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Goat Farming: ये है बकरी को गाभिन कराने का सही वक्त, बच्चों की मृत्यु दर पर ऐसा हो सकता है कंट्रोल

sojat goat breed
सोजत बकरियों की प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. बकरी पालन में सबसे ज्यादा मुनाफा पहुंचने वाली अगर कोई चीज है तो वह है बकरी के बच्चे. एक बकरी से साल भर में जितने बच्चे मिलते हैं, असल में बकरी पालक का वही मुनाफा होता है. हालांकि ये भी एक कड़वी सच्चाई है कि कि बाड़े में बकरी के बच्चों की मृत्यु दर को कम कर पाना बहुत मुश्किल काम है. एनिमल एक्सपर्ट कहते हैं कि अक्सर बकरी के बच्चे मौसमी बीमारियों के चपेट में आकर मर जाते हैं. सबसे बड़ी चुनौती बच्चों को सर्दियों में निमोनिया और गर्मी में बरसात और दस्त से बचने की होती है. अगर उन्हें इन बीमारियों से नहीं बचाया जाता है तो पशुपालन का बहुत नुकसान होता है.

यही वजह है कि गोट साइंटिस्ट लगातार पशुपालकों से यह अपील करते रहते हैं कि हीट में आने वाली बकरियां को एक खास तय वक्त पर ही गाभिन कराएं. जिससे बकरियों से मिलने वाले बच्चे भीषण गर्मियों और सर्दी से पहले मिल सकें. अगर ऐसा करने में पशुपालक कामयाब रहते हैं तो जब तक ज्यादा ठंड पड़ेगी या ज्यादा गर्मी तब तक बकरी के बच्चे मौसम में अपने आप को ढालने में कामयाब हो जाएंगे. उनकी उतनी ज्यादा केयर नहीं करनी पड़ेगी, जितना अगर वह ठीक गर्मी या ठीक सर्दी के वक्त पैदा हों तब करनी पड़ती है.

बीमारी से लड़ने के लिए हो जाता है तैयार
स्टार साइंटिफिक गोट फार्मिंग के संचालक राशिद कहते हैं कि 10 अप्रैल से लेकर 15 जून तक यह वह वक्त है, जब बकरियां प्राकृतिक रूप से हीट में आ जाती हैं. ऐसे में पशुपालक अपनी बकरियों को सुबह शाम चेक करते रहें. इससे सितंबर से बच्चा मिलना शुरू हो जाएगा. इससे होगा यह कि सितंबर और अक्टूबर में बच्चा मिलने से एक तो बच्चा बारिश में होने वाली बीमारी से बच जाएगा. वहीं सितंबर अक्टूबर में बच्चा पैदा होने से दिसंबर जनवरी आने तक थोड़ा बड़ा हो जाता है. जिससे कि सर्दी में होने वाली मौसमी बीमारी से लड़ने के लिए वह तैयार हो जाता है.

जीरो हो सकती है मृत्युदर
इसी तरह अगर बकरी को अक्टूबर नवंबर के बीच गाभिन कराया जाए तो मार्च-अप्रैल में बच्चा दे देती हैं. मार्च अप्रैल में बच्चा मिलने से वह सर्दी से बच जाते हैं. साथ ही मई-जून के की शदीद गर्मियों और आने वाली बारिश के महीने तक बीमारियों से लड़ने में बकरी के बच्चे सक्षम हो जाते हैं. गोट एक्सपर्ट कहते हैं कि बकरियों को गाभिन कराया है जाने वाले कैलेंडर का पालन करने से बकरियों के शेड बच्चों की मृत्यु दर जीरो किया जा सकता है. जिससे पशुपालकों को बहुत फायदा होगा.

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