Home डेयरी Production: इस वजह से कम हो जाता है पशुओं का उत्पादन, बीमारियों का भी बन जाते हैं शिकार
डेयरी

Production: इस वजह से कम हो जाता है पशुओं का उत्पादन, बीमारियों का भी बन जाते हैं शिकार

पशुओं को खनिज मिश्रण (मिनेरल पाउडर) खिलाना चाहिए.
प्रतीकात्मक फोटो। livestockanimalnews

नई दिल्ली. खेत-जंगल समेत खुले में पशुओं को चराना एक तरफ फायदेमंद होता है दूसरी ओर जोखि‍मभरा भी होता है. कई बार गाय-भैंस और भेड़-बकरी खुले में चरते वक्त कई बड़ी गंभीर बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं. इसलिए ये जरूरी है कि पशु जहां भी खुले में चरने जा रहे हैं पशुपालक उस जगह पर पूरी नजर रखें. एक्सपर्ट का कहना है कि खरपतवार किसान ही नहीं पशुपालक को भी बहुत परेशान करती है. खरपतवार सिर्फ खेत में ही नहीं खुले मैदान में कहीं भी हो सकती है. यहां तक की सड़क किनारे नाले-नाली के पास भी उग आती है.

एनिमल एक्सपर्ट कहते हैं कि खरपतवार पशुओं को नुकसान पहुंचाती है. क्योंकि खेत-जंगल और खुले मैदान में चरने के वक्त पशु हरी पत्तियां और तने को खाते हैं. ऐसे में तने-पत्तियों के साथ खरपतवार भी खा जाते हैं. यही खरपतवार पशुओं में बहुत सारी बीमारियों की वजह बनने के साथ ही उनके उत्पादन को भी कम कर देती है. कुछ मामलों में तो इस खरपतवार के चलते पशुओं की मौत भी हो जाती है.

इन पत्तियों को खाने से रोकें
एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो खेत, जंगल और खुले मैदान में उगने वाली खरपतवार पशुओं को शारीरिक रूप से नुकसान पहुंचाने के साथ ही है उनके दूध, मीट और ऊन के उत्पादन को भी प्रभावित करती है. इसी के चलते पशुपालकों को कई तरह से नुकसान उठाना पड़ता है. लेकिन, अगर पशुपालक पशुओं को चराने के दौरान खरपतवार को लेकर जागरुक रहें तो इस नुकसान से बचा जा सकता है. उदाहरण के तौर पर इसे ऐसे समझिए कि लैंटाना कैमरा की पत्तियां खाने से पशु पीलिया का शिकार हो जाता है. आंखों पर भी इसका गहरा असर पड़ता है. वहीं गाजर घास के संपर्क में आने से पशु को खुजली हो जाती है. शरीर पर सूजन आ जाती है.

भेड़ों की आंखों की रोशनी पर पड़ता है असर
एक्सपर्ट के मुताबिक कॉकलेबर या छोटा धतूरा पशु के लीवर पर अटैक करता है. जिसके चलते पशु को पीलिया हो जाता है. किडनी और हॉर्ट पर भी असर डालता है. जॉनसन घास जहरीली होती है. इसका असर पशु के पूरे शरीर पर देखने को मिलता है. पंक्चबरवाइन खरपतवार सूखे इलाके में होती है. इस वजह से इसका सबसे ज्यादा शिकार भेड़ होती हैं. ये भेड़ों की आंखों की रोशनी पर असर डालती है. खुरों में घाव कर देती है. इतना ही नहीं पशुओं के शरीर में पंक्चर कर देती है. वहीं जैंथियम स्ट्रैखमारियम का फल पशुओं के शरीर पर चिपक जाता है. क्योंकि ये फल कांटेदार होता है तो इसके चलते पशुओं को बहुत परेशानी उठानी पड़ती है. एस्ट्रातग्लाओस खरपतवार खासतौर पर राजस्थान में होती है. अगर गर्भवती भेड़ और बकरी इसे खा लें तो उनका गर्भपात हो जाता है.

दूध और खून पर पड़ता है असर
रोडो डेंड्रोन खरपतवार कश्मीर में होती है. अगर इसे भेड़ या बकरी खा ले तो उन्हें दस्त लग जाते हैं. साथ ही ये उनके दूध और खून पर भी असर डालता है. वहीं पत्ते्दार स्पेरेज के खाने से पशुओं को दस्त लग जाते हैं. ये कमजोरी पैदा करता है. खासतौर पर ये भेड़ के लिए बहुत खतरनाक माना जाता है. सूखे की स्थिति में चेनोपोडियम खरपतवार पनपने लगती है. इसमे नाइट्रोजन की मात्रा एक हजार पीपीएम तक पहुंच जाती है. और जब पशु इसे खाता है तो उसे सांस की बीमारी हो जाती है. नीटल खरपतवार के बाल से पशुओं में खुजली होने लगती है. भेड़-बकरी और याक से ऊन मिलती है लेकिन जैन्थियम स्पेसिस खरपतवार जब इनके शरीर से चिपकती है तो उनके शरीर पर मौजूद रेशे को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचाती रहती है.

Written by
Livestock Animal News

लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज (livestockanimalnews.com) एक डिजिटल न्यूज प्लेटफार्म है. नवंबर 2023 से ये लगातार काम कर रहा है. इस प्लेटफार्म पर एनिमल हसबेंडरी () यानि मुर्गी पालन, डेयरी (), गाय-भैंस, भेड़-बकरी, घोड़ा, गधा, मछली और पशुपालन, चारा, पशु चिकित्सा शि‍क्षा से जुड़ी खबरें पढ़ने को मिलती हैं. ऐग और चिकन के रोजाना बाजार भाव भी इस प्लेटफार्म पर प्रकाशि‍त किए जाते हैं. नेशनल मीडिया जैसे न्यूज18 हिंदी, हिन्दुस्तान, अमर उजाला, दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर में काम कर चुके पत्रकार (रिर्पोटर) की टीम लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज के लिए खबरें और स्टोरी लिखती है. केन्द्र सरकार के Poultry, Cow, Buffalo, Goat, Sheep, Camel, Horse (Equine), Fisheries, Donkey, Feed-Fodder and Dairy रिसर्च इंस्टीट्यूट के साइंटिस्ट से बात कर उनकी रिसर्च पर आधारित न्यूज-स्टोरी लिखी जाती हैं. इसके साथ ही लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज प्लेटफार्म पर एनिमल साइंस और वेटरनरी कॉलेज-यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और एक्सपर्ट से बात करके खबरें लिखी जाती हैं और उनके लिखे आर्टिकल भी पब्लिूश किए जाते हैं. ये सभी स्टोरी और स्टोरी से जुड़े वीडियो सोशल मीडिया फेसबुक, यूट्यूब (YouTube), इंस्टाग्राम, एक्स (ट्विटर) और लिंक्डइन पर शेयर किए जाते हैं. पशुपालकों की सक्सेट स्टोरी लिखी जाती हैं. उसी सक्सेस स्टोरी के वीडियो बनाकर उन्हें लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज के यूट्यूब चैनल पर पब्लिैश किया जाता है. अंग्रेजी में भी न्यूज और आर्टिकल पब्लिाश किए जाते हैं. लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज पशुपालन, मछली पालन, मुर्गी पालन और डेयरी से जुड़े विषयों पर होने वाली सेमिनार, वर्कशॉप और एक्सपो को भी कवर करता है. साथ ही एनिमल हसबेंडरी मंत्रालय से जुड़ी खबरें भी कवर करता है. बाजार में आने वाले नए प्रोडक्ट की जानकारी भी इस प्लेटफार्म पर दी जाती है.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

साहलेज हरे चारे का एक वैकल्पिक स्रोत है, जिसे किसी भी अन्य सूखे चारे, हरे चारे और पशु आहार के साथ मिश्रित करके पशुओं को खिलाया जा सकता है.
डेयरी

Dairy: साइलेज बनाने के लिए 3 सबसे अच्छी फसल कौन सी है, जानें यहां

साइलो को पॉलिथीन शीट से अच्छी तरह बन्द कर दिया जाता है....

Pushkar mela
डेयरी

Animal: लुवास में पशुपालकों ने खरीदी ज्यादा उत्पादन करने वाली भैंस, 1.58 लाख की लगी सबसे बड़ी बोली

विश्वविद्यालय प्रशासन ने बताया कि भविष्य में भी नियमित रूप से इस...

डेयरी

Dairy News: पशुपालन विभाग की टीम पहुंचेगी आपके घर, राज्यमंत्री लखन पटेल ने गिनाए इसके फायदे

जिसे समृद्धि संपर्क अभियान का नाम दिया गया है, जो 2 अक्टूबर...

डेयरी

Dairy Product: दूध से बने इन प्रोडक्ट को बेचने पर होगी बंपर कमाई

अगर पशुपालक सीधे दूध बेचने की बजाय ही, मक्खन और घी बेचता...