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Milk Production: दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार ने क्या-क्या किया है काम, मंत्री ने बताया, पढ़ें यहां

हरित प्रदेश मिल्क प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन सदस्यों को बोनस का तोहफा दिया जा रहा है.
प्रतीकात्मक फोटो. livestock animal news

नई दिल्ली. मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री सरकार राजीव रंजन सिंह उर्फ ​​ललन सिंह ने एक सवाल के जवाब में बताया कि पशुपालन और डेयरी विभाग देश में पशुपालकों की आय को बढ़ाने के लिए मार्डन पशुपालन पद्धतियां को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहा है. जिसमें उन्नत प्रजनन प्रणालियां, बेहतर पोषण और कृषि तकनीकों को अपनाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रहा है. इसके लिए कई योजनाएं भी चलाई जा रही हैं. सरकार ओर से कहा गया है कि पशुपालन राज्य का विषय है. फिर भी पशुधन स्वास्थ्य और बीमारियों पर नियंत्रण करने के लिए कार्यक्रम के तहत विभाग राजस्थान और झारखंड सहित सभी राज्यों व केंद्र शासित राज्यों में पशुधन उत्पादकता बढ़ाने के लिए काम कर रहा है.

मंत्री ने अपने जवाब में कहा कि केंद्र सरकार पशुधन में बीमारियों से बचाने के लिए वैक्सीनेशन, क्षमता निर्माण, रोग निदान, रिसर्च और इनोवेशन, ट्रेनिंग आदि जैसी पहलों के माध्यम से पशुओं की हैल्थ की देखभाल को बढ़ाने के लिए मदद कर रही है.

राष्ट्रीय गोकुल मिशन (RGM)
RGM देशी बोवाइन नस्लों के विकास और संरक्षण, बोवाइन आबादी के जेनेटिक अपग्रेडेशन और बोवाईन पशुओं के दूध उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि पर ध्यान केंद्रित करता है. जिससे जनजातीय समुदायों सहित सभी समुदायों के किसानों के लिए दूध उत्पादन अधिक लाभकारी बन सके.

राष्ट्रीय पशुधन मिशन (NLM)
एनएलएम कृत्रिम गर्भाधान के जरिये से श्रेष्ठ नर जर्मप्लाज्म के प्रसार द्वारा से​लेक्टिव प्रजनन से भेड़, बकरी आदि पशुओं के के आनुवंशिक सुधार के द्वारा नस्ल सुधार के लिए काम होता है. इसके अलावा सीमेन स्टेशन, सीमेन लेबोरेटरी, सीमेन बैंकों, पशुओ में कृत्रिम गर्भाधान केंद्रों का छोटे पशुओं द्वारा इस्तेमाल जैसी बुनियादी ढांचों के विकास के लिए राज्यों को मदद मुहैया कराता है.

राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (NPDD)
राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम के प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण घटक के तहत परियोजना क्षेत्र में डेयरी किसानों को कई ट्रेनिंग दी गई है.

  • ई-गोपाला एप के “पशु पोषण” मोबाइल एप्लिकेशन के इस्तेमाल से डेयरी को उनके पशुओं की पोषण और एनर्जी जरूरत के आधार पर संतुलित राशन खिलाना.
  • अच्छे गुणवत्तायुक्‍त चारे का महत्व और साइलेज का इस्तेमाल.
  • खनिज मिश्रण की अहमियत.
  • पशुओं के समय पर वैक्सीनेशन की अहमियत और फायदा
  • मास्टिटिस आदि जैसे तमाम रोगों के इलाज के दौरान एंटीबायोटिक दवाओं के ज्यादा इस्तेमाल को कम करने के लिए एथनो वेटरनरी मेडिसिन (ईवीएम) का इस्तेमाल
  • सहकारी समितियों के MAIT के जरिये से कृत्रिम गर्भाधान का महत्व.
  • बछड़े और बछडि़यों के पालन का महत्व और बछड़े और बछडि़यों के (कॉफ) स्टार्टर का उपयोग करने का फायदा.

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