Home पोल्ट्री Poultry: 6 हफ्तों से लेकर अंडों के प्रोडक्शन करने तक मुर्गियों की ऐसे करें देखरेख, जानें कितना देना है दाना-पानी
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Poultry: 6 हफ्तों से लेकर अंडों के प्रोडक्शन करने तक मुर्गियों की ऐसे करें देखरेख, जानें कितना देना है दाना-पानी

Backyard poultry farm: know which chicken is reared in this farm, livestockanimalnews
पोल्ट्री फॉर्म में मौजूद मुर्गे—मर्गियां. live stock animal news

नई दिल्ली. मर्गी पालन में भी मुर्गियों की देखरेख भी हर अवस्था होनी चाहिए, जिस तरह से पशुओं की जाती है. जन्म से लेकर प्रोडक्शन तक. मुर्गियों के चूजों की देखरेख करने के बाद जब ये कुछ बड़े हो जाएं और अंडे देने शुरू कर दें, तब तक इसकी अलग तरह से देखभाल करनी चाहिए. एक्सपर्ट का कहना है कि उनकी रोज की जरूरतें पूरी होनी चाहिए. अगर ऐसा नहीं हुआ तो ग्रोथ के साथ—साथ अंडे के प्रोडक्शन पर इसका असर पड़ेगा. अगर आप कामर्शियल पोल्ट्री फार्मिंग करते हैं तो ये इससे आपको नुकसान होगा.

एक्सपर्ट का कहना है कि जब मुर्गियां 6 अथवा 8 सप्ताह की उम्र क्रास कर लेती हैं तो इन्हें पठोर भी कहा जाता है. तब से लेकर अंडे देने की उम्र यानि 4 से 5 माह की उम्र पर समाप्त होती है. पठोरों का मैनेजमेंट भी चूजों के प्रबन्ध के जैसे ही रहता है लेकिन उनके बढ़ते हुए शरीर भार तथा उनकी रोजमर्रा की जरूरत को देखते हुए कुछ खास बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है. आइए इसी के बारे में आपको जानकारी देते हैं. जिससे आपको मुर्गी पालन में नुकसान नहीं होगा, सिर्फ और सिर्फ फायदा होगा.

मुर्गे-मुर्गियों को दड़बे में रखें
पठोरों के कम प्रोटीन व मिनरल्स सॉल्ट की जरूरी मात्रा के साथ जरूरी एनर्जी का विशेष आहार दिया जाता है. एक्सपर्ट का कहना है कि पठोरों के बढ़वार को देखते हुए उनकी जरूरत के हिसाब से संतुलित आहार उचित मात्रा में दें. इसके अलावा दाना-पानी के बर्तनों की संख्या बढ़ावें. ताकि उन्हें ​दाना-पानी खाने में कोई दिक्कत का सामना न करना पड़े. वहीं दडबों में उनके बढ़ते हुए शरीर के मुताबिक उचित जगह दें. कम जगह पर ज्यादा पठोर न पालें. जहां तक संभव हो चूजों, पठोरों तथा अन्य मुर्गे मुर्गियों को अलग-अलग दड़बों में रखें.

ताकि इस उम्र तक शुरू कर दें अंडे का उत्पादन
बढ़वार की आखिरी अवस्था के दौरान बिमारियों से मुक्त रखने के लिए कम से कम 15 दिनों में एक बार कृमिनाशक दवा पिलाना चाहिये. कृमिनाशक दवा शाम के वक्त पिलानी चाहिये. यदि चूजों की चोंच 6 से 8 सप्ताह की उम्र में नहीं काटी गई है या और जरूरत हो तो पठोरों की चोंच 12 से 16 सप्ताह (3 से 4 माह) की उम्र पर काटना चाहिये. दड़बों व उसके आसपास की जगह की साफ-सफाई एवं पठोरों के स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखें एवं इस अवस्था में लगने वाले टीके लगवायें. इस बात का ध्यान रखें कि पठोरों की बढ़वार अच्छी हो और 18-20 सप्ताह की उम्र पर अंडा उत्पादन शुरू हो जाये.

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