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Dairy: गाभिन पशु की इस तरह करें देखभाल, नहीं कम होगा दूध उत्पादन, इन दिक्कतों से भी मिलेगी निजात

Animal Husbandry, Dairy Farming, Agriculture News,Animal Health Care
प्रतीकात्मक फोटो। livestockanimalnews

नई दिल्ली. गर्भधारण करने के बाद मादा पशु की देखभाल एवं मैनेजमेंट बहुत जरूरी है. मादा पशु एवं नवजात बछड़े का स्वास्थ इसी बात पर निर्भर करता है कि मादा पशु की देखभाल कैसी हुई है. पशु के ब्याने तक के समय को गर्भकाल का समय कहते हैं. एक्सपर्ट के मुताबिक मदचक्र का बंद होना गर्भधारण की पहली पहचान होती है. गर्भधारण के बाद पशु का शरीर भी आकर में बढ़ने लगता है लेकिन कुछ भैंसों में शांत मद होने के कारण गर्भधारण का पता ठीक प्रकार से नहीं लग पाता.

पशु विज्ञान केंद्र झुंझनूं के डॉ. प्रमोद कुमार और डॉ. विनय कुमार के मुताबिक गर्भाधान के 21वें दिन के आसपास मादा पशु का दोबारा मद में न आना गर्भधारण का संकेत मात्र है. लेकिन यह भी कोई विश्वसनीय प्रमाण नहीं है. इसलिए पशुपालक गर्भाधारण के दो महीने बाद पशुचिकित्सक द्वारा गर्भ जांच करवानी चाहिए. गर्भकाल के शुरुआत के तीन एवं अंतिम तीन महीने मादा पशु का ध्यान रखना बहुत जरूरी है.

पशुओं का पोषण प्रबंध कैसे करें
गाभिन पशुओं में पोषण का बहुत महत्व है. मादा पशु को अपने जीवनयापन व दूध देने के अतिरिक्त मादा एवं नवजात बछड़े के शारीरिक विकास के लिए भी पोषक तत्वों और ऊर्जा की जरूरत होती है. गर्भावस्था के अखिरी तीन महीनों में बछड़े की शारीरिक वृद्धि ज्यादा होती है. इसलिए मादा पशु को आखिरी तीन महीने में अधिक पोषक आहार देना चाहिए. इसी समय मादा पशु अगले ब्यात में अच्छा दूध दें ये इसी पर निर्भर करता है कि पशुओ को पोषक आहार उचित मात्रा में उपलब्ध कराया गया है या नहीं.

कई दिक्कतें आ जाती हैं
यदि इस समय खानपान में कोइ कमी रह जाती है तो कई परेशानियां हो सकती हैं. जिसमें मुख्य ये है कि बछड़ा कमजोर पैदा होता है. तथा वह अंधा भी रह सकता है. मादा पशु शरीर फूल दिखा सकती है. प्रसव उपरांत दुग्ध ज्वर मिल्क फीवर दूध हो सकता है. जेर रुक सकती है या देर से जेर का डालना. मादा पशु की बच्चेदानी में मवाद पड़ सकती है तथा ब्यांत का दूध उत्पादन भी काफी घट सकता है.

उचित पोषण दिया जाना जरूरी
गर्भावस्था के समय मादा पशु का विशेष रूप से ख्याल रखना तथा उचित पोषण देना चाहिए. दाने में 40-50 ग्राम खनिज लवण मिश्रण अवश्य मिलाना चाहिए. हरा चारा दिन में 40-50 किलोग्राम एवं हरे चारे में बरसीम, ज्वार और मक्की का प्रयोग कर सकते हैं. पशु को 3-4 किलोग्राम दाना देना चाहिए जिसमे मक्का, गेहू एवं बाजरा तथा सरसों की खल का मुख्यतः प्रयोग कर सकते हैं. पशु के चारे में 40-50 ग्राम खनिज मिश्रण का प्रयोग करना चाहिए. गर्मियों में पशु को पीने का पानी हर समय उपलब्ध होना चाहिए.

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