Home डेयरी Animal Husbandry: पशुओं के लिए हे बनाने के दौरान किन बातों का रखें ध्यान, ताकि दूध उत्पादन हो ज्यादा
डेयरी

Animal Husbandry: पशुओं के लिए हे बनाने के दौरान किन बातों का रखें ध्यान, ताकि दूध उत्पादन हो ज्यादा

livestock animal news
प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. चारा फसलों की कैटेगरी के मुताबिक हे तीन प्रकार की होती है. दलहनीय हे, अदलहनीय हे एवं कम्पोजिट हे. दलहनीय फसलों से तैयार हे को दलहनीय हे कहते हैं0 जबकि इसकी गुणवत्ता बहुत अच्छी होती है. तथा दूध उत्पादन करने वाले पशुओं को खिलाने के लिए इसका विशेष महत्त्व है. इस हे में अधिक पचने वाली प्रोटीन पाई जाती है. यह प्रोटीन अन्य पौधों की प्रोटीन से अच्छी होती है. इसके साथ-साथ हे में कैल्शियम, केरोटीन, विटामिन डी एवं ई प्रचुर मात्रा में होती है.

विशेषज्ञों का कहना है कि दलहनीय हे विभिन्न दलहनीय चारा फसलों से बनाई जाती है जैसे लूसर्न, बरसीम, लोबिया, सोयाबीन आदि. अब अगर अदलहनीय हे की बात की जाए तो यह हे चारा घासों आदि से तैयार की जाती है. जोकि दलहनीय हे से लो लेवल की है. पशु ऐसे हे को कम मात्रा में खाते हैं. इनमें प्रोटीन, खनिज लवन विटामिन्स कम मात्रा में पाये जाते हैं इस हे का मुख्य लाभ यह होता है कि प्रति हेक्टर फसल उत्पादन अधिक पाया जाता है. इसके अलावा जई एवं जौ से तैयार हे को घास के हे से तुलना कर सकते हैं.

अगैती की फसल में होती है ज्यादा प्रोटीन
हे में दलहनीय एवं अदलहनीय दोनों प्रकार की चारा फसलों का मिश्रण होता है. इनकी मात्रा के अनुपात के आधार पर सम मिश्रित हे की गुणवत्ता निर्धारित होती है. यदि खाद्यान्न फसलों की कटाई अगेती की जाती है तो उसमें प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है. हे बनाते समय पोषक तत्त्वों का ह्रास हे बनाते समय पोषक तत्वों का ह्यस सदैव होता है. लेकिन हे बनाने की स्थितयां आदि अनुकूल नहीं हैं तो यह नुकसान काफी अधिक मात्रा में होता है. हे बनाते समय शुष्क पदार्थ का 15.30 प्रतिशत, प्रोटीन का 28 प्रतिशत, कैरोटीन का 90 प्रतिशत तथा ऊर्जा का 25 प्रतिशत होता है.

हे बनाने में सावधानियां
अच्छी गुणवत्ता की हे तेयार करने में कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए. हे बनाने के लिए फसल की कटाई प्रातः काल की ओस समाप्त होने के बाद ही करनी चाहिए. फसल की अवस्था का हे की गुणवता पर काफी प्रभाव होता है. इसलिए फसल की कटाई फूल अवस्था में करना श्रेयस्कर होता है क्योंकि अधिक पकी हुई फसल की हे की गुणवत्ता अच्छी नहीं होती है. अधिक पके हुए फसल के तनों में प्रोटीन कैल्शियम व फास्फोरस की मात्रा कम हो जाती है. फसल की अवस्था का हे की पाचकता पर भी प्रभाव पड़ता है.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

goat milk production in india, livestockanimalnews
डेयरी

Goat Milk: जानें, क्यों पीना चाहिए बकरी का दूध, क्या हर उम्र के लोगों के लिए है फायदेमंद

नई दिल्ली. बकरी भारत में प्रमुख पशुओं में से एक है. आमतौर...

livestock animal news
डेयरी

Dairy: इस तरह का आहार देने से पशु की बढ़ जाती है दूध उत्पादन क्षमता, जानें और क्या-क्या फायदे हैं

पशुओं को उत्पादकता और प्रजनन क्षमता को ध्यान में रखकर बनाया जाता...

abortion in cows
डेयरी

Cow Milk Production: जानें CM Yogi ने क्यों कहा गाय के दूध उत्पादन में नंबर वन बनेगा UP

देशी नस्ल की गाय का दूध विदेशी नस्ल की गायों से गुणवत्ता...

Curd News, Milk Rate, Milk News, Rajasthan is number one, milk production
डेयरी

Milk Production: अगर ये काम नहीं करेंगे तो 70 फीसदी तक घट सकता है दूध उत्पादन, पढ़ें डिटेल

प्रत्येक मां अपने दूध से अपने बच्चे का पालन-पोषण करती है. गाय...