Home पशुपालन Sheep Farming: क्या होती है भेड़ों की डिपिंग, क्यों सालभर में एक बार कराना है जरूरी, जानें यहां
पशुपालन

Sheep Farming: क्या होती है भेड़ों की डिपिंग, क्यों सालभर में एक बार कराना है जरूरी, जानें यहां

muzaffarnagari sheep weight
मुजफ्फरनगरी भेड़ की प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. भेड़ पालन करने वाले लोग ये जानते होंगे कि भेड़ों की साल में एक बार डिपिंग कराई जाती है. अगर आप नहीं जानते हैं तो जान लें कि डिपिंग क्या होती है और इसे कराना क्यों जरूरी होती है. एक्सपर्ट के मुताबिक इस विधि के तहत भेड़ों को दो मिनट तक रसायन में डुबोकर नहलाया जाता है. ऐसा इसलिए किया जाता है कि ताकि भेड़ों से चिपके गोबर, कीचड़ और भेड़ों के परजीवी को नष्ट किया जा सके. भेडों को वर्ष में कम से कम एक बार डिपिंग जरूर करना चाहिए.

​विशेषज्ञों के मुताबिक डिपिंग कराने से भेड़ों से जूं और टिक आदि बाह्या परजीवी मर जाते हैं. इसके अलावा खाज समाप्त हो जाती है और अन्य स्वस्थ भेड़ उस बीमारी से बच जाती है. वहीं भेड़ ब्लो मक्खियों के प्रभाव से बच जाती है. इसके अलावा ऊन काटने से पहले डीप करने से मिट्टी, गोबर तथा उसमें फंसे कांटे तथा गंदगी निकल जाती है.

डिपिंग कराते वक्त की सावधानियां

  • डिपिंग के लिए भेड़ों को साफ जल में डीप कराया जाना चाहिए. डिप करने के बाद भेड़ की हालत में सुधार आ जाता है.
  • अक्टूबर और अप्रैल में ऊन काटने से पहले डिप करना चाहिए. यदि बाह्या पजीवी अधिक हों, तो भेड़ को ऊन काटने के एक माह बाद भी डिप करना चाहिए, क्योंकि तब तक त्वचा के जख्म भर जाते है.
  • तीन माह से अधिक गाभिन भेड़ को डिप करना चाहिए. यदि डिप करना आवश्यक हो, तो उन्हे छोटे समूह में रख कर बहुत सावधनी के साथ डिप करना चाहिए.

बारिश के दिनों में डिप नहीं करना चाहिए, क्योंकि डिप घोल वर्षा की वजह से ऊन से धुल जाता है. कभी कभी धुलने से बचाने के लिए डिप में इस्तेमाल होने वाले रसायन को तेल में मिला कर गर्म पानी में इमल्शन तैयार किया जाता है. इस विधि को वाटर प्रुफिंग डीप कहते है.

ऐसी भेड़ों को नहीं कराएं डिपिंग
जिस भेड़ के शरीर पर जख्म हो या बीमार हो, उसे डिप नहीं करना चाहिए. मेमनों और जल्दी कुर्बान होने वाले नर भेड़ को भी डिप नहीं करना चाहिए.

बहुत तेज धूप में या बहुत ठडंक वाले दिनों में डिप नहीं करना चाहिए. शाम चार बजे तक डिपिंग समाप्त कर देनी चाहिए ताकि सूरज डूबने से पहले अंतिम डिप की गई भेड़ सूख जाए.

डिपिंग की तैयारी एक दिन पूर्व में कर दी जानी चाहिए और डिपिंग का कार्य सुबह से ही प्रारम्भ कर देना चाहिए.

भेड़ को डिपिंग के लगभग 15-20 मिनट बाद तक डेनिंग पेन में खड़ा करना. ताकि घोल डिप टंकी में वापस आ जाए और भेड़ सूख जाए. प्रजनन काल में नर भेड़ों को डिप नहीं करना चाहिए.

ऐसा करने से इससे उनके शिशन के प्रभावित होने या चोट लगने का या जांघो के अंदर की त्वचा के जलने का भय बना रहता है.

डिप को तैयार करने तथा इस्तेमाल के बाद फेंकने के लिए डिप रसायन निर्माताओं के निर्देशों का पालन करना चाहिए.

-डिपिंग के पूर्व भेड़ को पानी पिलाना चाहिए ताकि वह डिप घोल को न पिए.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

Animal Husbandry: Milk animals can become sick in extreme cold, adopt these methods to protect them from diseases.
पशुपालन

Animal Husbandry News: पशुपालन को मिला कृषि का दर्जा, पशुपालकों मिलेंगे ये बड़े फायदे

चिकन की डिमांड पूरी करने के लिए 25 हजार ब्रॉयलर, मुर्गी अंडे...

ppr disease in goat
पशुपालन

Goat: बकरियों को चारा उपलब्ध कराने में आती हैं ये रुकावटें, पढ़ें यहां

बताया कि बकरियाँ सामान्यत बेकार पड़ी जमीन, सड़क के किनारे नदी व...

langda bukhar kya hota hai
पशुपालन

Animal Husbandry: पशुओं की बरसात में देखभाल कैसे करें, यहां पढ़ें एक्सपर्ट की सलाह

डेयरी फार्म में पशुओं के मल-मूत्र की निकासी का भी उचित प्रबंधन...

Animal husbandry, heat, temperature, severe heat, cow shed, UP government, ponds, dried up ponds,
पशुपालन

Animal Husbandry: यहां पढ़ें क्या है पशु क्रूरता के नियम, ​इसे न मानने वालों पर क्या होगी कार्रवाई

पशु क्रूरता से संबंधित शिकायत संबंधित थाना, पुलिस अधीक्षक, जिला पदाधिकारी और...