नई दिल्ली. वियतनाम भले ही झींगा का प्रोडक्शन में नंबर वन है लेकिन अभी भी भारत में उत्पादित झींगा की डिमांड अमेरिका और चीन जैसे देशों में ज्यादा है. भारत में उत्पादित होने वाले श्रिम्प को इन देशों में ज्यादा पसंद किया जाता है. बावजूद इसके हम वियतनाम के मुकाबले एक्सपोर्ट में पीछे हैं और दूसरी ओर देश में सालदर साल झींगा उत्पादन में गिरावट दर्ज की जा रही है, जो इस सेक्टर के लिए ठीक नहीं है. सीफूड प्रोडक्शन और एक्सपोर्ट कम होने की वजह के बारे में पूछने पर जानकार दो बड़ी वजह गिनाते हैं. जिसके बारे में हम आगे आपको विस्तार से बताएंगे.
पहले बात कर लेते हैं भारत में झींगा प्रोडक्शन की. मौजूदा आंकड़ों पर गौर किया जाए तो भारत में इस वक्त 11 लाख टन झींगा का उत्पादन हो रहा है. जिसमें से 75 फीसदी तक झींगा बाहर एक्सपोर्ट किया जाता है. जबकि बाकी बचा घरेलू इस्तेमाल में लिया जाता है. एक्सपर्ट का कहना है कि घरेलू डिमांड बढ़ाने की जरूरत है.
आंध्र में घट गई फार्म की संख्या
विदेशी बाजार में झींगा एक्सपोर्ट की बात की जाए तो सरकारी आंकड़े कहते हैं कि साल 2022-23 में 43 हजार 135.59 करोड़ रुपये का झींगा निर्यात किया गया था. वहीं ये आंकड़ा 2023-24 में घटकर 40 हजार 013.54 रुपये पर आ गया. इसमें करीब 3 हजार 122 करोड़ रुपये की कमी दर्ज की गई. वहीं भारत में सबसे ज्यादा झींगा का उत्पादन आंध्र प्रदेश में होता है, लेकिन यहां उत्पादन करने वाले फार्म की संख्या में कमी आई है. आंध्र प्रदेश के बापतला जिले को उदाहरण के तौर पर लें तो यहां 2022-2023 में फार्म की संख्या 358 थी. 2023-2024 में 136 हो गई और फिर 2024-25 (30 अक्टूबर 2024 तक) इसकी संख्या घटकर महज 75 रह गई. जबकि गंटूर में साल 2022-2023 में 541 के मुकाबले फार्म की संख्या जीरो तक गिर गई है. सभी जिलों की संख्या को जोड़ दिया जाए तो साल 2022-2023 तक कुल फार्म की संख्या 1409 के मुकाबले, अब 117 ही रह गई है.
भारत के झींगा का रेट है ज्यादा
भारत से झींगा एक्सपोर्ट कम होने की पहली वजह रेट है. वियतनाम के मुकाबले भारत का झींगा रेट ज्यादा है. देश वियतनाम के रेट की बराबरी नहीं कर पा रहा है, इसके चलते दूसरे देशों के व्यापारी भारत की बजाय वियतनाम का झींगा खरीदते हैं. जबकि क्वालिटी और पसंद के मामले में भारत में उत्पादित झींगा वियतनाम से कहीं अच्छा है. चीन और अमेरिका जैसे देशों में भारत के झींगा को पसंद करने वालों की संख्या इस बात की तस्दीक भी करती है.
75 फीसदी होता है एक्सपोर्ट
वहीं उत्पादन कम होने की वजह ये है कि भारत में उत्पादित झींगा का 75 फीसदी हिस्सा एक्सपोर्ट होता है. यहां घरेलू डिमांड बहुत कम है. इस कारण एक्सपोर्ट न होने पर भारत में इसका दाम अच्छा नहीं मिलता है. व्यपारियों को औने—पौने दाम पर बेचना पड़ता है. जब ज्यादा फायदा नहीं होता है तो उत्पादक इसमें ज्यादा दिलचस्पी भी नहीं लेते हैं. इसलिए एक्सपर्ट भारत में झींगा के फायदों के प्रचार—प्रसार के जरिये इसकी घरेलू डिमांड को बढ़ाने की मांग करते चले आ रहे हैं. ताकि ये कारोबार बिल्कुल ठप न पड़ जाए.
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