नई दिल्ली. मुर्गी पालक केवल अपने लिए ही नहीं कमाता बल्कि अंडे व चिकन मांस के रूप में संतुलित आहार पैदा करके देश की सेवा करते हैं. यह काम काफी संख्या में लोगों को स्वरोजगार भी उपलब्ध कराता है. मुर्गीपालन का व्यवसाय कृषि के लिए बेहतर प्रकार की खाद भी उपलब्ध कराता है. क्योंकि मुर्गी की खाद में नाइट्रोजन, फास्फोरस तथा पोटाश काफी मात्रा में होती है. यह खाद खेती के लिए बहुत ही फायदेमंद और उपजाऊ होती है. आज के दौर में साइंटिफिक तरीके से मुर्गी पालन किया जा रहा है ताकि ज्यादा से ज्यादा उत्पादन लिया जा सके.
अगर आप साइंटिफिक तरीके से मुर्गी पालन करना चाहते हैं तो मुर्गी पालन में पांच चीजों का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है. इसके लिए आपको अच्छी नस्ल के चूजे लेने होंगे. मुर्गियों के लिए आवास की व्यवस्था करनी होगी. उन्हें संतुलित आहार देना होगा. प्रजनन व्यवस्था पर ध्यान देना होगा. रोग नियंत्रण पर भी गौर करना होगा. तभी आप मुर्गी पालन में सफल हो सकते हैं.
अच्छी नस्ल के चूजे
अच्छी नस्ल के चूजे अगर होंगे तो आगे चलकर उनसे बेहतर उत्पादन लिया जा सकता है. यदि मांस के लिए उन्हें पाला जा रहा है तो ज्यादा मीट का उत्पादन करेंगे और अंडों के लिए पाला जा रहा है तो ज्यादा अंडे हासिल होंगे. मसलन, व्हाइट लेग हॉर्न अंडों के लिए बेहतर नस्ल मानी जाती है और व्हाइट कार्निश मांस के लिए बेहतर है.
आवास व्यवस्था
मुर्गी पालन में आवास व्यवस्था बेहद अहम है. क्योंकि मुर्गियों को कई जानवरों से खतरा रहता है. जैसे बिल्ली और कुत्ते आदि. इसलिए अगर मुर्गियों को आवास में रखा जाए तो बेहतर होता है. वहीं उनके आवास में उनके रहने की जगह साफ सुधरी होनी चाहिए. पानी की व्यवस्था होनी चाहिए. उन्हें भरपूर लाइट भी मिलना चाहिए. इसके अलावा भी कई ऐसी चीज है, जिनका ध्यान रखना जरूरी होता है.
संतुलित आहार दें
मुर्गियों को हमेशा ही संतुलित आहार दिया जाना चाहिए. उन्हें भरपूर और संतुलित आहार मिलता है, तो प्रोडक्शन में कोई कमी नहीं होती है. अगर संतुलित आहार नहीं मिलता तो उन्हें बीमारी भी लग सकती है और प्रोडक्शन में भी कमी आ सकती है.
प्रजनन पर दें ध्यान
वही प्रजनन व्यवस्था की बेहद ही अहम है. एक आदर्श पोल्ट्री फार्मिंग के लिए उचित प्रजनन व्यवस्था होना जरूरी है और इसका ध्यान चूजा पैदा होने के समय से लेकर अंडा उत्पादन तक देना होता है. इसका पूरा प्रबंध होना चाहिए. बता दें कि मुर्गियों में प्रजनन दो तरह से होते हैं, प्राकृतिक और कृत्रिम.
बीमारियों से बचाएं
मुर्गियों को भी बीमारियों का खतरा रहता है. इसलिए उनके रोग का नियंत्रण करना बेहद जरूरी होता है. मुर्गियों को भी टीका लगाया जाता है. मुर्गी में बीमारियों की बात की जाए तो कीटाणु, वायरस, बैक्टीरिया, कीड़ों, प्रोटोजोआ और फफूंदी के द्वारा रोग फैलते हैं. इसलिए बिछावन, दाना—पानी आदि पर ध्यान देना चाहिए.
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