नई दिल्ली. गर्मियां चल रही हैं और पारा 40 के पार है. कम बारिश वाले इलाकों में हालात और ज्यादा खराब हैं. ऐसे में पशुओं के लिए चारा की कमी हो गई. ये कोई नई बात नहीं है, हर साल पशुओं के लिए चारा की कमी होती है. ऐसे में पशुपालकों के पास विकल्प होना चाहिए कि जब चारा की कमी हो तो पशुओं को किस तरह का चारा खिलाया जाए. पशु विशेषज्ञों का कहना है कि जब पशुपालकों को चारे के विकल्प के बारे में पता होगा तो फिर दिक्कत नहीं आएगी और पशुओं को जरूरी खुराक उपलब्ध हो जाएगी.
क्योंकि पशुओं को अगर जरूरी खुराक नहीं मिलती है तो इसका मतलब है कि उन्हें जरूरी पोषक तत्व नहीं मिलता है. ऐसे में पशु उत्पादन कम कर देते हैं और नतीजतन पशुपालकों को इसका बड़ा नुकसान उठाना पड़ जाता है. आइए इस आर्टिकल में हम आपको ऐसी ही विकल्प के बारे में बताते हैं, जिसका इस्तेमाल चारा के लिए किया जा सकता है.
पत्तियों को पशु खाते हैं
ज्यादा पानी सोखने वाले क्षेत्र में कृषि वानिकी यानि एग्रोफोरेस्ट्री चारे वाले पेड़ों को उगाकर भी किसान चारा प्राप्त कर सकते हैं. इसके लिए खेजड़ी इस क्षेत्र का प्रमुख पेड़ है. यह नमी और पोषक तत्वों के लिए फसलों पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालती है. जबकि बेर की पत्तियां भी पशुओं के चारे के काम आती है. झड़बेर भी भेड़ बकरियों के लिए चारे का इस इलाके में एक अच्छा सोर्स है. फोग इस क्षेत्र में उगने वाली और हमेशा मिलने वाली झाड़ है, जो ऊंटों को गर्मियों में भी हरा चारा प्रदान करती है.
इसे कहते हैं वन चारागाह मेथड
नीम भी इस क्षेत्र का महत्वपूर्ण पेड़ है, जिसकी पत्तियां जानवर खा जाते हैं. चारा पेड़ अरडू भी इस क्षेत्र में उगाया जा सकता है. चारागाह में चारे वाले पेड़ों को एक तय दूरी पर उगाकर उनसे ज्यादा चारा प्राप्त किया जा सकता है. यह वन चारागाह मेथड कहलाता है. अन्य चारे वाले पेड़ों की बात की जाए तो इसमें खेरी, काकेड़ा, पीपल, सेंजना, बहेड़ा, लेहसुआ, सिरस आदि शामिल हैं.
ऊंट के लिए ये चारा है बढ़ियां
लाना झाड़ी भी चारे का एक अच्छा स्त्रोत है. ऊंट इसके चारे को अच्छी तरह से खा लेते हैं. कुछ चारे के पेड़ चारागाह में उगाने से अधिक चारे को हासिल किया जा सकता है. अन्य प्रमुख चारे वाले पेड़ हैं, बबूल, कूमट, शीशू, अंजन, सूबबूल आदि. विलायती बबूल की फलियां भी पशुओं को खिलाने के काम आती है. इन फलियों से पशु आहार भी बनाया जाता है. कुछ अन्य फल वृक्ष जिनसे चारा भी मिलता है, वे हैं पीलू, गूंदा एवं गूंदी, बील, इमली, केर आदि.
Leave a comment