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Dairy: गाय-भैंस के थनों पर सूजन का क्या है नुकसान, कैसे करें इसका इलाज, पढ़ें यहां

दुधारू पशुओं के बयाने के संकेत में सामान्यतया गर्भनाल या जेर का निष्कासन ब्याने के तीन से 8 घंटे बाद हो जाता है.
गाय-भैंस की प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. पशुपालन करने वाले किसानों को पशुओं का कई तरह से ख्याल रखना पड़ता है. पशुओं को दाना-पानी देने के साथ-साथ उन्हें बीमारी न लगे इस बात का भी खास ख्याल रखने की जरूरत होती है. पशुओं को कई तरह बीमारी होती है लेकिन कई बार उनके थनों में सूजन भी आ जाती है, जो बहुत ही गंभीर मामला है. अगर थनों की सूजन ज्यादा है तो ये थनैला बीमारी का लक्षण भी हो सकता है. इसलिए जरूरी है कि वक्त रहते इसका इलाज कर दिया जाए.

पशु विशेषज्ञों का कहना है कि गाय-भैंस में के थनों में अगर सृजन हो तो पशु का जो दूध होता है, उसका रंग और प्रकृति पूरी तरह से बदल जाती है. सूजन की वजह से दूध निकलने का रास्ता बारीक हो जाता है और साथ में दूध, छिछड़े, दूध फटे, मवाद आना या पस आना जैसे मामले भी सामने आते हैं. इससे दूध की क्वालिटी खराब हो जाती है और वह दूध न तो पीने योग्य रहता है और न ही बेचने लायक रह जाता है. इसका नुकसान पशुपालकों को सीधे तौर पर होता है.

अक्सर हो जाती है सूजन
पशु विशेषज्ञ यह भी कहते हैं कि भैंस के थनों में सूजन आने की समस्या बेहद आम और यह अक्सर हो जाती है. ये पशु के थनों में किसी तरह की चोट लगने की वजह से भी यह होती है. या फिर पशु के सही तरह से दूध न निकलने की वजह से भी ये सूजन थानों में आ जाती है. इसके अलावा अन्य दूसरे कारण भी हैं. जिसकी वजह से यह समस्या हो सकती है. यह बहुत घबराने वाली बात नहीं है. इसका इलाज किया जा सकता है और इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है.

कैसे करें इलाज
थनों की सूजन दूर करने के लिए कई तरह के उपाय किए जाने चाहिए. इस स्थिति में पशुपालक भाई अपनी गाय और भैंस के थनों पर इनफैलेमिन ऑइंटमेंट लगा सकते हैं. इसको अच्छी तरह से पशु के थन पर लगाना चाहिए. इसको लगाते वक्त यह ध्यान रखें कि एक लेयर पशु के थन पर बन जाए. जब ऐसा होगा तभी पशु के थेनों की सूजन से राहत मिलेगी. अगर पशु के थनों में सूजन ज्यादा है तो 2 से 3 बार इसे लगा सकते हैं. अगर सूजन कम है तो एक बार सुबह और एक बार शाम को लगाना चाहिए.

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