Home डेयरी वाराणसी की लौंगलता और लाल पेड़ा को मिल सकता है जीआई टैग, अमूल करेगा प्रोडक्शन
डेयरी

वाराणसी की लौंगलता और लाल पेड़ा को मिल सकता है जीआई टैग, अमूल करेगा प्रोडक्शन

laung tala and laal peda, livestockanimalnews
लाल पेड़ा और लोंग तला का प्रतीकात्मक फोटो:

नई दिल्ली. आगरा का पेठा तो मथुरा के पेड़े को तो जीआई टेग मिल चुका है, अब वाराणसी के लौंग लता और पेड़ा का भी जल्द मिल सकता है जीआई टैग मिले जाएगा. इन दोनों मिठाई का प्रोडेक्शन अमूल करेगा. बता दें कि वाराणसी की ये दोनों ही मशहूर मिठाई हैं, जिन्हें 23 फरवरी को पीएम नरेंद्र मोदी जीआई टैग देने का एलान कर सकते हैं. पीएम मोदी 23 फरवरी को अमूल बनारस डेयरी का उद्घाटन करने आ रहे हैं, तभी लौंग लता-लाल पेड़ा को जीआई टैग मिलने का एलान कर सकते हैं.

पीएम मोदी कर सकते हैं एलान
उत्तर प्रदेश का वाराणसी जिला अपनी प्राचीन संस्कृति और धर्म के लिए पहचाना जाता है. धर्म और संस्कृति के अलावा यहां का खान—पान भी लोगों को लुभाता है. वाराणसी में एक से बढ़कर एक खाने की डिश से लेकर मिठाई देशभर में मशहूर हैं. अब इन मिठाइयों को देशभर में एक पहचान दिलाने के लिए सरकार जीआई टैग देने का एलान कर सकती है. वाराणसी की प्रसिद्ध मिठाईयां जिसमें लौंगलता और काशी का लाल पेड़ा शामिल, जिसे 23 फरवरी को जीआई टैग मिलने का एलान किया जा सकता है.

बनारसी ठंडई, लाल पेड़ा, तिरंगी बर्फी को भी मिलेगा जीआई टैग
जीआई विशेषज्ञ डॉ. रजनीकांत ने बताया कि अक्तूबर में सुनवाई पूरी होगी. बनारस के सात और उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के ब्रास के स्टैच्यू, मथुरा की कंठी माला और सांझी आर्ट समेत 36 उत्पादों को जीआई टैग मिलेगा. बनारसी ठंडई, लाल पेड़ा, तिरंगी बर्फी, म्यूरल पेटिंग, चिरईगांव का करौंदा, लाल भरवा मिर्च समेत उत्तर प्रदेश के 36 उत्पादों को जीआई टैग मिलने वाला है. चेन्नई स्थित जीआई रजिस्ट्री कार्यालय में जल्द सुनवाई होगी. जीआई टैग मिलते ही इन उत्पादों का देश, विदेश में नाम होगा.

क्या होता है जीआई टैग
डॉ. रजनीकांत के अनुसार जीआई का मतलब ज्योग्राफिकल इंडिकेशन यानी भोगौलिक संकेत है. जीआई टैग एक प्रतीक है, जो मुख्य रूप से किसी उत्पाद को उसके मूल क्षेत्र से जोड़ने के लिए दिया जाता है. उत्पाद की विशेषता बताता है. यह दर्शाता है कि विशेष उत्पाद किस जगह बनता है या उसका उत्पादन कहां होता है.

जीआई टैगिंग ये होते हैं फायदे
जीआई टैग के जरिये उत्पादों को कानूनी संरक्षण मिलता है. बाजार में उस नाम से दूसरा उत्पाद नहीं लाया जा सकता है. गुणवत्ता का पैमाना भी होता है. देश के साथ विदेशों में भी बाजार आसानी से मिल जाता है.

इन उत्पादों को मिल चुका है जीआई टैग
बनारसी साड़ी व ब्रोकेड, गुलाबी मीनाकारी, बनारसी जरदोजी, लकड़ी के खिलौने, ग्लास बीड्स, हैंड ब्लॉक प्रिंट, साॅफ्ट स्टोन जाली वर्क, वुड कार्विंग समेत मिर्जापुर के पीतल के बर्तन व हस्तनिर्मित दरी, भदोही की कालीन, गाजीपुर का वॉल हैंगिंग,निजामाबाद की ब्लैक पाॅटरी, चुनार का बलुआ पत्थर व ग्लेज पॉटरी, गोरखपुर का टेराकोटा क्राफ्ट.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

Animal Husbandry: Farmers will be able to buy vaccines made from the semen of M-29 buffalo clone, buffalo will give 29 liters of milk at one go.
डेयरी

Milk Production: ये पांच काम कर लें, 20 लीटर से ज्यादा दूध देगी भैंस, कभी कम नहीं होगा उत्पादन

इसके लिए आपको सही जानकारी होना जरूरी है. तभी आप पशुओं से...

दो पशुओं के साथ आप अपना फार्म शुरू कर सकते हैं. करीब 10 से लेकर 15 लीटर दूध तक आपको देने वाली गायों की देखभाल शुरुआत में छोटे शेड से कर सकते हैं.
डेयरी

Cow Farming: जानें 30 लीटर दूध देने वाली गाय पालने पर भी क्यों घाटे में रहते हैं डेयरी फार्मर्स

जबकि इसके दूध की क्वालिटी भैंस के दूध की क्वालिटी से बेहतर...

छोटे जुगाली करने वाले पशुओं में, मादा जुड़वां या तीन बच्चों को पालने में असमर्थ हो सकती है और एक या अधिक बच्चे गर्भ में ही खत्म होने का खतरा हो सकता है.
डेयरी

Dairy Farming: गाय और भैसों की गर्भावस्था के दौरान देखभाल कैसे करें, यहां जानिए एक्सपर्ट के टिप्स

छोटे जुगाली करने वाले पशुओं में, मादा जुड़वां या तीन बच्चों को...