ़ोतरी ही हुई है. आंकड़ों पर गौर करेंगे तो हर साल इसमें 6 फीसदी की ग्रोथ हो रही है. इस काम में आने वालों की संख्या भी बढ़ रही है. यही वजह है कि जहां 1980 में पानी में जलजीव पालन (aquatic life) के जरिए जहां मात्र 3.7 लाख टन का उत्पादन होता था लेकिन 2010 आते-आते दस गुना बढ़कर 40.3 लाख टन को पार हो गया था. जबकि भारत सरकार के मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के द्वारा जारी मौजूदा वक्त के आंकड़ों पर गौर करें तो ये अब 80 लाख टन के पार पहुंच गया है. इससे पता लग रहा है कि ये आंकड़े आगे चलकर और बढ़ेंगे.
कई देशों में है भारतीय झींगे की डिमांड
बात की जाए अगर झींगा की तो भारत में उत्पादित होने वाले गैर समुंद्री झींगा की इंटरनेशनल लेवल पर बहुत मांग होती है. हाल ये है कि अमेरिका चीन जैसे देश तो तो इस झींगा के दीवाने हैं. वहां भारतीय झींगा की ज्यादा डिमांड है. हालांकि दूसरी ओर देश में डिमांड कम है. इसके चलते भारत मं भी झींगा की डिमांड बढ़ाने का काम किया जा रहा है. हो सकता है कि बहुत से लोगों के मन में ये सवाल उठता हो कि झींगा पालन काम करना चाहिए या नहीं. इस आर्टिकल में हम आपको झींगा पालन क्यों करना चाहिए, ये बताने जा रहे हैं, जिससे आपक खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि ये काम करना चाहिए कि नहीं.
सरकार झींगा फार्मिंग के लिए देती है मदद
वहीं खारे पानी में झींगा उत्पादन के लिए भी सरकार की ओर से मदद की जा रही है. झींगा किसानों को नए तालाब निर्माण और पहले वर्ष में उत्पादन के रूप में मत्स्य बीज, फीड आदि खरीदने के लिए सरकार आर्थिक मदद करेगी. अगर इन खर्चों को जोड़ दिया जाए तो सरकार की ओर से 6 लाख रुपए इसका रेट तय किया गया है. जिसपर सामान्य वर्ग के लोगों को 2 लाख 40 हजार रुपए आर्थिक मदद दी जाएगी. जबकि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति वर्ग और सभी महिला वर्ग और सहकारी समितियां को 60 फीसदी यानी 3 लाख 60 हजार रुपए का अनुदान दिया जाएगा.
Leave a comment