नई दिल्ली. गर्मियों में पशुओं के लिए हरे चारे की कमी एक बड़ी समस्या बनती जा रही है. चारे की कमी के कारण पशुपालकों को बेहद परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं पशुओं को भरपूर हरा चारा न मिल पाने के कारण उन्हें भी पौष्टिक तत्व नहीं मिल पाते हैं. हरे चारे की जरूरत से इंकार भी नहीं किया जा सकता है. हालांकि मसला ये भी है कि बहुत से पशुपालकों को ये जानकारी भी नहीं है कि ऐसा क्या करें कि हरे चारे की कमी न हो. चारे की कौन सी फसल कब बोई जाए कि पशुओं को हरा चारा मिल जाए.
बता दें कि बरसीम यह सर्दी में उगाई जाने वाली दलहनी फसल है. जो मुख्य रूप से बिहार, हरियाणा, मध्य प्रदेश, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में उगाई जाती है. यह नवम्बर से मई महीने के बीच में 6 से 7 कट देती है. जिनसे लगभग 70 से 80 टन प्रति हेक्टेयर स्वादिष्ट एवं पोषक चारा प्राप्त होता है, इसमें लगभग 20 प्रतिशत कच्ची प्रोटीन पाई जाती है.
दोमट मिट्टी है बेहतर
एक्सपर्ट बरसीम के चारे को “दूध बढ़ाने वाला” कहते हैं. दलहनी फसल होने के कारण, यह वायुमंडल के नाइट्रोजन को मृदा (मिट्टी) में समाविष्ट करती है, जिसमें मृदा की उर्वरता बढ़ती है. इसकी महत्वपूर्ण प्रजातिया की बात की जाए तो इसमें जेबी-1, बीएल-1, बीएल-10, बीएल-42, यूपीबी-110, मस्कावी और बरदान शामिल हैं. इसके लिए चिकनी दोमट भूमि सर्वोतम मानी जाती है. वैसे इसको दोमट भूमि में भी सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है. खेत समतल व खरपतवार रहित होना चाहिए. एक जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से तथा दो तीन जुताई देशी हल से करें। खेत को पाटा लगाकर तैयार की जा सकती है.
इस तरह करें सिंचाई
बीज की मात्रा 20-25 किग्रा प्रति हेक्टयर रहती है. नई जमीन में बीज को कल्चर से उपचारित कर बोना चाहिए. उपचार हेतु एक पैकेट कल्चर एक हैक्टेयर के बीज के लिए पर्याप्त है. आवश्यकतानुसार पानी में 125 ग्राम गुड़ का घोल (आवश्यकतानुसार पानी गर्म करके) तैयार करके ठण्डा करें. फिर इसमें कल्चर को अच्छी तरह से मिला दें. यह घोल बीजों में अच्छी तरह से मिला दें. इसके बाद बीजों को छाया में सुखाकर खड़े पानी में छिटकवां विधि से बोयें. तैयार क्यारियों में बीज छिटक कर उन पर मिट्टी छिटक दें.
15-20 दिन के गैप पर करें सिंचाई
ताकि बीज हवा से न उड़े. इसके तुरन्त बाद सिंचाई करें. जल्दी व पर्याप्त मात्रा में हरा चारा प्राप्त करने हेतु 2000 ग्राम सरसों प्रति हैक्टेयर की दर से बरसीम के बीज साथ मिलाकर बोयें. खाद व उर्वरक के तौर पर 30 से 40 गाड़ी प्रति हैक्टेयर की दर से गोबर की खाद बुवाई के एक माह पूर्व खेत में मिलायें. चारे की अधिक पैदावार के लिए 20 किलो नत्रजन व 40 किलो फासफोरस प्रति हैक्टेयर की दर से बुवाई से पूर्व डालें. सिंचाई 15-20 दिन के अन्तराल पर करनी चाहिए
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