नई दिल्ली. ठंड से पहली मुर्गीपालन में कुछ जरूरी बदलाव किये जाते हैं. जिसमें ठंड आने से पहले मुर्गियों के बाड़े की मरम्मत करवाई जाती है. इसके तहत खिड़कियां तथा दरवाजे ठीक-ठाक हालत में करवा लेने चाहिए. मुर्गी फार्म पर अक्सर मुर्गियों के बाड़ों की बगलों पर डालियां लगी होती हैं. जहां से शाम तथा रात में ठंडी बर्फीली हवाओं से बाड़े के भीतर का टेंप्रेचर गिरता है. इसे हटा देना चाहिए. वहीं मुर्गियों से सबसे ज्यादा उत्पादन लेने के लिए 85 डिग्री से 95 डिग्री फॅरनहीट टेंप्रेचर रखना जरूरी होता है.
एक्सपर्ट कहते हैं कि उत्तर भारत में ठंड में जब टेंप्रेचर 13 डिग्री सेंटीग्रेड से नीचे चला जाता है तो अंडा उत्पादन पर विपरीत असर पड़ सकता हैं. ऐसी स्थिति में बचाव हेतु बाड़े की बगलों पर मोटे टाट (बारदान) से बने पर्दे इस तरह लगवायें ताकि ठंडी हवाओं के झोकों से मुर्गियों को बचाया जा सके.
क्या-क्या और करवाना चाहिए जानें यहां
-पर्दों की निचली जगह पर बांस बांध दें ताकि वे तेज हवाओं से न उड़े और मुर्गियों को ठंडी हवाएं न लगे.
-अंडा उत्पादन बरकरार रखने के लिए और मुर्गियों को ठंड से बचाने हेतु बाड़े में बिजली के बल्ब (लट्टू) लगाना जरूरी है.
-दिन की रोशनी का समय मिलाकर 16 घंटों तक रोशनी मिलना जरूरी है तभी वे दाना अच्छी तरह चुगकर अंडा देती रहती हैं.
-200 वर्गफीट जगह में कृत्रिम रोशनी देने के लिए 400 वॉट क्षमता के बिजली के बल्ब लगाना जरूरी हैं.
-200 वर्गफीट जगह में 100 वॉट क्षमता के चार बिजली के बल्ब लगाने से काम बन जायेगा.
-अंधेरे में मुर्गियां दाना नहीं चुगती हैं और इससे अंडा उत्पादन में कमी आ जाती हैं.
-ठंड में मुर्गियों को ज्यादा ठंडा पानी ना पिलाये बल्कि गुनगुना पानी देना बेहतर होगा.
-ठंड में मुर्गियों की भूख बढ़ जाती है. इसलिए उनके दोने (फीड ट्रफ) हमेशा दाने (मॅश) से भरे होने चाहिए.
-एक संकर मुर्गी को रोजाना 110 से 140 ग्राम दाना जरूरी होता हैं.
-जरूरी मात्रा में दाना ना मिलने पर अंडों की तादाद तथा वजन में गिरावट आती हैं.
-डीप लीटर पद्धति में रखी मुर्गियों के बाड़े में जो भूसा जो जमीन पर बिछा होता है वो सूखा होना चाहिए.
-गीला बिछावन (लिटर) हटाकर वहां सूखा बिछावन डाल दें. नहीं तो मुर्गियों को ठंड लग सकती है.
-मुर्गियों का रोजाना निरीक्षण करें. सुस्त मुर्गियों की पशुओं के डाक्टर द्वारा जांच करवाकर दवा दें.
सफाई का खास ध्यान दें
-रोजाना सबेरे सूरज निकलने के बाद ही टाट के पर्दे ऊपर लपेटकर रखें तथा ताकि धूप अंदर आ सके.
-मुर्गीघर से मुर्गियों की चिचड़ी लगातार निकालते रहें. तथा वहा साफ-सफाई रखें. इससे मुर्गियों का स्वास्थ्य ठीक-ठाक रहने में मदद मिलेगी.
-सर्दियों के महीने में चूज़ों की डिलीवरी सुबह के समय कराएं, शाम या रात को बिल कुल नहीं -क्योंकि शाम के समय ठंड बढ़ती चली जाती है.
-शेड के परदे चूजों के आने के 24 घंटे पहले से ही ढक कर रखें.
-चूजों के आने के कम से कम 2-4 घंटे पहले ब्रूडर ON किया हुआ होना चाहिए.
-पानी पहले से ही ब्रूडर के नीचे रखें इससे पानी भी थोडा गर्म हो जायेगा.
-अगर ठंड ज्यादा हो तो ब्रूडर को कुछ समय के हवा निरोधी भी आप बना सकते हैं किसी भी पोलिथीन से छोटे गोल शेड को ढक कर ऐसा कर सकते हैं.
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