आगरा. उत्तर प्रदेश की सड़कों पर भीख मांगने की जिंदगी से बचाई गई मादा हथनी ‘हौली’ अपनी आजादी के पांच वर्ष पूरे कर चुकी है. पांच साल पहले, 2018 में, वन्यजीव संरक्षण एनजीओ वाइल्डलाइफ एसओएस हौली को लंबे समय तक देखभाल और उपचार के लिए मथुरा स्थित अपने हाथी अस्पताल परिसर में लाई थी, जिससे उसे नए सिरे से जीवन जीने का अवसर प्रदान कर सकें.
पूर्ण रूप से नेत्रहीन थी हौली
हौली एक मादा हथनी थी जो पूर्व में कैद के क्रूर जीवन से पीड़ित थी और उसे उत्तर प्रदेश की सड़कों पर भीख मांगने के लिए इस्तेमाल किया जाता था. जब उसको रेस्क्यू किया गया, तो वह एक वृद्ध हथिनी थी, जिसकी उम्र लगभग 60 वर्ष थी. पूर्ण रूप से नेत्रहीन, जोड़ों में घुमाव और पैरों में गंभीर गठिया रोग जैसी शारीरिक समस्याओं के कारण उसके बुढ़ापे की स्थिति और भी खराब हो गई थी.
लेजर थेरेपी और हाइड्रोथेरेपी दी गई
दृष्टिहीन होने के कारण, हौली को अपने नए परिवेश में ढलने में थोड़ा समय लगा. वाइल्डलाइफ एसओएस में कई महीनों तक वह लेटी नहीं, जो की पशुचिकित्सकों के लिए चिंता का विषय था, क्योंकि उसके पैर इतने मजबूत नहीं थे कि वह इस असुविधा को झेल सकें. हौली को नियमित रूप से दवा, लेजर थेरेपी और हाइड्रोथेरेपी प्रदान की गई. पानी ने उसके थके हुए पैरों और अंगों को राहत पहुंचाई. इन उपचार प्रक्रियाओं ने धीरे-धीरे हौली को ताकत हासिल करने में मदद की.
पहले खड़े होकर ही सो जाती थी हौली
वाइल्डलाइफ एसओएस की पशु चिकित्सा सेवाओं के उप निदेशक, डॉ. इलियाराजा ने कहा, “शुरुआत में, हौली को गठिया रोग की गंभीरता के कारण लंबी दूरी तक चलने में कठिनाई होती थी और वह खड़े होकर सोना पसंद करती थी, लेकिन एक बार जब हमारी पशु चिकित्सा टीम ने पौष्टिक आहार के साथ-साथ उसके उपचार पर ध्यान देना शुरू किया, तो फिर उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा. पांच सालों में, होली में काफी बदलाव आया है और आज उसका आत्मविश्वास भी बढ़ा है.
हथनी कल्पना से बेहद है गहरी दोस्ती
शारीरिक सुधार के अलावा, हौली के लिए मनोवैज्ञानिक उपचार भी उतना ही महत्वपूर्ण था. आज, उसकी हाथी अस्पताल परिसर में एक अन्य निवासी मादा हथनी कल्पना से बेहद गहरी दोस्ती है. दोनों हथनियों के बीच के बंधन और दोस्ती ने भी हौली के लिए ताकत के स्तंभ के रूप में काम किया है, जिसका असर उसकी मानसिक सुधार पर भी पड़ा है.
अब बदल गई है हौली की वास्तविक स्थिति
वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ, कार्तिक सत्यनारायण ने कहा, “चिकित्सा उपचार, अन्य हाथियों की संगति और स्वस्थ पोषण के संयोजन से, हौली का जीवन अब पहले से बेहतर है. शारीरिक घावों वाली हथनी की छवि अब हौली के लिए वास्तविकता नहीं है. यह सोचना काफी उल्लेखनीय है कि उसने हमारे साथ पांच साल पूरे कर लिए हैं.”
हौली का अतीत एक अंश मात्र ही रह गया
वाइल्डलाइफ एसओएस की सह-संस्थापक और सचिव, गीता शेषमणि ने कहा, “पशुचिकित्सकों और देखभाल करने वालों की हमारी टीम ने हौली के साथ जो हासिल किया है वह असाधारण है. हौली का अतीत एक अंश मात्र है अब और आज वह अपने नए घर में प्यार, देखभाल और प्राकृतिक वातावरण से घिरी हुई है.
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