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हरियाणा के रेट पर यूपी में क्यों बिकता है अंडा, क्यों इससे नाराज हैं यूपी के पोल्ट्री फॉर्मर्स

उच्च तापमान के दौरान, पक्षी तापमान को नियंत्रित करने के लिए अपने व्यवहार और शारीरिक कार्यों में बदलाव करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप भोजन का सेवन कम हो जाता है और पानी की खपत बढ़ जाती है. इससे मल पतला हो सकता है और मूत्र की मात्रा बढ़ सकती है, जिससे कोक्सीडियन बीजाणुओं के लिए अनुकूल वातावरण तैयार हो सकता है. तेजी से हांफने से ऑक्सीडेटिव तनाव होता है, जिससे पक्षी माइकोप्लाज्मोसिस जैसे संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं.
प्रतीकात्मक फोटो: Livestock animal news

नई दिल्ली. वैसे तो देशभर में नेशनल ऐग कोआर्डिनेशन कमेटी (एनईसीसी) अंडों के रेट तय करती है. हर एक राज्ये में एनईसीसी का जोनल आफिस प्रतिदिन बेवसाइट पर अंडों के रेट को अपडेट करता है लेकिन यूपी में ऐसा नहीं होता है. पोल्ट्री कारोबार से जुड़े लोगों का कहना है कि यूपी ऐसा राज्य है, जहां के अंडों और यहा बिकने वाले अंडों का दाम बरवाला, हरियाणा की तर्ज पर तय होता है. जिसे पोल्ट्री कारोबारी मानना नहीं चाहते लेकिन बाजार के दबाव में मानना ही पड़ता है. कारोबारियों का कहना है कि एनईसीसी यूपी के साथ ये सौतेला व्यवहार करती है. जिसके चलते मजबूरी में सीजन के दौरान भी यूपी का अंडा हरियाणा के दाम पर बेचने को मजबूर होता है.

जबकि यूपी सरकार ने अंडे ट्रांसपोर्ट और स्टोरेज करने को लेकर एक पॉलिसी बनाई थी लेकिन रिव्यू के नाम पर वापस ले ली गई. वहीं पॉलिसी पर सरकार ने खामोशी साध ली है. सैकड़ों पोल्ट्री फार्मर एक बार फिर से पोल्ट्री कारोबार को बचाने के लिए इस पॉलिसी को लागू करने की मांग कर रहे हैं. बता दें कि सीजन के दौरान यूपी को हर रोज करीब पांच करोड़ अंडे की डिमांड होती है. न्यू एग पॉलिसी को इसलिए लागू करने की मांग की जा रही है कि ये नियम अंडा ट्रांसपोर्ट करने और स्टोरेज करने पर लागू होते हैं. तीन महीने पहले ये पॉलिसी लागू हुई थी. लेकिन जुलाई में यूपी सरकार ने इसे हटा दिया. इसी के चलते यूपी के फार्मर को अंडे के वाजिब और अच्छे दाम मिले थे.

अंडा यहां का तो रेट हरियाणा का क्यों

वहीं कुक्कुट विकास समिति, यूपी के अध्यक्ष वीपी सिंह ने कहा कि ‘अक्टूबर से अंडों का सीजन शुरू हो जाता है. यहां डिमांड बढ़ जाती है, या ये कहें कि दोगुना हो जाती है. जबकि यूपी में अंडों का उत्पादन कम होने की वजह से दूसरे राज्यों पर निर्भर होना मजबूरी है. यही वजह है कि कभी भी यूपी अपने बाजारों में अंडे का दाम तय नहीं कर पाता है. जबकि जमाखोरी करने वाले ट्रेडर्स के कारण हरियाणा के अंडों के रेट को यहां लागू करना पड़ता है. जबकि इतने बड़े राज्य जहां पर हर दिन करोड़ों अंडे खाए जाते हैं वहां एनईसीसी भी कुछ नहीं कर पाता. अब अंडों का सीजन शुरू हो गया है. सर्दी के कारण अंडों की डिमांड बढ़ गई है. बावजूद इसके पोल्ट्री फॉर्मर अंडों पर कमाई नहीं कर पाते हैं.

हर दिन 5.5 करोड़ अंडों की जरूरत

यूपी पोल्ट्री फार्म एसोसिएशन के अध्यक्ष नवाब अली का कहना है कि सर्दी के सीजन में हर रोज करीब पांच से 5.5 करोड़ अंडा की डिमांड है. वहीं ऑफ सीजन में ये डिमांड घटकर तीन से 3.5 करोड़ पर लुढ़क जाती है. जबकि यूपी में अंडा उत्पादन 1.50 करोड़ से लेकर 1.70 करोड़ तक ही होता है. हालांकि बीच-बीच में अंडे का उत्पा्दन दो करोड़ भी पहुंच जाता है. ऐसे में जब अंडे की कमी होती है तो ट्रेडर्स बरवाला, हरियाणा के अलावा तेलंगाना, आंध्रा प्रदेश, चैन्नई और बंगाल आदि से अंडा मंगाकर डिमांड को पूरा किया जाता है.

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