Home पशुपालन Animal Husbandry: पशु में है गर्भधारण की समस्या, पशुपालक खुद ही कर सकते हैं इलाज, पढ़ें डिटेल
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Animal Husbandry: पशु में है गर्भधारण की समस्या, पशुपालक खुद ही कर सकते हैं इलाज, पढ़ें डिटेल

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प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली. खेती-किसानी के साथ-साथ किसान अब अपनी आय का दूसरा जरिया भी खोज रहे हैं. यही वजह है कि किसानों का रुख तेजी के साथ पशुपालन की ओर मुड़ा है. क्योंकि कमाई के लिए पशुपालन किसानों के लिए बेहतर सौदा साबित हो रहा है. हालांकि इस क्षेत्र में भी कई तरह की समस्याएं हैं. जिससे पशुपालकों को जूझना पड़ता है. पशुओं में सबसे दिक्कत गर्भधारण न होने की होती है और ये पशुपालकों के लिए गंभीर बनती जा रही है. क्योंकि पशुओं में दूध उत्पादन और गर्भधारण क्षमता में कमी होने से पशुपालकों को सीधे तौर पर आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ता है. ऐसे में कुछ जरूरी बातें आपको नीचे बताई गईं, जिसे पढ़कर आप पशुओं की इस समस्या से निजात पा सकते हैं.

मद चक्र 21 दिन का होता है
इसलिए जरूरी है कि पशुपालकों को पता होना चाहिए कि, गर्भधारण के संबंध में उन्हें किन-किन सावधानियां को बरतना है. कुछ पशु समय से मद में नहीं आते हैं, जिससे गर्भधारण नहीं करते हैं. साथ कुछ पशु बार-बार मद के लक्षण देते रहते हैं. ऐसे में समस्या ग्रस्त पशुओं के लिए उपाय करना जरूरी है. यहां ये भी जान लें कि गाय और भैंस में मद चक्र की औसत अवधि 21 दिन होती है. इसमें गायों में 18 घंटे जबकि भैंस में लगभग 24 घंटे रहती है. वहीं गाय अधिकतर सुबह 4:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक मद में आती है जबकि भैंस शाम 6:00 बजे सुबह 6:00 बजे तक आती है. इसके अलावा भैंस सर्दी के मौसम ज्यादा प्रजनन करती है.

इन सात प्वाइंट्स को गौर से पढ़ लें
अगर आपके पशुओं को गर्भधारण की समस्या हो रही है तो पशु को अच्छे आहार के साथ-साथ 50 से 60 ग्राम अच्छी क्वालिटी का आवा खनिज मिश्रण जरूर हर दिन खिलाना चाहिए.

पशु कृमियों, पेट में होने वाले कीड़े से ग्रसित हैं, तो तुरंत चिकित्सा की सलाह लें और कृमि नाशक दवा उन्हें दें.

पशुपालक अपने पशुओं में मद के लक्षण को देखते ही उन्हें उचित समय पर गर्भधारण करने का काम करें.

अगर किसी वजह से पशु के मद का समय निकल गया है तो 21 में दिन विशेष ध्यान रखते हुए अपने पशु को गर्भधारण करा दें.

अगर पशु के बच्चेदानी में कोई संक्रमण सूजन अंडाशय पर सिस्ट और पशु में हार्मोन संबंधित कमी हो तो पशु चिकित्सक से तुरंत संपर्क करना चाहिए.

पशु के बच्चे में से जुलाई महीने का अधिक तापमान शंकर पशुओं में मद को बढ़ाता है. ऐसे में बढ़ते तापमान से बचाव के लिए पशुओं का पर्याप्त सुरक्षा करनी जरूरी है.

कभी-कभी सुविधा अनुसार मादा पशुओं को नर पशुओं के साथ रखना चाहिए. इसे उनकी प्रजनन क्रियाओं पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है.

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