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Fisheries: मछली बीमार है कि नहीं, कैसे करें पता, यहां पढ़ें इलाज का तरीका

fish farming in pond
प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. दुनिया भर में भारत मछली उत्पादन के मामले में तीसरे नंबर पर है और मछली उत्पादन में 8 फ़ीसदी का योगदान देता है. जबकि जालीय कृषि उत्पादन में देश का स्थान दूसरा है. साल 2021-22 के आंकड़ों पर गौर करें तो मछली उत्पादन 16.24 मिलियन हुआ था, जिसमें 4.12 मिलियन टन समुद्री मछली उत्पादन व जाली कृषि से 12.12 मिलियन टन शामिल है. जबकि मछली उत्पादन को बढ़ावा देने और छोटे स्तर पर भी लोग मछली पालन करें, इसको लेकर केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना की शुरुआत की है. इसके तहत छोटे मछुआरों को बढ़ाया दिया जा रहा है.

योजना के बाद मछली उत्पादन में भी इजाफा देखने को मिला है. गौरतलब है कि विकास के साथ-साथ मछुआरों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. खासकर छोटे स्तर पर मछली पालन करने वाले किसानों को ज्यादा अधिक दिक्कतें होती हैं. आए दिन मछलियों में तरह-तरह की बीमारी होती है. जिससे मछुआरों को बड़ा नुकसान होता है. कई बार जानकारी न होने की वजह से मछली पालक मछलियों की बीमारियों को पता नहीं कर पाते हैं. यह गंभीर रूप ले लेती है. इस आर्टिकल में आपके साथ लक्षण और साथ उपाय बताया जा रहे हैं.

कैसे पता चले कि मछली बीमार है
मछली की बीमारी पता न होने की वजह से मछली पालकों को बड़ा नुकसान होता है. एक मछली बीमारी होती है और भी मछलियों को बीमार कर देती है. इसलिए जरूरी है कि मछली की बीमारी के बारे में पता हो. अब सवाल ये है कि कैसे पता करें कि मछली बीमार है या स्वस्थ है. उदाहरण के तौर पर इसे ऐसे समझें अगर मछलियों में बीमारी लग जाती है, तो मछलियों की हलचल सुस्ती में तब्दील हो जाती है. शरीर सूज जाता है. मछली की तैराकी विकृत हो जाती है. शरीर पर दाग पड़ता है. मछली का जल की ऊपरी सतह पर आना शुरू हो जाता है. पंखों का सड़ना शुरू हो जाता है. चाल ढीली होने लगती है.

कैसे करें मछली का इलाज
तालाब को साल में एक बार तब तक सुखाया जाए जब तक कि उसमें दरार न पड़ जाए. अगर तालाब नहीं सूखता है तो ब्लीचिंग पाउडर 300 से 500 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर या चूना 300 से 500 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर का इस्तेमाल करके उसे साफ करने के लिए किया जा सकता है. बीमार मछली को तालाब में न रहने दें. स्वस्थ बीज का इस्तेमाल करें. खाद का इस्तेमाल सही मात्रा में करना चाहिए. पशु—पक्षियों, घोंघा, सींप, इत्यादियों को तालाब में आने से रोकना चाहिए. समय-समय पर मछली के विकास की जांच करें. तालाब में दवा का प्रयोग करें.

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