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Vaccination: पशुओं को टीकाकरण कराने से पहले करें ये जरूरी काम, जानें क्या होगा इससे फायदा

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प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. पशुपालन में सबसे ज्यादा नुकसान बीमारियों के कारण होता है. जब पशुओं को बीमारी होती है तो इसका असर प्रोडक्शन पर पड़ता है. जब मामला गंभीर हो जाता है तो पशुओं की सेहत खराब हो जाती है और फिर इससे उनकी मौत भी हो जाती है. हालांकि समय-समय पर टीकाकरण किया जाए तो फिर इससे पशुओं को बचाया जा सकता है. जबकि पशुओं की बीमारी से होने वाले नुकसान से खुद को भी पशुपालक बचा सकते हैं. एक्सपर्ट का कहना है कि टीकाकरण ऐसी प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत निरोगी पशुओं को एक रोग विशेष के प्रति संक्रमण रोधी टीका लगाया जाता है.

आमतौर पर गलाघोटू, मुंह-खुर पका रोग, लंगड़ी बुखार आदि कई बीमारियां हैं जिनसे बचाने के लिए पशुओं को वैक्सीनेशन कराना जरूरी है. इसको लेकर पशुपालन विभाग द्वारा समय-समय पर एडवाइजरी जारी की जाती है और वैक्सीन भी लगाई जाती है. कई बार टीका लगने के बाद पशुओं को हल्का बुखार, दुधारू पशुओं का एक-दो के लिए दूध कम हो जाता है और टीका लगने वाले स्थान पर सूजन भी हो सकती है. अपने आप या थोड़ी दवा देने के बाद ठीक हो जाते हैं.

एक साथ सभी पशुओं को लगवाएं टीका
एक्सपर्ट के मुताबिक टीका न लगवाने के स्थिति में रोग आने के बाद कई बार पशु की मृत्यु भी हो जाती है. इसलिए अतः समय पर अपने पशुओं का टीकाकरण करवा कर पशुधन को रोगरहित रखने हरसंभव प्रयास करते रहना चाहिए. टीका लगवाने से पहले सभी पशुओं को कम से कम एक वीक पहले कीटनाशकों का छिड़काव और कृमिनाशक की दवा देना बहुत अहम होता है. इससे पशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ जाती है. वहीं सभी पशुओं को एक साथ (छोटे-बड़े स्वस्थ या कमजोर) टीका लगाया जाना चाहिए. एक्सपर्ट कहते हैं कि टीके के नाम, बीमारी का नाम जिसके लिए इसका उपयोग किया गया हो, उत्पादन करने वाली फर्म, बैच नंबर, निर्माण और समाप्ति की तिथि सहित टीके के बारे में सभी जानकारी होनी चाहिए.

देखभाल भी होती है जरूरी
टीकाकरण के बाद भूख, बुखार और दूध उत्पादन में कमी सामान्य लक्षण हैं. यह प्रभाव अस्थायी हैं और इनके लिए किसी उपचार की आवश्यकता नहीं होती है. वहीं टीकाकरण के फौरन बाद पशु को तनाव में नहीं रखना चाहिए. जरूरी ये है कि उन्हें पौष्टिक आहार खिलाना और विश्राम करने देना चाहिए. पशु को टीका लगाए जाने तक टीके को ठंडी श्रृंखला में बनाए रखा जाना चाहिए. वहीं नियमित रूप से कृमि निवारक और समय पर टीकाकरण द्वारा, उत्पादकता घाटे के एक प्रमुख कारण से बचा जा सकता है लेकिन यह ध्यान रखें कि जब भी पशु बीमारी के लक्षण दिखाता है तो पशुओं के स्वास्थ्य देखभाल के लिए जरूरी होती है.

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