नई दिल्ली. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर बरेली के मीरगंज क्षेत्र में गोला नदी के किनारे कछुओं को संरक्षित करने के उद्देश्य से 15 हेक्टेयर क्षेत्र में ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिये वेटलैंड विकसित किया जा रहा है. ये वेटलैंड पश्चिमी उत्तर प्रदेश का पहला कछुआ संरक्षण क्षेत्र बनने जा रहा है. मीरगंज क्षेत्र में गोला नदी के किनारे स्थित डिवना वेटलैंड क्षेत्र में एक हजार से ज्यादा कछुओं की मौजूदगी दर्ज की गई है, जिसके आधार पर इसे संरक्षित क्षेत्र घोषित करने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है. वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) के सर्वे में कछुओं की प्रजातियों और उनकी उपस्थिति के बारे में जानकारी हुई है.
बता दें कि ये प्रस्तावित कछुआ संरक्षण क्षेत्र करीब 15 हेक्टेयर में फैला है. इस क्षेत्र को कछुआ संरक्षण के लिए विज्ञान आधारित तरीके से विकसित करेगा. ताकि यहां की जैव विविधता संरक्षित रह सके. खास बात यह है कि इस क्षेत्र में ट्राइनॉक्स, जियोचेलोन एलिगेंस और सॉफ्टशेल कछुओं की संख्या सबसे अधिक पाई गई है, जो जैविक रूप से बेहद महत्त्वपूर्ण प्रजातियां हैं.
अवैध कब्जों को भी हटाया जाएगा
वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) की योजना है कि कछुओं के प्राकृतिक आवास को संरक्षित करते हुए स्थानीय ग्रामीणों को भी पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक किया जाए. इसके लिए उन्हें प्रशिक्षण, सहभागिता और वैकल्पिक आजीविका के अवसर भी मुहैया कराए जाएंगे. इस पहल से जैविक संरक्षण के साथ-साथ सामुदायिक सहभागिता भी सुनिश्चित होगी. डब्ल्यूडब्ल्यूएफ ने वेटलैंड में गांवों से बहने वाले गंदे पानी की रोकथाम के लिए भी विशेष योजना तैयार की है. जल शुद्धिकरण की तकनीक अपनाकर वेटलैंड के प्राकृतिक जल स्रोतों को सुरक्षित रखा जाएगा. साथ ही इस क्षेत्र में हुए अवैध कब्जों को हटाने की भी योजना है, जिससे वेटलैंड का पारिस्थितिक संतुलन बना रह सके.
छह महीने में पूरा होगा काम
इस महत्वाकांक्षी परियोजना का लक्ष्य है कि अगले छह महीने में कछुआ संरक्षण रिजर्व पूरी तरह से तैयार कर लिया जाए. इसके बाद इसे इको-टूरिज्म केंद्र के रूप में भी विकसित किया जाएगा, जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे. इस परियोजना से न सिर्फ कछुओं का संरक्षण होगा बल्कि बरेली को पर्यावरणीय पर्यटन के नए नक्शे पर भी स्थान मिलेगा. यह पहल उत्तर प्रदेश में जैव विविधता संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम है. डब्ल्यूडब्ल्यूएफ और वन विभाग की यह साझेदारी आने वाले वर्षों में कछुओं समेत कई अन्य जलचर प्रजातियों को नया जीवन देने का कार्य करेगी.
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