नई दिल्ली. पशुओं के लिए हरे चारे की कमी से तमाम पशुपालक जूझते हैं. अगर पशुओं को हरा चारा नहीं मिल पाता है तो इससे पशुओं को जरूरी पोषक तत्व भी नहीं मिल पाता है. इसलिए पशुओं को सूखे चारे के साथ हरा चारा भी दिया जाता है. हालांकि दिक्कत तब बहुत ज्यादा हो जाती है जब गर्मियों की शुरुआत होती है. तब हरा चारा मिलना मुश्किल हो जाता है. ऐसे में पशुपालकों को साइलेज का भी सहारा लेना पड़ता है. हालांकि ऐसी कई चारा फसल है, जिससे पशुओं को सालभर हरा चारा दिया जा सकता है.
इसी में से एक संकर नेपियर बाजरा. यह एक बहुवर्षीय हरे चारे की फसल है, जिसमें पूरे वर्ष हरा चारा मिलता है. यह सिंचाई सुविधा वाले क्षेत्र में ही उगाई जा सकती है. जिसके जरिए पूरे साल पशुओं को हरा चारा दिया जा सकता है. अगर किसान इस फसल को उगाते हैं तो पशुपालकों को बेचकर भी कमाई कर सकते हैं.
बुवाई का समय और तरीका यहां पढ़ें
बुवाई के तरीके की बात की जाए तो इसमें बीज नहीं बनते हैं, इसलिए इसकी बुवाई इसके परिपक्व तने के टुकड़ों से या जड़ सहित तने के टुकड़ों से की जाती है. तने के टुकड़ों में कम से कम दो गांठें होनी चाहिए. इन टुकड़ों को कतार से कतार की दूरी 1 मीटर व पौधे से पौधे की दूरी 50 सेमी के हिसाब से खेत में लगाते हैं. एक बार लगाई गई पौध से 4-5 वर्ष तक पूरे वर्ष हरा चारा मिलता है. जो पौधा मरने लगे उसकी जगह नई पौध लगाई जा सकती है.
खाद व उर्वरक कितना चाहिए
25 टन प्रति हेक्टेयर की दर से गोबर की खाद बुवाई के एक माह पूर्व खेत में मिलायें. बुवाई के समय 50 किग्रा नत्रजन व 50 किग्रा फास्फोरस प्रति हैक्टेयर की दर से देना चाहिए. बाद में प्रत्येक कटाई के बाद 30 किग्रा नत्रजन प्रति हैक्टेयर की दर से देना चाहिए. इसकी कटाई हर साल 4-6 बार की जा सकती है. पहली कटाई 3 माह के बाद बुवाई होने पर की जा सकती है. उसके बाद में 45 दिन के अंतराल पर इसकी कटाई कर सकते हैं.
300 क्विंटल हरा चारा मिलता है
हरा चारा उपज औसतन 300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है. इसकी कटाई जब की जाएगी तो इतनी ही चारा मिल सकता है. अगर पूरे साल का जोड़ लिया जाए तो प्रति वर्ष करीब 1500 क्विंटल हर हेक्टेयर के हिसाब से हरा चारा मिल जाएगा. जो पशुओं की जरूरत के लिए काफी है. अगर इसकी किस्मों की बात की जाए तो एन.बी. 21, आईजीएफआरआई-3, आईजीएफआरआई-7, पूसा जाईंट, संकर नेपियर-3 आदि को इस्तेमाल किया जा सकता है.
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