Home पशुपालन Artificial Insemination के लिए ऐसे पसंद करें हाई क्वालिटी का सांड
पशुपालन

Artificial Insemination के लिए ऐसे पसंद करें हाई क्वालिटी का सांड

ndri karnal, artificial insemination
कृत्रिम गर्भाधान की प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. कृत्रिम गर्भाधान के जरिए गायों और भैंस के नस्ल सुधार में एक में एक मील का पत्थर साबित हुआ है. इसका किसानों को खूब फायदा हुआ है, लेकिन मसला यह है कि जब पशुओं का गर्भधारण कराया जाए तो सांडों का चयन कैसा होना चाहिए. कई बार हम गायों की फिजिकल फिटनेस, उसका रंग और उसका जींस देखते हैं. जबकि एनडीआरआई करनाल गायों के जीन के बारे में काफी दिनों से रिसर्च कर रहा है. सीआईआर बी हिसार के निदेशक डॉ. टीके दत्ता कहते हैं कि इस संबंध में आपको यह बताना है कि बैल या सांड के जीन को बहुत महत्व दिया जाना चाहिए. ताकि पता चले कि इससे किस तरह का बच्चा पैदा होगा और यह उसके इसके जीन पर ही डिपेंड करता है.

जांच करना है जरूरी
किसी भी दुधारू पशु के शरीर में लाखों की संख्या में जीन होते हैं. ध्यान देने वाली बात ये है कि कौन सी जीन से आने वाले बच्चा जब दूध देगा तो उसमें फैट या प्रोटीन कितना होगा. इसलिए संस्थान से जो भी गाय या फिर भैंस का सीमेन बाजार में उपलब्ध कराया जाता है या फिर किसानों को दिया जाता है तो पूरी तरह से जीन के बारे में टेस्टिंग की जाती है. उन्होंने कहा कि आने वाले समय में यह काम और आसान हो जाएगा. संस्थान के पास आने वाले समय में गाय भैंस के लिए सही सीमेन चुनने की क्षमता बढ़ जाएगी. इसलिए इसकी सटीकता पर काम किया जा रहा है.

किसानों को रखना चाहिए ये ख्याल
उन्होंने कहा कि वहीं किसानों को सुझाव दिया जाता है कि जब भी कहीं से सीमेन हासिल करें तो यह जान लें कि सांड का प्रॉपर जेनेटिक टेस्टिंग हुई है या नहीं. क्योंकि दूध हासिल करना एक अलग मसला है. इसके अलावा गाय और भैंसे में कभी—कभी जेनेटिक बीमारी होती है, जो आने वाली जनरेशन में भी चली जाती है. इसके लिए भी संस्थान काफी ज्यादा सेवाएं दे रहा है. यहां सांड की जांच की जाती है कि इसमें किसी तरह की कोई बीमारी तो नहीं है. अगर सांड के अंदर कोई बीमारी हुई तो तुरंत नहीं पता चलेगा लेकिन आगे चलकर नुकसान उठाना पड़ेगा.

पशु पालक करवा सकते हैं जांच
इसको लेकर एनडीआरआई जांच करता है. डॉ. टीके दत्ता कहते हैं कि यदि किसी किसान के पास सांड है और वो टेस्टिंग करवाना चाहते हैं, तो संस्थान उसकी टेस्टिंग करता है. अक्सर सांड में A1, A2 काफी चर्चा होती है. संस्थान में इसकी टेस्टिंग की सुविधा भी उपलब्ध है. जिसके माध्यम से यह बताया जा सकता है कि पर्टिकुलर सांड में कौन सी जीन की मात्रा ज्यादा है और A1 की मात्रा ज्यादा है या फिर A2 की ज्यादा है.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

कंकरेज नस्ल के मवेशी तथा जाफराबादी, नीली रावी, पंढरपुरी और बन्नी नस्ल की भैंसों को शामिल किया गया है. इसमें रोग मुक्त हाई जेनेटिक वाले सांडों को पंजाब सहित देश भर के वीर्य केंद्रों को उपलब्ध कराया जाता है.
पशुपालन

Animal husbandry: AI और सेक्स सॉर्टेड सीमन समेत इन 8 कामों से आसान हो गया पशुपालन, बढ़ा दूध

किसानों के दरवाजे पर अच्छी कृत्रिम गर्भाधान सेवाएं देने के लिए ट्रेनिंग...

CIRB will double the meat production in buffaloes, know what is the research on which work is going on. livestockanimalnews animal Husbandry
पशुपालन

Animal News: आपके पशुओं को इस खतरनाक बीमारी का खतरा, जानें बचाव का क्या है तरीका

इसलिए बेहतर है कि इसकी रोकथाम के तरीके के बारे में भी...