नई दिल्ली. दाना मिक्सचर बकरियों के लिये न केवल दाने की मात्रा बल्कि इसकी गुणवत्ता इनके उत्पादन को प्रभावित करती है. यदि बकरियों को अच्छी गुणवत्ता वाला दहलनी हरा चारा या दलहनी चारे से बनी ‘हे’ उचित मात्रा में उपलब्ध है तो उस कंडीशन में दाने के मिश्रण में केवल अनाज जैसे जौ, बाजरा, मक्का, ज्वार, गेहूं, जई आदि ही काफी है. हालांकि उस समय जब अच्छी गुणवत्ता वाला दलहनी हरा चारा या इससे बनी हुई ‘हे’ उपलब्ध नहीं है तब बकरी के दाने के मिक्सचर में जरूरी मात्रा में खल का मिलाना आवश्यक है. जिससे कि पोषण में प्रोटीन एवं ऊर्जा का उचित सन्तुलन रहे. इसके अलावा दाने के मिक्सचर में 1.5 प्रतिशत नमक और 1.5 प्रतिशत खनिज लवण मिलाना चाहिए.
एक्सपर्ट के मुताबिक बकरियों की कुल सूखा पदार्थ की जरूरत उनके शारीरिक भार के 3-4 प्रतिशत के बराबर होती है. दूध देने वाली बकरियां और छोटे बच्चे अपने शारीरिक भार के लगभग 5 प्रतिशत के बराबर सूखा चारा खा लेते हैं. सूखा चीजों की जरूरत को आधार बनाकर बकरियों के लिये आवश्यक दाने एवं चारे की मात्रा को काउंट किया जा सकता है
बकरियों की रोजमर्रा की जरूरत
ड्राई बकरियों को प्रतिदिन लगभग 500 ग्राम दहलनी या 1.0 किलोग्राम अदलहनी हरा चारा, 500-600 ग्राम दलहनी भूसा तथा लगभग 100 ग्राम दाना मिक्सचर की जरूरत होती है. दूध देने वाली बकरियां दूध देने वाली बकरियों को दलहनी हरा चारा कम से कम एक किलोग्राम प्रति बकरी प्रति दिन के हिसाब से अवश्य दें. यदि हरा दलहनी चारा उपलब्ध नहीं है तो उस दशा में बकरियों को दलहनी चारे से बनी हुई ‘हे’ खिलाकर उनकी पोषण आवश्यकताओं को पूरा किया जा सकता है. इसके अलावा प्रति किलो दूध उत्पादन के लिये 200-250 ग्राम दाना प्रति बकरी प्रति दिन देना चाहिए.
प्रेग्नेंट बकरियों को क्या दें
प्रेग्नेंट बकरियों को ब्याने से लगभग 45 दिन के पहले के समय से प्रतिदिन 300-400 ग्राम अतिरिक्त दाने की आवश्यकता होती है. इससे बकरी से पैदा होने वाले बच्चे का जन्म के समय सामान्य वजन होगा. बकरी से दूध उत्पादन उपयुक्त मात्रा में होगा और दूध देते समय बकरी की हेल्थ और वजन ठीक रहेगा. प्रेग्नेंट बकरियों के पोषण के बारे में एक महत्वपूर्ण बात और ध्यान में रखनी चाहिए कि बकरी के ब्याने के 40-45 दिन पूर्व से गर्भाशय का आकार बढ़ने के कारण रूमन पर दबाव पड़ता है. जिससे बकरी के आहार ग्रहण करने की क्षमता सामान्य से कम हो जाती है. इसलिए इस समय दिये जाने वाले चारे एवं दाने की गुणवत्ता उच्च कोटि की होनी चाहिए. जिससे कि सामान्य से कम आहार ग्रहण करने के बावजूद भी बकरी की पोषण जरूरतें पूरी हो सकें.
Leave a comment