नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को 110वीं मन की बात में बकरी पालन पर जोर दिया. साथ ही उन्होंने गोट बैंक का जिक्र किया. पीएम मोदी ने अपने संबोधन में ओडिशा कालाहांडी में गोट बैंक चला रही जयंती महापात्र और उनके पति वीरेंद्र साहू का जिक्र किया. क्या आपको पता है कि पीएम ने मोदी ने जिस गोट बैंक की पर चर्चा की. उस तरह से देश में कई लोग कार्य कर रहे हैं. जिससे न सिर्फ वो खुद कमाई कर रहे हैं बल्कि दूसरों को भी फायदा पहुंचा रहा है. आइए जानते हैं.
आपने पैसे जमा करने के लिए बैंक, ब्लड बैंक, रोटी बैंक का नाम तो सुना और उसे देखा भी होगा लेकिन क्या कभी गोट बैंक का नाम सुना है, नहीं न, चलो हम आज आपको इस बैंक के बारे में पूरी जानकारी मुहैया कराते हैं. ये बैंक कैसे काम करता है और किस तरह से महिलाओं को स्वावलंभी बनाने में लगा है. ये बैंक महाराष्ट्र के अकोला जिले में 52 साल के नरेश देशमुख नाम के किसान ने आज से पांच साल पहले खालाा था, जो आज पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है.
1100 रुपये में मिलती है बकरी
बताते चलें कि ये बैंक 10-12 हजार कीमत की बकरी को महज 1100 रुपये में देता है और ऋण के तौर पर पैसा नहीं बल्कि 40 महीनों में महज चार बच्चे लेता है. बैंक प्रत्येक व्यात पर डेढ़ माह का बच्चा लेता है. इससे बैंक और महिलाओं दोनों का लाभ होता है. बता दें कि ये 1100 रुपये आवेदक से बतौर एग्रीमेंट के तौर पर लिए जाते हैं. गोट बैंक महिलाओं को स्वावलंभी बनाने में का काम कर रहा है. अकोला के 52 साल के किसान नरेश देशमुख का ये बैंक पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है.
कई जिले के लोग बकरियां ले गए
इस बैंक में डिमांड विदर्भ, खानदेश और पश्चिमी महाराष्ट्र के अलग-अलग जिलों से आने लगी है. इतना ही नहीं ठाणे जिले की पालघर, नंदुरबार, जलगांव, नागपुर और हिंगोली जिले के लोग गोट बैंक से बकरियां ले भी गए हैं. इस बैंक की सकारात्मका को देखते हुए प्रदेश सरकार भी इस बैंक को प्रोत्साहित करने के लिए योजना बना रही है. ऐसी बकरियों को रोजगार के लिए महिलाओं को देने की बात चल रही है.
40 महीने में 4400 बकरियां मिल जाती हैं
गोट बैंक के संचालक किसान नरेश देशमुख से जब इस बारे में बात की तो उन्होंने बताया कि इस बैंक के मकसद को देश के हर गांव-शहर तक ले जाना है. कोशिश की जा रही है कि हर जिले, हर तहसील और ग्राम पंचायत स्तर पर ऐसे गोट बैंक खोलने की योजना है. उन्होंने बताया कि ठाणे जिले के पालघर, अमरावती, हिंगोली, बुलढाणा और जलगांव जिले में इस साल इस बैंक ने 1100 से अधिक गर्भवती बकरियां दी हैं. अगर बैंक को लाभ की बात करें तो बैंक को 40 महीने में बतौर ऋण 4400 बकरियां मिल जाएंगी.
क्या है बैंक से लाभ लेने की प्रक्रिया
बैंक संचालक नरेश देशमुख बताते हैं कि बैंक से लाभ लेने के लिए बहुत ज्यादा शर्तें नहीं हैं. बकरी लेने के लिए आवदेनकर्ता को सिर्फ 1100 रुपये जमा कराने होते हैं. एक बॉड भरकर प्रेगेंट बकरी दी जाती है. मगर, जब बकरी के व्यात पर लाभार्थी बैंक को एक-डेढ़ माह बाद एक बच्चा बतौर ऋण के तौर पर देनार पड़ेगा. बकरी साल में दो बार बच्चे देती है. यानी एक साल में चार बच्चे बैकरी देती है तो उसे बैंक को दो बच्चे लौटाने होंगे. बैंक की शर्त है कि 40 महीनों में इस प्रेग्नेंट बकरी के 4 मेमने उन्हें सूद के तौर पर लौटाने होंगे.
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