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Monkeypox: मंकीपॉक्स के क्या हैं लक्षण, जानें कैसे किया जा सकता है इससे बचाव

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प्रतीकात्मक फोटो.

नई दिल्ली. मंकीपॉक्स एक जूनोटिक रोग है जो पॉक्सविरिडे परिवार के मंकीपॉक्स वायरस के कारण होता है. ये बंदर, गिलहरी, गैम्बियन पाउच चूहा, डोरमाउस, एंटइटर और डॉग मंकीपॉक्स के लिए पर ज्यादा असर करते हैं. मंकीपॉक्स के मामले पश्चिमी और मध्य अफ्रीका में ज्यादा पाए जाते हैं. हालांकि, यात्रा और जंगली जानवरों के आयात से संबंधित छिटपुट मामले विभिन्न देशों से रिपोर्ट किए जा गए हैं. साल 2022 में, 90 गैर-स्थानिक देशों में बहु-देशीय मंकीपॉक्स के प्रकोप से 77,000 लोग प्रभावित हुए थे. जिनमें 3-6 फीसदी लोगों की मौत हो गई थी. अक्टूबर 2022 तक, भारत में मंकीपॉक्स मामलों की संख्या 14 है.

आईवीआरआई की एक्पर्ट टीम की मानें तो मंकीपॉक्स बीमारी में बुखार और चेहरे, हथेलियों, तलवों और जननांग या मलाशय क्षेत्रों पर चकत्ते में हो जाते हैं. 18-44 वर्ष के पुरुष सबसे अधिक प्रभावित होते हैं. नवजात शिशुओं, बच्चों और कम प्रतिरक्षा वाले लोगों को गंभीर बीमारी और मृत्यु का अधिक खतरा होता है. इसलिए इससे बचाव जरूरी है.

क्या हैं इसके लक्षण

  • संक्रमण से लक्षणों के आने में 6-13 दिन का समय लगता है.
  • इस बीमारी के लक्षण 2-4 सप्ताह तक रहते हैं.
  • बुखार (0-5 दिन तक रहता है.
  • तेज सिरदर्द होता है.
  • मांसपेशियों में दर्द रहता है.
  • शरीर में ऊर्जा की कमी हो जाती है.
  • कमर दर्द होता है.
  • चेहरे और हाथ-पांव पर चकत्ते हो जाते हैं. बुखार होने के 1-3 दिन बाद.
  • लाल चकत्ते, चित्ती छोटा दाना, फफोला मवाद के साथ रहता है.
  • छोटा छाला या फुंसी, पपड़ी, सूखना और गिरना लक्षण हैं.

रोकथाम कैसे की जाए

  • बीमार व्यक्तियों के साथ नज़दीकी संपर्क को सीमित करें.
  • मंकीपॉक्स रोगियों की देखभाल करने वाले या नमूनों लेने वाले स्वास्थ्य कर्मी मानक संक्रमण नियंत्रण उपायों को अपनाए.
  • साबुन और पानी या अल्कोहल आधारित हैंड रब से बार-बार हाथ साफ करें.
  • आमतौर पर जुई जाने वाली सतहों को बार-बार साफ और कीटाणुरहित करें.
  • यदि मंकीपॉक्स का संदेह है, तो चिकित्सीय सलाह लें और परीक्षण होने तक दूसरों से अलग रहें.
  • यदि मंकीपॉक्स की पुष्टि हो जाती है तो सभी घाव ठीक होने, पपड़ी गिरने और त्वचा की नई परत बनने तक दूसरे लोगों और पालतू पशुओं से अलग रहें.
  • मंलीपॉक्स से ठीक होने के बाद 12 सप्ताह तक यौन संचारित संक्रमण की रोकथाम के लिए एहतियात बरतें.

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