नई दिल्ली. वैसे तो बकरी पालन से खूब फायदा उठाया जा सकता है लेकिन ये तभी संभव है जब बकरियों को बीमारियों से बचाया जाए. साथ ही बकरियों के बच्चों को. क्योंकि सबसे ज्यादा मृत्युदर का मामला बकरी के बच्चों में ही होता है. इसलिए बकरी के बच्चों को बचाने के लिए उपाय करने चाहिए. केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा के सीनियर साइंटिस्ट कहते हैं कि बकरी पालन में जरा भी लापरवाही हुई तो बड़े नुकसान होने की संभावना रहती है. उनका कहना है कि साइंटिस्ट का कहना है कि बकरी पालन में सबसे ज्यादा नुकसान बच्चों में मृत्यु दर के कारण ही होता है.
अगर मृत्यु्दर घटा दिया जाए तो नुकसान भी कम हो जाएगा. एक्सपर्ट का कहना है कि इसे कम करने के लिए किसी बहुत बड़े उपाय की जरूरत नहीं है. बस ध्यान इस बात पर दिया जाना चाहिए कि जब भी बकरी गर्भवती कराएं तो मौसम को जरूर देख लें. ताकि जब बच्चे पैदा हों तो न ज्यादा गर्मी हो और न ही ज्यादा सर्दी. जब बच्चे थोड़ा बड़े हो जाएंगे तो दोनों ही मौसम का सामना करने में सक्षम हो जाएंगे.
इस इलाके में ज्यादा है मृत्युदर
सीआईआरजी के साइंटिस्ट डॉ. एमके सिंह का कहना है कि बकरी छोटे बच्चों के लिए मौसम सबसे बड़ा दुश्मन है. अगर ज्यादा गर्मी और कड़ाके की ठंड में बच्चे पैदे होते हैं तो उनके लिए ये बहुत ही नुकसान पहुंचाने वाला होगा. यही वजह है कि पशुपालको पता होना चाहिए कि बकरियों से बच्चा कब पैदा कराया जाए. आमतौर पर नॉर्थ इंडिया में बकरियों के बच्चों में सबसे ज्यादा मौत के मामले आते हैं. इसकी वजह ये है कि यहां यहां गर्मी और सर्दी के मौसम में बड़ा अंतर होता है और गर्मी भी ज्यादा पड़ती है जबकि सदी भी.
तो अक्टूबर-नवंबर में मिलेंगे बच्चे
ऐसे में पशुपालकों को कोशिश करनी चाहिए कि साल में दो मौके ऐसे होते हैं जब बकरियों को गाभिन कराया जाए. एक्सपर्ट कहते हैं कि 15 अप्रैल से 30 जून तक बकरी को गाभिन कराने का सभी मौका होता है. वहीं इसके अलावा बात करें तो अक्टूबर और नवंबर में भी बकरी को गाभिन कराया जा सकता है. ऐसा करने से जो बकरी अप्रैल से जून तक गाभिन हुई तो वो अक्टूबर-नवंबर में बच्चा देगी.
बच्चों को नहीं होती तकलीफ
जब अक्टूबर-नवंबर में गाभिन होगी तो बकरी फरवरी-मार्च में बच्चा देगी. ऐसे में ये महीने न तो ज्यादा ठंड वाले होते हैं और न ही ज्यादा गर्मी वाले. पशुपालक बकरी के बच्चों का थोड़ा सा भी ख्याल रखें तो इन महीनों में बकरी के बच्चों को कोई तकलीफ नहीं होगी. बकरी पालन के लिहाज से यह वो महीने हैं जब बकरी के बच्चों का वजन भी तेजी से बढ़ता है. हर तरह से फायदा ही फायदा है.
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