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Animal Husbandry: बच्चा पैदा होने के बाद जेर न गिरने से पशुओं को होती हैं क्या-क्या परेशानियां, पढ़ें यहां

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प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली. पशुओं में कई तरह की समस्याएं होती हैं. जब गाय या भैंस बच्चा देती है तो उस वक्त कई बातों का ध्यान रखने की जरूरत होती है. मसलन, जेर गिरने को लेकर पशुपालकों को जानकारी होनी चाहिए, नहीं तो पशु बीमार पड़ सकता है. एक्सपर्ट के मुताबिक आमतौर पर गाय और भैंस के बच्चा पैदा होने के 10-12 घंटे के अंदरा अपरा या जेर जो कि बारीक झिल्ली होती है, जेनिटल्स के रास्ते बाहर आ जाती है. कभी-कभी यह 24-48 घंटे का समय लेती है. या इससे अधिक समय के बाद भी बाहर नहीं गिरती है. अपने आप न गिरने की वजह से बच्चेदानी में कई संक्रामक कीटाणु पहुंच जाते हैं.

एनिमल एक्सपर्ट कहते हैं कि जेर के सड़ने गलने से खून के कतरे जमा होने से भी बच्चेदानी में काफी मैल व गंधदार रंगीन पानी जमा हो जाने से पशु को बुखार हो जाना, दूध कम होना, सुस्त हो जाना आदि लक्षण देखने को मिलते हैं. यदि जेर निकालने के लिए मजदूर, किसान या ग्वाले जैसे अनजान व्यक्ति की सहायता ली जाती है तो आवश्यक सावधानी व सफाई न रखने से पशु में बीमारी बढ़ने की संभावना रहती है. इसलिए जेर रुक जाने पर उसे निकालने के लिए पशु चिकित्सक की सहायता व इलाज कराना बेहद ही जरूरी होता है.

बढ़ जाता है इस बात का खतरा
कभी-कभी गाय और भैंस का गर्भकाल पूरा होने से पहले ही बच्चा पैदा हो जाता है. ऐसी स्थिति में जेर बच्चेदानी में ही रहकर सड़ जाती है. इससे अनेक संक्रामक बैक्टीरिया खून में होकर शरीर के अन्य भागों में प्रकोप बढ़ाकर पशु के जीवन को खतरा बढ़ा देते हैं. इस वजह से निकट के पशु चिकित्सक से जल्दी से जल्दी जांच कराकर उचित इलाज कराना जरूरी होता है. नहीं तो पशु के रिपीट ब्रीडर हो जाने की संभावना बढ़ जाती है.

ऐसा होने पर पशु चिकित्सक से लें सलाह
कभी-कभी गर्भावस्था काल के बीच में अनेक कारणों से गर्भ बच्चेदानी में ही मर जाता है. जिसकी वजह से कई बेहद ही नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थ पशु के शरीर में फैलकर उसे बीमार कर देते हैं. इतना नहीं उसकी जिंदगी के लिए भी खतरा बन जाते हैं. ऐसा शक होने पर जल्दी से जल्दी किसी पशुचिकित्सक से जांच कराके उचित चिकित्सा कराना आवश्यक होता है. वहीं पशु जेनिटल्स से संबधित खास जीवाणु जैसे- ब्रुसेला ट्राईकोमोनास, लिस्टीरिया, केम्पाईलोबैक्टर (बिब्रियो) आदि संक्रामक रोगो से ग्रस्त पशु में भी गर्भ नहीं ठहरता है. इसके संबन्ध में पशु चिकित्सक से परामर्श व चिकित्सा आवश्यक है.

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