नई दिल्ली. उत्तर प्रदेश में सभी राज्यों में पशुपालन विभाग के तहत गोशाला विकास के लिए योजना चलाई जा रही है. इसके तहत गायों के लिए गोशालाा विकास और वहां पर गायों को रहन-सहन के लिए सरकार की ओर से अरबों रुपये का बजट तय किया है. ताकि प्रदेश में बेसहारा घूम रही गायों को रहने के लिए उचित स्थान दिया जा सके और उनके खाने-पीने की व्यवस्था की जा सके. गौरतलब है कि प्रदेश में बेसहारा घूम रही गायों की वजह से अक्सर रोड पर एक्सीडेंट का खतरा बना रहता है, वहीं किसानों की फसल को भी नुकसान होता है. इसको देखते हुए सरकार ने गोशाला विकास के लिए योजना शुरू की थी.
बताते चलें कि प्रदेश में भारतीय नस्ल के गोवंश के संरक्षण / सम्वर्धन तथा विकास को सुनिश्चित करने गौ कल्याण संबधी अधिनियमों उत्तर प्रदेश गोवध निवारण अधिनियम व पशुओं के प्रति क्रूरता को रोकने के लिए और प्रदेश में गोपालन को बढ़ावा देने की दृष्टि से वर्ष 1999 में राज्य में गोसेवा आयोग की स्थापना की गई थी. सरकार की ओर से गौशालाओं को स्वावलंबी बनाने तथा इनके कामों में विविधता लाते हुए गति प्रदान की जा रही है. योजना के तहत आयोग को सहायता दी जाती है.
गो संरक्षण केन्द्रो के लिए 1.60 लाख रुपये
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से चालू वित्तीय वर्ष 2023-24 में प्रदेश के निराश्रित और बेसहारा गोवंश की समस्या को खत्म करने के लिए प्रदेश के सभी जनपदों में वृहद गो-संरक्षण केन्द्र की स्थापना किये जाने के लिए 160.12 लाख रुपये प्रति केन्द्र की दर से जारी किया गया है. इस तरह सरकार ने कुल 12 हजार लाख रुपये के सापेक्ष वित्तीय वर्ष 2023-24 में प्रथम किश्त के रूप में 75 केन्द्रो की स्थापना हेतु शासन द्वारा नामित कार्यदायी संस्था करते हुए धनराशि रुपये 6600 लाख रुपये जारी कर दिये हैं.
छुट्टा गोवंश के रख रखाव के लिए अलग से बजट
यूपी सरकार की योजना के तहत निराश्रित व बेसहारा गोवंश की समस्या के दृष्टिगत अस्थायी गोवंश आश्रय स्थलों पर रखे गये गोवंशों के भरण पोषण के लिए भी बजट का अलग से प्रावधान है. साल 2023-24 में इसके लिए 7 अरब पचास करोड़ रुपये का बजट जारी तय किया गया है. जिसके तहत माह दिसम्बर 2023 तक कुल धनराशि 50 हजार लाख रुपये जारी किया जा चुका है. जिलों जिलाधिकारियों की मांग के अनुसार धनराशि 49 हजार 354 लाख रुपये जनपदों को तथा गौआश्रय स्थलों को डीबीटी द्वारा ट्रांसफर की गयी है. इसके अतिरिक्त अलावा 25 हजार लाख की वित्तीय स्वीकृति का प्रस्ताव शासन को प्रेषित किया गया है.
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