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Milking: पढ़ें दूध दुहने का क्या है सही तरीका, जानें मशीन का इस्तेमाल करना फायदेमंद है या नुकसानदेह

Animal Husbandry, Dairy Farming, Agriculture News,Animal Health Care
प्रतीकात्मक फोटो। livestockanimalnews

नई दिल्ली. हो सकता है कि पशुपालन करने वाले बहुत से पशुपालकों को इस बात की जानकारी ही न हो कि दूध किस तरह दुहना चाहिए. एक्सपर्ट के मुताबिक दूध दुहने का दो तरीका होता है. एक हाथ के जरिए और दूसरा मशीन के जरिए. आमतौर पर हाथ से दूध दुहते समय पशुपालक अंगूठा मोड़ लेते हैं और इससे पशुओं को चोट लगने का खतरा रहता है. वहीं अब आधुनिक समय में दूध दुहने वाली मशीनें थन को नुकसान पहुंचाए बिना पशुओं का दूध जल्दी और कुशलता से निकालने में मदद करती हैं.

दूध दुहने वाली मशीनें दो बुनियादी काम करती हैं. यह आंशिक वैक्यूम के इस्तेमाल से स्ट्रीक कैनाल को खोलती हैं, जिससे दूध को एक लाइन के माध्यम से थन टैंक से बाहर निकलकर एक कंटेनर में चला जाता है. मशीन थन की मालिश करती है, थन में रक्त और लसीका के जमाव को रोकती है.

नहीं होता है पशुओं को दर्द
एक्सपर्ट का कहना है कि इसे चलाने में आसानी होती है. कम लागत लगती है और समय की बचत होती हैं. क्योंकि यह प्रति मिनट 1.5 लीटर से 2 लीटर दूध दुह देती है. यह बहुत ही साफ और ऊर्जा-संरक्षण करने वाली भी होती है. क्योंकि इसमें बिजली की आवश्यकता नहीं होती है. इसके इस्तेमाल से थन से सारा दूध निकाला जा सकता है. मशीन को आसानी से चलाया जा सकता है और ये पशुओं को दूध पिलाने जैसा एहसास देती हैं और थन में दर्द के साथ-साथ दूध के रिसाव से भी बचाती है.

स्वच्छ दूध उत्पादन
गंदगी, धूल, विदेशी सामग्री युक्त दूध जिसमें बैक्टीरिया की संख्या अधिक होती है और स्वाद खराब होता है, उसे दूषित दूध कहा जाता है. दूध कई तरह से गंदा हो जाता है. दूध दुहने वालों, खलिहान और पशु के बिस्तर की गंदगी, बैक्टीरिया के विकास का कारण बनती है. ऐसे बैक्टीरिया थन में टीट कैनाल के माध्यम से एंट्री कर सकते हैं, जो स्तनदाह जैसे संक्रमण का कारण बनते हैं. जिसके कारण दूध दूषित हो जाता है. हमेशा ही आगे के दूध को फेंक दिया जाना चाहिए क्योंकि इसमें बैक्टीरिया की संख्या अधिक होती है. पूरा दूध दुहना चाहिए. अधूरा दूध दुहने से थन में संक्रमण हो सकता है.

पशु के शरीर का बाहरी हिस्सा
पशु के शरीर पर मौजूद बैक्टीरिया दूध दुहने के समय दूध में प्रवेश कर सकते हैं. दूध दुहने से पहले साफ त्वचा बनाए रखना, साफ नम कपड़े से पीठ और थन को धोना इस स्रोत से होने वाले संदूषण को कम करता है. अच्छे वेंटिलेशन और साफ फर्श की व्यवस्था होनी चाहिए. दूध दुहने के बाद सूखा चारा या चारा खिलाना चाहिए. वहीं दूध दुहने वाले के गंदे हाथ और कपड़े संदूषण का स्रोत हो सकते हैं, जिससे दूध के माध्यम से उपभोक्ता तक बैक्टीरिया संबंधी बीमारियां फैल सकती हैं. टीबी, टाइफाइड बुखार, डिप्थीरिया जैसी बीमारियों से पीड़ित व्यक्तियों को दूध दुहने के लिए नहीं रखा जाना चाहिए. धूम्रपान, शराब पीने जैसी गंदी आदतों से बचना चाहिए. इसके अलावा दूध को रखने के लिए साफ, स्वच्छ, चिकने, तांबे रहित और सूखे बर्तनों का इस्तेमाल किया जा सकता है.

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