Home पशुपालन AI: क्यों बार-बार पशुओं का हो जाता है गर्भपात, एक्सपर्ट ने कई परेशानियों की तरफ किया इशारा
पशुपालन

AI: क्यों बार-बार पशुओं का हो जाता है गर्भपात, एक्सपर्ट ने कई परेशानियों की तरफ किया इशारा

gir cow
गिर गाय की प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली आमतौर पर हर एक गाय और भैंस में ब्याने के 50 से 70 दिन के बीच नियमित रूप से मदचक शुरू होना चाहिए. इस समय पशु में गर्म होने के लक्षण दिखाई देता है. अच्छे सांड से मिलाने पर या कृत्रिम गर्भाधान गाभिन कराया जा सकता है. बताते चलें कि अब ये समस्या आम हो गई है कि पशुओं को 20-22 दिन के बाद गरम होना और गाभिन कराने के बाद भी गर्भ नहीं ठहरता है. जिसके चलते पशुपालकों को नुकसान उठाना पड़ रहा है. इसी मसले को लेकर गडवासु में एक सेमिनार आयोजित किया गया था. जहां तमाम एक्सपर्ट ने इसपर अपनी राय रखी.

बताते चलें कि जब पशु गाभिन हो जाता है तो सामान्यतः 20-22 दिन बाद गरम होने के लक्षण दिखना बन्द हो जाते हैं लेकिन कुछ पशु गाभिन होने के बावजूद मदचक के लक्षण दिखाते हैं. पशु चिकित्सक ही इस पशु को जांच द्वारा सही स्थिति बता सकते हैं. पशु के गर्भ न ठहरने पर जब गाय और भैंस 20-22 दिन के अंतर पर प्रत्येक बार गरम होने के लक्षण दिखाती है और प्रत्येक बार गर्भाधान का प्रयास करने पर भी गाभिन नहीं हो पाती है.

जरूरी देखभाल की होती है जरूरत
ऐसी स्थिति को “रिपीट ब्रीडर” पशु कहा जाता है जिसके लिए चिकित्सा और देखभाल की आवश्यकता होती है. पशुपालकों को चाहिए कि इस तरह के पशुओं को अपने अन्य पशुओं से अलग रखें तथा इलाज जल्द से जल्द किसी पशुचिकित्सक से करायें. रिपीट ब्रीडर पशु में कोई स्पश्ट या विशेष बीमारी के लक्षण नहीं दिखाई पड़ते तो केवल एक ही महत्वपूर्ण बात सामने आती है कि पशु को हरेक 20-22 दिन के बाद गरम होना और गाभिन कराने के बाद भी गर्भ नहीं ठहरता है। पशु देखने में स्वस्थ रहकर दूध भी देता है. दूध की मात्रा ब्यात के बाद समय बढ़ने के साथ क्रमशः कम हो जाती है. पशु के खाने पीने में भी कोई कमी नहीं दिखाई देती है और कोई अन्य कष्ट या परेशानी भी नही होती है.

कृत्रिम गर्भाधान करने के प्रोटोकॉल को समझाया
पशु चिकित्सा एवं पशुपालन विस्तार शिक्षा विभाग के प्रमुख डॉ. आरके शर्मा द्वारा रिपीट ब्रीडिंग पर विशेषज्ञ व्याख्यान दिया गया. उन्होंने बार-बार प्रजनन की समस्या को दो व्यापक क्षेत्रों में वर्गीकृत किया. उन्होंने भविष्य में नस्ल सुधार के लिए वीर्य का चयन थन के स्वास्थ्य, उसके आकार, थन के आकार और माप तथा स्तनदाह प्रतिरोध के सूचकांक के आधार पर करने की चेतावनी दी. उन्होंने वीर्य और स्पर्म में विभिन्न दिक्कतें दिखाईं जो आनुवंशिक प्रकृति की हैं. जिसके चलते खराब और असामान्य प्रजनन क्षमता होती है. उन्होंने सभी सावधानियां बरतते हुए सही तरीके से कृत्रिम गर्भाधान करने के प्रोटोकॉल समझाए.

संतुलित आहार देना चाहिए
एआई की टाइमिंग और एआई की क्वीकनेस एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. पानी का तापमान, कंटेनर का आकार और स्टेराइल एआई गन प्रजनन क्षमता में सुधार करते हैं. उन्होंने किसानों को सभी महत्वपूर्ण पोषक तत्वों यानी ऊर्जा, प्रोटीन, खनिज और विटामिन का ध्यान रखते हुए संतुलित आहार की सलाह दी. अधिक दूध पिलाना और कम दूध पिलाना दोनों ही अंडे और शुक्राणु के आकार और आकृति के लिए हानिकारक हैं. उन्होंने लगातार साइलेज खिलाए जाने पर अतिरिक्त विटामिन के उपयोग पर जोर दिया. उन्होंने जानवर को संभालने और बंदूक को सही जगह पर पास करने के लिए उचित एआई विधि और तकनीक दिखाई. एआई के दौरान और उसके बाद बरती जाने वाली सभी सावधानियों पर भी चर्चा की गई.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

live stock animal news, Survey on farmers, farmers' income, farmers' movement, MSP on crops, Chaudhary Charan Singh Agricultural University, HAU, agricultural economist Vinay Mahala, expenditure on farming.
पशुपालन

Animal Husbandry: डेयरी पशुओं की इन चार परेशानियों का घर पर ही करें इलाज, यहां पढ़ें डिटेल

वैकल्पिक दवाओं की जानकारी पशुपालकों के लिए जानना बेहद ही अहम है....