नई दिल्ली. राजस्थान में एलएमआईसी प्राथमिकताओं पर सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. जहां एनडीडीबी के चेयरमैन डॉ. मीनेश शाह समेत तमाम अधिकारिी मौजूद रहे. इस दौरान डॉ. शाह ने एनडीडीबी की प्रोड्यूस और टिकाऊ डेयरी प्रथाओं पर इसकी यात्रा के बारे में जानकारी दी. इसके साथ ही वर्कशॉप में एथनोवेटरिनरी मेडिसिन के बारे में चर्चा की गई. बता दें कि एथनोवेटरिनरी प्रोग्राम एक तरह का आयुर्वेदिक इलाज है और इससे पशुओं की 30 बीमारियों का इलाज किया जा सकता है. इससे एमआर के खतरे को भी कम किया जा सकता है.
बैठक में सुनीता नारायण, महानिदेशक, सीएसई, डॉ. मालिन ग्रेप, स्वीडन के एएमआर राजदूत, और श्री राजीव सदानंदन, पूर्व जैसी उल्लेखनीय हस्तियां केरल सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) के साथ-साथ दुनिया भर से कई अन्य हितधारकों ने भी भाग लिया था.
डॉ. शाह ने इस दौरान पशु प्रजनन, पशु पोषण और पशु स्वास्थ्य के क्षेत्र में विभिन्न वैज्ञानिक हस्तक्षेपों के माध्यम से उत्पादकता बढ़ाने के लिए एनडीडीबी के प्रयासों के बारे में विस्तार से बताया, जिससे क्षेत्र में स्थायी पशुधन परिवर्तन हो सके.
30 से ज्यादा बीमारी का इलाज
उन्होंने भ्रूण परीक्षण कार्यक्रम और एनडीएलएम के माध्यम से इसका डिजिटलीकरण, मवेशियों के साथ-साथ भैंस के लिए जीनोमिक चिप्स का विकास (पहली बार), मीथेन उत्सर्जन को कम करने के लिए राशन संतुलन कार्यक्रम और एथनोवेटरिनरी फॉर्मूलेशन के उपयोग पर प्रकाश डाला गया. कहा कि ईवीएम फॉर्मूलेशन के माध्यम से 30 से अधिक बीमारियों का सफलतापूर्वक इलाज किया जा रहा है, जो न केवल औषधीय खर्चों को कम करता है, बल्कि एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग को भी कम करता है और इस प्रकार एएमआर को भी कम करता है.
क्या है एथनोवेटरिनरी मेडिसिन
एथ्नोवेटेरिनरी मेडिसिन (ईवीएम) में मवेशियों की बीमारियों के इलाज में पारंपरिक/हर्बल तरह से किया जाता है. यह पशुओं में एंटीबायोटिक के उपयोग के विकल्प के रूप में लोकप्रिय हो रहा है. इस प्रोग्राम के जरिए आयुर्वेद औषधीय के जरिए पशुओं का इलाज संभव है. एक अध्ययन से पता चलता है कि हर्बल फॉर्मूलेशन के साथ छह दिनों के उपचार के बाद, मास्टिटिस पैदा करने वाले रोगाणु न्यूनतम हो जाते हैं, जो दर्शाता है कि मास्टिटिस ठीक हो गया है. बताया गया कि एथनोवेटरिनरी प्रोग्राम के जरिए तकरीबन 30 से ज्यादा बीमारियों जिसमें थनैला, जैर नहीं गिरना, बांझपन की समस्या का इलाज संभव है.
बायोगैस को दे रहा बढ़ावा
इसके अतिरिक्त, एनडीडीबी विभिन्न मॉडलों के माध्यम से बायोगैस उत्पादन के लिए गोबर बायोमास के उपयोग को भी बढ़ावा दे रहा है. इनमें किसान परिवार की खाना पकाने की ईंधन जरूरतों को पूरा करने के लिए विकेन्द्रीकृत फ्लेक्सी बायोगैस मॉडल, ग्रामीण गतिशीलता के लिए बनास बायो-सीएनजी मॉडल और डेयरी संयंत्र की भाप और विद्युत ऊर्जा जरूरतों को बदलने के लिए वाराणसी मॉडल शामिल हैं, जिससे मीथेन के प्रभाव को कम किया जा सके. उत्सर्जन. उपोत्पाद के रूप में घोल किसानों से खरीदा जाता है और कृषि के लिए जैविक खाद बनाने के लिए उपयोग किया जाता है.
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